भारत के लिए रक्षा क्षेत्र से एक बड़ी और शानदार खबर है. रक्षा निर्यात के क्षेत्र में देश जल्द ही एक बड़ी ताकत बनने जा रहा है. ताजा आंकड़ों के मुताबिक पिछले नौ साल में देश में रक्षा निर्यात में 23 गुणा की बढ़ोतरी हुई है. फिलहाल 100 से अधिक कंपनियों के जरिए देश में रक्षा क्षेत्र के साजोसामान का निर्माण हो रहा है. इन्हें 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' के तहत बनाया जा रहा है. देश रक्षा क्षेत्र में न केवल आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है, बल्कि दूसरे देशों को भी निर्यात कर रहा है. वर्तमान वित्त वर्ष के लिए भारत ने 16 हजार करोड़ रुपए का निर्यात किया है, जिसमें सैन्य हार्डवेयर यानी गोला-बारूद और हथियार शामिल हैं. यह पिछले साल से करीबन तीन हजार करोड़ रुपए अधिक है और पिछले नौ वर्षों में सबसे अधिक और 2014 से 23 गुणा है.


भारत बन रहा है बड़ा खिलाड़ी


मोदी सरकार की रक्षा क्षेत्र में निर्यात को बढ़ावा देने की योजना रंग लाती दिख रही है. बीते 9 वर्षों में 23 गुणा की ऊंची छलांग के साथ ही इस साल भारत का रक्षा निर्यात कुल 16 हजार करोड़ रुपए का हो गया है. पिछले वित्त वर्ष यह 13 हजार करोड़ रुपए का था. भारत ने मुख्यतः रक्षा उपकरणों, तकनीक और गोला-बारूद वगैरह का निर्यात किया है. देश ने सबसे अधिक निर्यात दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों, अमेरिका और फिलीपींस के साथ ही मिडिल ईस्ट और अफ्रीका के कई देशों को किया गया है. निर्यात में लगभग 70 फीसदी हिस्सेदारी निजी क्षेत्र की है, जबकि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां बाकी 30 फीसदी निर्यात कर रही हैं. भारत में लगभग 100 कंपनियां रक्षा क्षेत्र के निर्यात से जुड़ी हैं और दुनिया के लगभग 85 देश भारत से हथियार खरीद रहे हैं. देश रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से बढ़ रहा है. इसके साथ निर्यात में तो ऊंची छलांग लगी ही है. 2013-14 में भारत का रक्षा निर्यात जहां 686 करोड़ रुपए ही था, वहीं इस साल बढ़कर यह 16 हजार करोड़ रुपए हो गया है. रक्षा मंत्रालय ने इस मौके पर एक बयान में कहा है, "भारतीय उद्योग ने वर्तमान में डिफेंस प्रोडक्टर्स का एक्सपोर्ट करने वाली 100 कंपनियों के साथ दुनिया भर में डिजाइन और विकास की अपनी क्षमता दिखाई है". रक्षा मंत्रालय ने बताया कि बढ़ता रक्षा निर्यात तो अपनी जगह है ही, एयरो इंडिया 2023 में दुनिया के 104 देशों की भागीदारी हमारी रक्षा निर्माण क्षमताओं का प्रमाण है.


भारत शीर्ष देशों में शुमार


एक समय भारत की ख्याति रक्षा क्षेत्र में केवल आयातक के तौर पर थी. बहुत तेजी से भारत ने उस छवि को बदला है और एक शीर्ष निर्यातक के तौर पर अपनी पहचान बनाई है. इस समय भारत आठवां सबसे बड़ा आय़ातक देश है, जबकि यह 85 देशों को निर्यात करता है. भारत के रक्षा उत्पादों की खास पहचान बहुत कम समय में दुनिया भर में बनी है. रक्षा निर्यातों को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए, जिसमें निर्यात की प्रक्रिया को सरल करना और उद्योग हितकारी बनाना शामिल था. बीते 9 वर्षों में कई नीतिगत सुधार किए गए और एंड टू एंड ऑनलाइन निर्यात को बढ़ावा दिया गया ताकि लाल फीताशाही कम हो और व्यापार की प्रक्रिया सरल हो. आत्मनिर्भर भारत ने भी देश को स्वदेशी डिजाइन, विकास और निर्माण के लिए तैयार किया है और अधिक दिन दूर नहीं, जब भारतीय सैनिक पूरी तरह स्वदेशी साजोसामान से लैस होंगे. विदेश पर हमारी निर्भरता 2018-19 में कुल खर्च का 46 फीसदी था, तो 2022 के दिसंबर में यह 36.7 फीसदी हो गया. मौजूदा समय में भारत डॉर्नियर-228, 155 मिमी एडवांस्ड टोएड आर्टिलरी गन्स, एटीएजी, ब्रह्मोस मिसाइल, आकाश मिसाइल सिस्टम, रडार, सिमुलेटर, माइन प्रोटेक्टेड व्हीकल, आर्मर्ड व्हीकल, पिनाका रॉकेट और लॉन्चर, गोला-बारूद, थर्मल इमेजर्स, बॉडी आर्मर्स, सिस्टम के अलावा, लाइन रिप्लेसेबल यूनिट्स इत्यादि का निर्यात कर रहा है. 


भारत का डिफेंस सेक्टर पहले भी था मजबूत 


भारत का रक्षा क्षेत्र आजादी के पहले भी काफी मजबूत था और आजादी के समय देश में 18 ऑर्डिनेंस फैक्ट्री थी. भारत में तोप समेत कई तरह के आर्मी को काम आनेवाले उपकरण बनाए जाते थे, यहां तक कि भारत दूसरे विश्व युद्ध में रक्षा उपकरणों का अहम सप्लायर था. उस समय भारत के हॉवित्जर तोपों को उस समय सबसे अच्छा माना जाता था. भारत से पूरी दुनिया को बड़ी मात्रा में हथियारों को एक्सपोर्ट किया जाता था, लेकिन उसके बाद नवनिर्माण के दौर में रक्षा क्षेत्र की कहीं न कहीं अनदेखी हुई और भारत दुनिया का सबसे बड़ा आयातक देश बन गया. बीते 9 वर्षों में मोदी सरकार के इस क्षेत्र में खासतौर पर ध्यान देने की वजह से हालात सुधरे हैं. इन वर्षों में सरकार ने सिर्फ डिफेंस का बजट ही नहीं बढ़ाया, यह बजट देश में ही डिफेंस मैनुफैक्चरिंग इकोसिस्टम के विकास में काम आए, यह भी सुनिश्चित किया. 


आज भारतीय कंपनियों को तवज्जो दी जा रही है और आर्मी के लिए उपकरणों की खरीद के लिए बजट का जो हिस्सा तय है, उसमें प्राथमिकता भारतीय कंपनियों को दी जा रही है. बजट का बहुत बड़ा हिस्सा आज भारतीय कंपनियों से हथियार और उपकरण खरीदने में लग रहा है. भारत के ब्रह्मोस को दुनिया आज गले लगाने के लिए कतार में खड़ी है. फिलहाल, भारत की सेना ने 300 से अधिक हथियारों और उपकरणों की सूची बनाई है जो मेड इन इंडिया ही होगी. अधिक देर की बात नहीं जब भारत आत्मनिर्भर होगा.