(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
क्षेत्रीय-वैश्विक चुनौतियां, UN में सुधार और सतत विकास लक्ष्य... UNGA संबोधन से पहले जानिए जयशंकर ने किन मुद्दों को उठाया
जयशंकर ने विशेष ‘इंडिया-यूएन फॉर ग्लोबल साउथ : डिलीवरिंग फॉर डेवलपमेंट’ (‘ग्लोबल साउथ’ के लिए भारत-संयुक्त राष्ट्र: विकास के लिए काम करना) कार्यक्रम में उपस्थित होने के लिए भी फ्रांसिस को धन्यवाद दिया.
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly) के उच्चस्तरीय सत्र में आम बहस को संबोधित करने से एक दिन पहले संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस और महासभा के 78वें सत्र के अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस से वैश्विक संगठन के मुख्यालय में सोमवार को मुलाकात की. उन्होंने भारत की जी20 अध्यक्षता, क्षेत्रीय मामलों एवं वैश्विक चुनौतियों, सतत विकास लक्ष्यों और सुरक्षा परिषद में सुधारों को लेकर उनके साथ चर्चा की.
जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के प्रशासक अचिम स्टीनर से भी मुलाकात की. जयशंकर ने कहा कि गुतारेस से मिलकर ‘‘खुशी’’ हुई. उन्होंने बताया कि दोनों नेताओं ने इस बात पर चर्चा की कि भारत की जी20 अध्यक्षता ने संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास के एजेंडे को ‘‘मजबूत करने में किस प्रकार योगदान’’ दिया. जयशंकर ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘हमने पिछले साल इस संबंध में निकट समन्वय किया.’’
जयशंकर ने यूएन सुधार का मुद्दा उठाया
समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक, उन्होंने अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं में सुधार को लेकर गुतारेस की मजबूत प्रतिबद्धता की सराहना की. संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता के कार्यालय ने बैठक की जानकारी देते हुए बताया कि गुतारेस ने ‘‘संयुक्त राष्ट्र में भारत के सहयोग और जी20 में उसके नेतृत्व की सराहना की.’’ उन्होंने बताया कि गुतारेस और जयशंकर ने ‘‘अफगानिस्तान, म्यांमा में हालात और अन्य वैश्विक चुनौतियों पर भी चर्चा’’ की.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने भारत की जी-20 अध्यक्षता के दौरान 9 और 10 सितंबर को नई दिल्ली में आयोजित जी20 नेताओं के शिखर सम्मेलन में भाग लिया था. जयशंकर ने गुतारेस से मुलाकात से पहले फ्रांसिस के साथ भी बैठक की और भारत की जी20 अध्यक्षता के परिणामों की सराहना करने के लिए उन्हें धन्यवाद दिया. जयशंकर ने कहा, ‘‘भरोसा है कि यह संयुक्त राष्ट्र महासभा के विचार-विमर्श में योगदान देगा. बहुपक्षवाद में सुधार और हमारे समय के अहम मुद्दों पर ‘ग्लोबल साउथ’ को उसका हक दिलाने की महत्ता पर चर्चा हुई.’’
‘ग्लोबल साउथ’ शब्द का इस्तेमाल उन विकासशील और अल्प विकसित देशों के लिए किया जाता है, जो मुख्य रूप से अफ्रीका, एशिया और लातिन अमेरिका में स्थित हैं. फ्रांसिस ने ‘एक्स’ के जरिए कहा कि उन्हें जयशंकर से मिलकर ‘‘खुशी’’ हुई और उन्होंने विदेश मंत्री को भारत की ‘‘सफल जी20 अध्यक्षता, विशेष रूप से ‘ग्लोबल साउथ’ के समर्थन में भारत की मजबूत प्रतिबद्धता को लेकर बधाई दी.’’
फ्रांसिस ने कहा कि उन्होंने 78वें संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) सत्र की प्राथमिकताओं और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में सुधार एवं सतत विकास लक्ष्य शिखर सम्मेलन के परिणामों को आगे बढ़ाने समेत प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की.
यूएनडीपी की भागीदारी की सराहना
जयशंकर ने विशेष ‘इंडिया-यूएन फॉर ग्लोबल साउथ : डिलीवरिंग फॉर डेवलपमेंट’ (‘ग्लोबल साउथ’ के लिए भारत-संयुक्त राष्ट्र: विकास के लिए काम करना) कार्यक्रम में उपस्थित होने के लिए भी फ्रांसिस को धन्यवाद दिया. विदेश मंत्री ने शनिवार को न्यूयॉर्क में इस कार्यक्रम की मेजबानी की थी. जयशंकर ने स्टीनर के साथ अपनी बैठक में भारत की जी20 अध्यक्षता के दौरान की गई पहलों में यूएनडीपी की भागीदारी की सराहना की. उन्होंने कहा, ‘‘वैश्विक लाभ के मकसद से भारतीय सफलता की कहानियों को आगे बढ़ाने के लिए मिलकर काम कर सकते हैं.’’
जयशंकर ने न्यूयॉर्क में संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायद अल नाहयान से भी मुलाकात की. उन्होंने बाद में ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायद से मिलकर हमेशा खुशी होती है, इस बार न्यूयॉर्क में मुलाकात हुई. मैं हमारे द्विपक्षीय सहयोग के तेजी से आगे बढ़ने की सराहना करता हूं. क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर दृष्टिकोण के हमारे नियमित आदान-प्रदान को महत्व देता हूं.’’ विदेश मंत्री ने बताया कि उन्होंने मेडागास्कर की विदेश मंत्री यवेटे सिल्ला के साथ भी बैठक की. उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘विकास साझेदारी, बाजरा और चावल उत्पादन, डिजिटल पहुंच और रक्षा सहयोग पर चर्चा की गई.’’
जयशंकर ने रविवार को यहां संयुक्त राष्ट्र महासभा के उच्च स्तरीय सत्र से इतर मैक्सिको, बोस्निया एवं हर्जेगोविना और आर्मेनिया सहित कई देशों के अपने समकक्षों के साथ द्विपक्षीय बैठकें की थीं, जिनमें बहुपक्षवाद में सुधार और जी20 में सहयोग पर विचारों का आदान-प्रदान हुआ था.
शांतिपूर्ण समाधान पर भारत का जोर-आर्मी चीफ
इधर, आर्मी चीफ जनरल मनोज पांडे ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य क्षमता को लेकर वैश्विक चिंताओं के बीच मंगलवार को कहा कि हिंद-प्रशांत के लिए भारत का दृष्टिकोण सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान पर जोर देता है. हिंद-प्रशांत देशों के सेना प्रमुखों के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए आर्मी चीफ ने कहा कि शांति, स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए क्षेत्र में सभी पक्षों के साथ सकारात्मक बातचीत करने की भारत की प्रतिबद्धता अटूट और निरंतर स्थिर बनी रही है.
उन्होंने कहा कि हिंद-प्रशांत के लिए भारत का दृष्टिकोण विवादों के शांतिपूर्ण समाधान पर, बल के प्रयोग से बचने पर और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के पालन पर जोर देता है। सेना प्रमुख ने कहा, ‘‘राष्ट्रों द्वारा मुक्त हिंद-प्रशांत की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं, फिर भी हम अंतरराज्यीय विवादों और प्रतिस्पर्धाओं का गवाह बन रहे हैं.’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम सीमा पार से चुनौतियों का सामना कर रहे हैं और उनके प्रति हमारी प्रतिक्रिया में इस बात को ध्यान में रखा जाना चाहिए।’’ हिंद-प्रशांत के महत्व पर जोर देते हुए जनरल पांडे ने कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र महज राष्ट्रों का समूह नहीं है, बल्कि यह एक-दूसरे पर परस्पर निर्भरता का उदाहरण है. पांडे ने कहा, ‘‘हमारा लक्ष्य विश्वास कायम करना तथा सहयोग मजबूत करना है.’’