शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में शुक्रवार को क्षेत्र से आतंकवाद को खत्म करने और विकास की एक नई यात्रा शुरू करने पर सहमति बनी, जो सभी को स्वीकार्य होगी. दक्षिण और मध्य एशिया के क्षेत्र को सुरक्षित, शांतिपूर्ण और समृद्ध बनाने पर आपसी सहमति बनी. एससीओ की स्थापना के बाद से यह पहला मौका रहा जब सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक नई दिल्ली में भारत की अध्यक्षता में हुई.



बैठक को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान की तरह इशारा करते हुए कहा कि “यदि कोई राष्ट्र आतंकवादियों को आश्रय देता है, तो यह न केवल दूसरों के लिए बल्कि स्वयं के लिए भी खतरा पैदा करता है. युवाओं का कट्टरवाद न केवल सुरक्षा की दृष्टि से चिंता का कारण है, बल्कि ये समाज की सामाजिक-आर्थिक प्रगति के मार्ग में एक बड़ी बाधा भी है. अगर हम एससीओ को एक मजबूत और अधिक विश्वसनीय अंतरराष्ट्रीय संगठन बनाना चाहते हैं, तो हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता आतंकवाद से प्रभावी ढंग से निपटने की होनी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि 'आपसी सहयोग, सद्भाव और सम्मान के जरिए क्षेत्र में विकास की नई यात्रा शुरू करना हम सबकी नैतिक जिम्मेदारी है. उन्होंने एससीओ को एक "विकसित और मजबूत क्षेत्रीय संगठन" के रूप में बनाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए यह रेखांकित किया कि भारत इसे सदस्य देशों के बीच रक्षा सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण इकाई के रूप में देखता है.

रक्षा मंत्री ने एससीओ को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए 'SECURE' की अवधारणा को भी दोहराया. प्रधानमंत्री मोदी ने इससे पहले 2018 में चीन के क़िंगदाओ में हुए पिछले एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान इसकी अवधारणा को पेश किया था. बयान में कहा गया है, "उन्होंने (सिंह ने) कहा कि 'सिक्योर' शब्द का हर अक्षर क्षेत्र के बहुआयामी कल्याण के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है." राजनाथ सिंह ने यह भी कहा कि सदस्य देश "अपने बयानों में एकमत थे कि आतंकवाद, इसके सभी रूपों की निंदा की जानी चाहिए और इसे समाप्त किया जाना चाहिए." रक्षा सचिव गिरिधर अरमन के अनुसार, सभी सदस्य राष्ट्र आतंकवाद से निपटने, विभिन्न देशों में कमजोर आबादी की सुरक्षा के साथ-साथ एचएडीआर (मानवीय सहायता और आपदा राहत) सहित सहयोग के कई क्षेत्रों पर "आम सहमति पर पहुंचे."


इन सदस्य देशों के रक्षा मंत्री व अधिकारी हुए शामिल

बैठक में राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में चीन के रक्षा मंत्री (जनरल ली शांगफू), रूस के (जनरल सर्गेई शोइगु), ईरान (ब्रिगेडियर जनरल मोहम्मद रजा घराई अश्तियानी), बेलारूस (लेफ्टिनेंट जनरल ख्रेनिन वीजी), कजाकिस्तान (कर्नल) जनरल (रुस्लान ज़ाक्सिल्यकोव), उज्बेकिस्तान (लेफ्टिनेंट जनरल बखोदिर कुर्बानोव), किर्गिस्तान (लेफ्टिनेंट जनरल बेकबोलोतोव बक्तीबेक असंकालिएविच) और ताजिकिस्तान (कर्नल जनरल शेराली मिर्ज़ो) व्यक्तिगत रूप से शामिल हुए. बैठक में पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के विशेष सलाहकार मलिक अहमद खान ने किया और वे बैठक में वर्चुअली शामिल हुए.

रूस ने कहा-पश्चिम देश बहुध्रुवीयता का विरोध करते हैं

एससीओ बैठक के दौरान रूसी रक्षा मंत्री शोइगू ने बैठक में कहा कि अफगानिस्तान में बिगड़ती सुरक्षा स्थिति के लिए अमेरिका के नेतृत्व वाले नाटो को जिम्मेदारी लेनी चाहिए. "पश्चिम का प्राथमिक उद्देश्य रणनीतिक रूप से रूस को हराना, चीन को निशाना बनाना और अपने आधिपत्य को सुरक्षित करना है. अमेरिका और उसके सहयोगी अन्य देशों को रूस और चीन के खिलाफ खड़ा करने की साजिश रची जा रहे हैं. संयुक्त राज्य अमेरिका अंतरराज्यीय संबंधों के प्रणाली को क्षेत्रीय गठजोड़ बनाकर, ब्लैकमेल और धमकियों का इस्तेमाल करते हुए बदलने की कोशिश कर रहा है.

रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध पर, शोइगू ने कहा कि "यूक्रेन को आपूर्ति किए गए हथियार कालाबाजारी में और फिर वहां से आतंकवादियों के हाथों में जाते हैं." उन्होंने यह भी कहा कि "अमेरिका और उसके सहयोगी आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में मदद करने के बहाने मध्य एशिया में अपनी सैन्य उपस्थिति बहाल करने की कोशिश कर रहे हैं. दुनिया की बढ़ती बहुध्रुवीयता का एशिया-प्रशांत क्षेत्र में पश्चिम द्वारा सबसे अधिक सक्रिय रूप से विरोध किया जा रहा है.

क्या है एससीओ

SCO वर्तमान समय में यूरोपियन यूनियन के बात दुनिया का सबसे बड़े क्षेत्रीय संगठनों में से एक है. यह विश्व के 40 % आबादी का प्रतिनिधित्व करता है. वैश्विक अर्थव्यवस्था में इसकी कुल हिस्सेदारी 25 % की है और यह संगठन विश्व के 22% भू-भाग का भी प्रतिनिधित्वकर्ता है. भारत इसका पूर्णकालिक सदस्य देश वर्ष 2017 में बना था. इसी वर्ष पाकिस्तान भी इसका पूर्णकालिक सदस्य बना था. भारत के इसमें शामिल होने से बहुआयामी वार्ता को बढ़ावा मिला है. एससीओ का मुख्य उद्देश्य सदस्य देशों के बीच अच्छे व गहरे संबंधों को बढ़ावा देना है. पीपुल-टू-पीपुल कनेक्शन को बढ़ावा देना है.

 

क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूत करना है. आतंकवाद और उसके सभी स्वरूपों को जड़ से समाप्त करना है. राजनीतिक और डिप्लोमेटिक संबंधों, व्यापार और आर्थिक समन्वय के साथ-साथ सांस्कृतिक और मानवीय संबंधों का आदान-प्रदान करना है. इसे उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (NATO) के प्रतिद्वंदी के रूप में देखा जाता है, यह नौ सदस्यीय आर्थिक और सुरक्षा ब्लॉक है तथा सबसे बड़े अंतर-क्षेत्रीय अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में से एक के रूप में उभरा है. इसका सचिवालय चीन की राजधानी बीजिंग में है और ताशकंद में क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी संरचना (RATS) की कार्यकारी समिति कार्य करती है. ईरान 2023 में SCO का स्थायी सदस्य बनने के लिये तैयार है.