कभी भारत हॉकी की महाशक्ति था. ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर कहा जाता था और ओलंपिक दर ओलंपकि भारत जीत दर्ज करता जा रहा था. फिर आया क्रिकेट का दौर और उस समय ऐसा लगा कि भारत केवल क्रिकेट ही खेलना जानता है, लेकिन आज का दौर अलग है. नीरज चोपड़ा हों, साक्षी मलिक हों या पारुल चौधरी, एथलेंटिक्स से लेकर भाला फेंक और कुश्ती से लेकर लंबी कूद तक में भारत के खिलाड़ी अपनी पहचान छोड़ रहे हैं. चीन में जारी एशियाड में इस बार भारतीय खिलाड़ियों ने इतिहास रच दिया है. भारत के अब तक 90 से अधिक पदक हो चुके हैं और इतने पदक पक्के हो चुके हैं कि भारत कम से कम 100 पदक अपनी झोली में डालकर आएगा. 


नयी खेल नीति भी है जिम्मेदार


उत्तर प्रदेश की पारुल चौधरी से जब पत्रकारों ने पूछा कि लंबी दूरी की दौड़ में वह इतना अच्छा परफॉर्म कैसे कर पाई, तो उसका मासूम सा जवाब था कि यूपी सरकार की नयी नीति में विश्व चैंपियन खिलाड़ियों को सीधा डीएसपी बनाते हैं और मुझे वही चाहिए था, इसलिए स्वर्ण से नीचे समझौते की वजह नहीं थी. मेरठ की पारुल और अन्नू चौधरी ने एशियाड में इतिहास रच दिया है. पारुल ने भले ही भोलेपन में यह जवाब दिया है, लेकिन इतना तो तय है कि सरकारी प्रोत्साहन ने खेलों के लिए युवाओं-युवतियों में रुझान जगाया है. भारतीय खिलाड़ियों ने अब तक 21 स्वर्ण, 33 रजत और 37 कांस्य पदक जीते हैं, साथ ही 3 मेडल तीरंदाजी में, 2 कबड्डी में जबकि बैडमिंटन, ब्रिज, क्रिकेट और हॉकी में भी एक-एक मेडल पक्के हैं. इससे पहले भारत ने 2018 में गेम्स में सबसे बेस्ट प्रदर्शन करते हुए 70 मेडल अपने नाम किए थे. भारतीय खिलाड़ी अब तक यानी 6 अक्टूबर तक 91 पदक जीत चुके हैं और उनके बाकी 9 पदक पक्के हैं. जाहिर है कि भारत की पदक तालिका में 100 पदक तो रहनेवाले हैं ही. यह जब से एशियाड शुरू हुए हैं, तब से अब तक का सबसे शानदार प्रदर्शन है. 1951 से खेले जा रहे इन खेलों में पहली बार भारत पदकों का शतक लगाएगा. हालांकि, चीनी अंपायरों के पक्षपात की भी खबरें आ रही हैं, इसके बावजूद भारतीय खिलाड़ी पूरी खेल भावना के साथ अपना उच्चतम प्रदर्शन कर रहे हैं. 



मोदी सरकार का खेलों पर खास ध्यान 


पिछले 8 साल में मोदी सरकार ने खेलों का बजट बढ़ाया है, खेलों को रोजगार से जोड़ा है और नयी शिक्षा नीति में खेलकूद बाकायदा एक विषय के तौर पर पढ़ाए जानेवाला है. जब कोई खिलाड़ी बनता है, तो वह केवल एक रोजगार नहीं पैदा करता है, बल्कि फिजियो, खेल के साजोसामान, उनसे जुड़े तमाम तरह के रोजगार को पैदा करता है. पिछले 8 वर्षों में देश का खेल-बजट 70 प्रतिशत बढ़ा दिया गया है. वहीं, जहां पहले भारत के खिलाड़ी कुछ ही खेलों में यानी 25-30 खेलों में 100 से भी कम अंतरराष्ट्रीय स्पर्द्धा में हिस्सा लेते थे, अब भारतीय खिलाड़ी 40 खेलों में 300 से अधिक खेलों में हिस्सा लेने जाते हैं. एशियाड से पहले भारत ने टोक्यो ओलंपिक और पैरालंपिक में शानदार प्रदर्शन किया. भारत 20 वीं सदी की शुरुआत यानी 1900 ईस्वी से ओलंपिक में हिस्सा लेता रहा है और उसने टोक्यो ओलंपिक में कुल 7 पदक अपने नाम किए, यह भारतीय खिलाड़ियों का अब तक सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था.



भारतीय हॉकी टीम ने ओलंपिक खेलों में पूरे चार दशक बाद कोई पदक जीता और 41 साल के बाद पुरुष हॉकी टीम ने कांस्य पदक अपने नाम किया. वहीं नीरज चोपड़ा पहले ऐसे खिलाड़ी बने जिन्होंने ओलंपिक की एथलेटिक्स स्पर्द्धा में अपने देश भारत को पदक दिलवाया. प्रधानमंत्री मोदी का खेलों पर विशेष ध्यान है और भारत ने अभी ही से अगले ओलंपिक की तैयारी शुरू कर दी है. भारतीय खेल प्राधिकरण की तरफ से 21 खेलों के लिए 398 कोच की तैनाती की गयी है. इनमें कई पूर्व अंतरराष्ट्रीय एथलीट हैं, कई अर्जुन पुरस्कार विजेता हैं, जो अपने-अपने क्षेत्र के विजेता हैं. उनमें से कई विश्व चैंपियनशिप हैं या ओलंपिक विजेता हैं या उसमें हिस्सा लिया है. 


इस बार के एशियाड को मिलाकर यह 7वीं बार है, जब भारत ने 50 से अधिक पदक जीते हैं. प्रधानमंत्री मोदी खुद भी जीते हुए खिलाड़ियों से बात करने के अलावा जो हारे हुए खिलाड़ी हैं, उनसे खासतौर पर बात करते हैं, उनका उत्साह बढ़ाते हैं. सरकार खेलों को रोजगार से जोड़ रही है और खेलो इंडिया अभियान के तहत तमाम मंत्री और नेता छोटे-छोटे कस्बों, शहरों और जगहों पर भी खेल का इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर रहा है. गांवो और कस्बों में खेल के बुनियादी ढांचे के उपलब्ध होने से प्रतिभाओं की बहुत जल्द पहचान हो जा रही है और उन जगहों से भी खिलाड़ियों की संख्या बढ़ रही है. जिस एथलेटिक्स में कभी हमारा कोई नामलेवा नहीं था, वहीं अब हम स्वर्ण-रजत जीत रहे हैं. भारत ने एशियाड में इस बार अब तक सबसे अधिक 29 मेडल एथलेटिक्स में जीते हैं. इसमें 6 गोल्ड, 14 सिल्वर और 9 ब्रॉन्ज मेडल शामिल है. 2024 और 2028 के ओलंपिक को लेकर भी अब तैयारियां पूरे तरीके से चल रही हैं और उम्मीद की जानी चाहिए कि ओलंपिक में भी भारत अपना तिरंगा इसी तरह ऊंचा लहराएगा.