भू-राजनीतिक वास्तविकता, रणनीतिक भागीदारी और पारस्परिक लाभ...भारत के पुराने दोस्त रुस के साथ संबंधों की जयशंकर ने बताई अहमियत
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि आज की बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया, इसे बदलती परिस्थितियों और मांगों के अनुसार समायोजित किया.
भारत और इसके पुराने दोस्त रुस के बीच संबंध हमेशा से अच्छे रहे हैं और भारत की मुश्किलों में वो साथ देता रहा है. मॉस्को दौरे पर गए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने दोनों देशों के बीच संबंधों की अहमियत बताई. उन्होंने बुधवार को कहा कि भारत-रूस संबंध भू-राजनीतिक वास्तविकताओं, रणनीतिक भागीदारी और पारस्परिक लाभ को दर्शाते हैं. जयशंकर ने रूस के अपने समकक्ष सर्गेई लावरोव के साथ “सार्थक” बैठक की और इस दौरान उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्थिति और सम-सामयिक मुद्दों पर बात की.
रूस की पांच दिवसीय यात्रा पर आए जयशंकर ने लावरोव के साथ हिंद-प्रशांत क्षेत्र, यूक्रेन संघर्ष, गाजा की स्थिति, अफगानिस्तान और मध्य एशिया, ब्रिक्स, शंघाई सहयोग संगठन, जी20 और संयुक्त राष्ट्र पर भी विचार-विमर्श किया.
जयशंकर ने सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ एक व्यापक और उपयोगी बैठक हुई. रणनीतिक साझेदार के रूप में, अंतरराष्ट्रीय स्थिति और समसामयिक मुद्दों पर चर्चा की गई.” उन्होंने द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग, ऊर्जा व्यापार, कनेक्टिविटी प्रयासों, सैन्य-तकनीकी सहयोग और दोनों देशों के लोगों के बीच संपर्क में हुई प्रगति का उल्लेख किया.
विदेश मंत्री ने कहा, '2024-28 की अवधि के लिए परामर्श प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए गए. भारत-रूस संबंध भू-राजनीतिक वास्तविकताओं, रणनीतिक भागीदारी और पारस्परिक लाभ को दर्शाते हैं.' उन्होंने वार्ता के बाद लावरोव के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन के दौरान एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, 'हमारे लिए, रूस एक मूल्यवान साझेदार है, समय की कसौटी पर परखा हुआ साझेदार है. ये एक ऐसा रिश्ता है जिससे भारत और रूस दोनों को काफी फायदा हुआ है.'
रूस, भारत और ईरान ने 2000 में उत्तर-दक्षिण मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर के निर्माण पर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. इसमें भागीदारों की संख्या बढ़कर 14 हो गई है. परियोजना का लक्ष्य भारत, ईरान और फारस की खाड़ी के देशों से रूसी क्षेत्र के माध्यम से पारगमन माल ढुलाई को यूरोप तक लाना है. विदेश मंत्री ने कहा, 'हम इस तथ्य की सराहना करते हैं कि हमारा व्यापार अब तक के उच्चतम स्तर पर है. हमने पिछले साल 50 अरब डॉलर से ज्यादा का कारोबार किया था. हमें इस साल इससे अधिक होने की उम्मीद है. और महत्वपूर्ण बात यह है कि यह व्यापार अधिक संतुलित है। यह टिकाऊ है, और निष्पक्ष बाजार पहुंच प्रदान करता है.''
दोनों पक्षों ने रूसी सुदूर पूर्व के साथ अपने संबंधों में सहयोग पर भी चर्चा की. जयशंकर ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि जनवरी में वाइब्रेंट गुजरात बैठक में सुदूर पूर्व से एक प्रतिनिधिमंडल भाग लेगा. विदेश मंत्री ने कहा, 'हमने दीर्घकालिक व्यवस्थाओं पर चर्चा की. हम ऊर्जा, उर्वरक और भोजन पकाने में इस्तेमाल होने वाले कोयले के लिए व्यापक व्यापार कर रहे हैं. हम इस संबंध में दीर्घकालिक व्यवस्थाओं तक कैसे पहुंच सकते हैं, इसपर व्यापक चर्चा हुई. हमने द्विपक्षीय निवेश और द्विपक्षीय निवेश संधि की जरूरत पर बात की.”
इससे पहले बैठक की शुरुआत में जयशंकर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन समय समय पर एक-दूसरे से बात करते रहे हैं. जयशंकर ने कहा, “हमारे संबंध बेहद मजबूत, बेहद स्थिर हैं और मुझे लगता है कि हम एक विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी पर खरे उतरे हैं. इस साल हम पहले ही छह बार मिल चुके हैं और यह सातवीं बैठक है.”
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि आज की बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया, इसे बदलती परिस्थितियों और मांगों के अनुसार समायोजित किया. उन्होंने कहा कि इस साल दोनों पक्ष सहयोग की अलग-अलग अभिव्यक्तियों के गवाह बने. जयशंकर ने आगे कहा, ‘‘मैं बैठकों में व्लादिवोस्तोक में सुदूर पूर्वी आर्थिक मंच पर सेंट पीटर्सबर्ग अंतरराष्ट्रीय आर्थिक मंच में हमारी उपस्थिति का भी उल्लेख करूंगा. इसके साथ ही, द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग पर भारत, रूस अंतर सरकारी आयोग, जिसकी मैंने उप प्रधानमंत्री डेनिस मंतुरोव के साथ सह-अध्यक्षता की.’’
उन्होंने कहा, 'हम निरंतर प्रगति देखकर बहुत खुश हैं और हमें जनवरी में वाइब्रेंट गुजरात बैठक में मजबूत रूसी भागीदारी की उम्मीद है.' लावरोव ने कहा कि भारत और रूस के बीच संबंध बहुत पुराने हैं और बहुत अच्छे हैं, साथ ही यह देखना सुखद है कि वे वर्तमान समय में लगातार आगे बढ़ रहे हैं.