प्रत्यक्ष कर संग्रह : भारत के वित्त मंत्रालय ने रविवार यानी 18 जून को अर्थव्यवस्था के लिए बेहद अच्छी खबर साझा की है. इस साल जून में अभी तक एडवांस टैक्स कलेक्शन में अच्छी बढ़ोतरी देखी गई है. इसके आधार पर हम कह सकते हैं कि वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही में देश का प्रत्यक्ष कर संग्रह आंकड़ा अच्छा रहने वाला है. चालू वित्त वर्ष में 17 जून तक देश के नेट डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन में 11.18 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. यानी, अभी तक कुल कर संग्रह 3.80 लाख करोड़ रुपए का हुआ है. पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में ये डायरेक्ट टैक्स का संग्रह 3,41,568 करोड़ रुपए का हुआ था.


वित्त वर्ष 2023-24 के लिए अभी तक केंद्र का डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 3,79,760 करोड़ रुपए का हुआ है. वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही में एडवांस टैक्स कलेक्शन में 13.7 फीसदी की बढ़त हुई है. कुल संग्रह 116,776 करोड़ रुपए का है जो कि पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 102,707 करोड़ रुपए था. एडवांस टैक्स कलेक्शन में अच्छा इजाफा इस बात का संकेत है कि टैक्स के दायरे में और अधिक विस्तार हो रहा है. इसकी सीधी सी व्याख्या यही कह कर की जा सकती है कि हमारी अर्थव्यवस्था स्वस्थ है और सुदृढ़ हो रही है. 


पहले प्रत्यक्ष कर को समझें


डायरेक्ट टैक्स यानी प्रत्यक्ष कर का मतलब एक ऐसे टैक्स के रूप में समझा जा सकता है, जिसमें टैक्स का बोझ भी एक ही व्यक्ति पर पड़ता है और भुगतान भी उसे ही करना होता है. डायरेक्ट टैक्स को सिद्धांत के तौर पर भुगतान करने की क्षमता के आधार पर लगाया जाता है. इसमें माना जाता है कि अधिक संसाधनों और उच्च आय वाले लोगों को उच्चतर टैक्स का भुगतान करना चाहिए. डायरेक्ट एक्सचेंज यानी प्रत्यक्ष विनियम इसलिए लिखे जाते हैं ताकि टैक्स के जरिए देश में पूंजी का फिर से वितरण किया जा सके. डायरेक्ट टैक्स का बोझ एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में स्थानांतरित नहीं किया जा सकता है. डायरेक्ट टैक्स लोगों पर, व्यवसायों पर उनकी क्षमता के अनुसार लगाया जाता है और वे ही उनके भुगतान के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार होते हैं. समय पर अगर वे टैक्स नहीं चुकाते हैं तो जुर्माना देना पड़ सकता है या उनको जेल भी भेजा सकता है.


डायरेक्ट टैक्स में अधिकतर इनकम यानी आय या धन यानी वेल्थ पर लगे टैक्स हैं. प्रत्यक्ष कर के उदाहरणों में आयकर, कॉर्पोरेट टैक्स, संपत्ति कर, और उपहार कर इत्यादि शामिल हैं. डायरेक्ट टैक्स से सरकार को आय का समान वितरण करने में मदद मिलती है. सरकार उन लोगों औऱ व्यवसायों से अधिक कर वसूलती है, जो उन्हें दे सकते हैं. इस अतिरिक्त कैश का प्रयोग वेलफेयर स्टेट के बाकी कामों के लिए होता है. इससे सरकार और टैक्सपेयर्स में आपसी विश्वास बना रहता है, महंगाई के दौरान सरकार टैक्स बढ़ाकर मुद्रास्फीति को काबू में काम करती है. डायरेक्ट टैक्स का सबसे बड़ा लाभ यह है कि ये बेहद उत्पादक होते हैं, क्योंकि जैसे-जैसे किसी समाज या देश में काम करने वालों की संख्या बढ़ेगी, डायरेक्ट टैक्स भी उतना ही बढ़ेगा. इनसे आर्थिक और सामाजिक संतुलन बनता है, क्योंकि सरकार कई तरह के टैक्स स्लैब लागू करती है और इससे देश की आर्थिक सेहत ठीक होती है. 



कॉरपोरेट टैक्स और जीडीपी की बढ़ोतरी


चालू वित्त वर्ष में कॉरपोरेट टैक्स में भी बढ़ोतरी हुई है, जो अर्थव्यवस्था के लिए सुखद संकते है. ग्रॉस आधार पर, रिफंड को जब एडजस्ट किया है तो उससे पहले का संग्रह 4.19 लाख करोड़ रुपए था, जो कि सालाना स्तर पर 12.73 प्रतिशत की बढ़ोतरी दिखाता है. इसमें कॉरपोरेट टैक्स के 1.87 लाख करोड़ रुपये और सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स हैं. इसके साथ ही पर्सनल इनकम टैक्स के 2.31 लाख करोड़ रुपए भी इसमें शामिल हैं. रिफंड राशि 17 जून तक 39,578 करोड़ रुपए रही है और यह भी पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 30 प्रतिशत अधिक है. इससे पहले एनएसओ यानी राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने भारत के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी के आंकड़े भी जारी किए थे. चौथी तिमाही के आंकड़े अनुमान से काफी बेहतर रहे हैं. एनएसओ के मुताबिक भारत की जीडीपी विकास दर 2022-23 में 7.2 प्रतिशत रही है. हालांकि, 2021-22 में यह अनुमान 9.1 प्रतिशत था. भारत ने पिछली तिमाही में 4.4 प्रतिशत की तुलना में 6.1 प्रतिशत की जीडीपी बढ़त दर्ज की है. चौथी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर ने अनुमानों को पीछे छोड़ दिया है. आरबीआई ने पहली तिमाही के दौरान 5.1 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया था. वहीं पूरे वित्त वर्ष 2022-23 के लिए जीडीपी की बढ़त 7.2 प्रतिशत रही है. जीडीपी की यह बढ़त आरबीआई के 7 प्रतिशत के अनुमान से भी अधिक है. 


वैसे, पूरी दुनिया में फिलहाल मंदी का खतरा बढ़ रहा है. हमारे देश में कर (टैक्स) और गैर-कर राजस्व संग्रह बेहतर रहने से राजकोषीय घाटा को थामने में मदद मिली. जब पूरी दुनिया मंदी के खतरे से जूझ रही है, तो भारत में जीडीपी की वृद्धि दर और प्रत्यक्ष करों के संग्रह में बढ़ोतरी दिखाता है कि हम सही राह पर हैं और भारतीय अर्थव्यवस्था बिल्कुल सही लक्ष्य की ओर जा रही है.