बीजिंग-थिम्पू सीमा वार्ता के बाद भूटान पहुंचे विदेश सचिव विनय क्वात्रा, डोकलाम से जुड़े खतरों पर भारत का रखेंगे पक्ष
India Bhutan: विदेश सचिव विनय क्वात्रा तीन दिन की यात्रा पर 18 जनवरी को भूटान पहुंचे. ये दौरा उस वक्त हो रहा है, जब बीजिंग-थिम्पू के बीच सीमा वार्ता अपने नतीजे पर पहुंचने वाला है.
Neighbourhood Watch: पिछले हफ्ते बीजिंग और थिम्पू के अधिकारियों की ओर से सीमा विवाद पर वार्ता के कुछ ही दिनों बाद ही भारत के विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा (Vinay Mohan Kwatra) भूटान की यात्रा पर पारो पहुंचे हैं. विनय क्वात्रा 20 जनवरी तक भूटान रहेंगे.
भूटान के विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि क्वात्रा अपनी यात्रा के दौरान यहां के प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री से भी मुलाकात करेंगे. इसके अलावा वे भूटान के विदेश सचिव पेमा चोडेन (A Pema Choden) के साथ आपसी हितों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करेंगे.
चौथी भारत-भूटान विकास सहयोग वार्ता
भूटान में भारतीय दूतावास ने भी ट्वीट किया है कि विनय क्वात्रा 18-20 जनवरी की यात्रा के दौरान भूटान के विदेश सचिव ए पेमा चोडेन के साथ द्विपक्षीय बातचीत के अलावा चौथी भारत-भूटान विकास सहयोग वार्ता की सह अध्यक्षता करेंगे. छह महीने के भीतर ये दूसरा मौका है, जब विदेश सचिव क्वात्रा भूटान की यात्रा पर हैं. उन्होंने अगस्त 2022 में भी भूटान की यात्रा की थी.
Welcomed Foreign Secretary @AmbVMKwatra on his arrival at Paro, for an official visit to Bhutan from 18-20 January. He will hold bilateral consultations with Foreign Secretary of Bhutan Aum Pema Choden and co-chair the 4th India-Bhutan Development Cooperation Talks. pic.twitter.com/y3RijsvqHL
— India in Bhutan (@Indiainbhutan) January 18, 2023
भारतीय दूतावास ने कहा है "विनय क्वात्रा की यह यात्रा भारत और भूटान के बीच नियमित रूप से उच्च स्तरीय आदान-प्रदान की परंपरा के अनुरूप है और इसमें दोनों पक्षों को अपने द्विपक्षीय संबंधों के सभी पहलुओं पर चर्चा करने का मौका मिलेगा."
चीन-भूटान वार्ता का भारत के लिए मायने
सूत्रों ने एबीपी लाइव को बताया है कि यात्रा के दौरान दोनों पक्ष सीमा के समाधान पर चीन और भूटान के बीच हाल ही में हुई वार्ता पर चर्चा करेंगे क्योंकि दोनों देशों के साथ निकटता और इस मुद्दे पर दशकों से चले आ रहे तनाव के कारण भारत पर भी इसका प्रभाव पड़ा है. भारत पहले से ही अप्रैल-मई 2020 से वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन के साथ सीमा गतिरोध में उलझा हुआ है. पिछले हफ्ते, चीन और भूटान ने वार्ता का एक और दौर आयोजित किया. इसमें दोनों देश 477 किलोमीटर लंबी सीमा से जुड़े विवादित मसले पर सकारात्मक सहमति के साथ वार्ता को आगे बढ़ाने पर राजी हुए हैं. यह वार्ता चीन और भूटान के बीच 10-13 जनवरी तक 11वीं विशेषज्ञ समूह बैठक (EGM) के हिस्से के रूप में आयोजित की गई थी. बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान के मुताबिक दोनों पक्ष सीमा विवाद के निपटारे के लिए तीन चरण वाले रोडमैप को आगे लागू करने पर भी सहमत हुए हैं. इसको लेकर दोनों देशों ने 2021 में एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए थे.
भूटान-चीन वार्ता पर भारत की नज़र
सूत्रों के मुताबिक भारत के लिए ये आकलन जरूरी है कि भूटान-चीन के बीच वार्ता किस दिशा में जा रही है क्योंकि दशकों पहले वार्ता शुरू होने के बाद से दोनों देशों के बीच बनी समझ के मुताबिक चीन उत्तर में अपने क्षेत्र का कुछ हिस्सा भूटान को देगा. उसके एवज में भूटान अपने पश्चिम क्षेत्र से कुछ हिस्सा चीन को देगा. भूटान के इस क्षेत्र में डोकलाम रीजन भी आता है. ये पहलू भारत के नजरिए से बेहद ही महत्वपूर्ण है क्योंकि अगर चीन डोकलाम पर नियंत्रण हासिल करने में सक्षम हो जाता है, तो इससे चीन की उत्तर-पूर्वी हिस्से तक सीधी पहुंच हो जाएगी. ये सिलीगुड़ी कॉरिडोर या चिकन नेक (Chicken’s Neck) वाले क्षेत्र में आता है. अगर ऐसा हो गया तो चीन को भारत पर रणनीतिक लाभ मिल जाएगा.
क्वात्रा भारत की चिंताओं को उठाएंगे
यात्रा के दौरान उम्मीद है कि विदेश सचिव क्वात्रा इस क्षेत्र से जुड़े मुद्दे पर भारत की चिंताओं से भूटान को अवगत कराएंगे. इसके अलावा ट्राइजंक्शन क्षेत्र (trijunction area) में चीन से जुड़े खतरों को लेकर भी अपनी बात रखेंगे. 2017 में इसी एरिया में भारत-चीन के बीच 73 दिनों तक सैन्य गतिरोध बना रहा था. अगली विशेषज्ञ समूह बैठक (EGM) में ट्राइजंक्शन क्षेत्र को लेकर चीन-भूटान के बीच बातचीत होने की संभावना है. इसके अलावा, विदेश सचिव भारत की 'नेबरहुड फर्स्ट' और 'एक्ट ईस्ट' नीतियों से संबंधित मुद्दों पर भी चर्चा करेंगे, जिसमें भूटान की महत्वपूर्ण भूमिका है. सुरक्षा मुहैया कराने के नजरिए से भारत भी भूटान के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. भारतीय सैन्य प्रशिक्षण दल (IMTRAT) वहां के सुरक्षा बलों को ट्रेनिंग देने के लिए भूटान में स्थित है. इससे 1961 से दोनों पड़ोसियों के बीच रणनीतिक और सुरक्षा संबंधों को बढ़ाने में मदद मिली है.
पनबिजली परियोजनाएं की समीक्षा
रक्षा और सुरक्षा मुद्दों के अलावा, विदेश सचिव संयुक्त पनबिजली परियोजनाओं पर भी चर्चा करेंगे. पनबिजली परियोजनाएं भारत-भूटान संबंधों की आधारशिला है. विनय क्वात्रा भूटान-भारत जलविद्युत सहयोग की समीक्षा के लिए अक्टूबर 2022 में हुई बैठक का भी जायजा लेंगे. भारत और भूटान 600 मेगावाट की खोलोंगछु हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट लिमिटेड ( KHEL)पर तेजी से काम करने पर सहमत हुए हैं. इस परियोजना के 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है. विदेश सचिव विनय क्वात्रा की भूटान यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब करीब ढाई महीने पहले ही रायल भूटान सेना के मुख्य परिचालन अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल बाटू शेरिंग ने भारत की यात्रा की थी. शेरिंग की यात्रा के दौरान भारत भूटान रक्षा सहयोग के महत्वपूर्ण आयाम पर चर्चा हुई थी.
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