FTP-2023 के जरिए भारत ने 2030 तक 2 ट्रिलियन डॉलर के निर्यात का रखा है लक्ष्य
भारत की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर का बनाने के लक्ष्य के साथ सरकार आगे बढ़ रही है. अभी हम वैश्विक अर्थव्यवस्था में पांचवें सबसे बड़े अर्थतंत्र हैं, लेकिन हम जल्द ही जर्मनी को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर हैं.
केंद्र की मोदी सरकार ने शुक्रवार को अपनी नई विदेश व्यापार नीति (Foreign Trade Policy-2023) को मंजूरी दे दी. केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण और कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल ने नई विदेश व्यापार नीति की शुरुआत करते हुए कहा है कि यह गतिशील है और समय के मुताबिक हमारी जरूरतों को पूरा करने के लिए इसे खुला रखा गया है. उन्होंने कहा कि हम अपने व्यापार नीति को लेकर लंबे समय से चर्चा कर रहे थे और इसे तैयार करने में कई हितधारकों से परामर्श लिया गया है. उन्होंने कहा कि सेवाओं और व्यापारिक वस्तुओं के निर्यात सहित भारत का कुल निर्यात 750 अरब अमेरिकी डॉलर के आंकड़े को पार कर चुका है. इस साल यह 760 अरब अमेरिकी डॉलर को पार कर सकता है.
पीयूष गोयल ने मंत्री 6 अगस्त, 2021 को निर्यातकों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बातचीत का जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें निर्यात बढ़ाने और ग्लोबल वैल्यू चेन में अधिक गहराई से शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया. उन्होंने प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण और मार्गदर्शन की सराहना करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री का मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था, विनिर्माण और सेवा क्षेत्र के के आकार को देखते हुए, देश के विकास की क्षमता कई गुना अधिक है...उन्होंने कहा कि यह व्यापार विजन उसी को ध्यान में रखकर बनाई गई है. उन्होंने जोर देकर कहा कि यह नीति निर्यात के हर अवसरों को कैप्चर करने वाला है और हमें इसका प्रभावी ढंग से उपयोग करना चाहिए. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारत की जी20 अध्यक्षता के दौरान अगले 5 महीनों में दुनिया के विभिन्न देशों के साथ हर-क्षेत्र में व्यापार को बढ़ाने के लिए ध्यान केंद्रित कर रही है.
नई व्यापार नीति में मुख्य रूप से चार स्तंभों को फोकस किया गया है. जिसमें पहला छूट के लिए प्रोत्साहन देना, सहयोग के माध्यम से निर्यात प्रोत्साहन -निर्यातक, राज्य, जिले, भारतीय मिशन को बढ़ावा देना, व्यापार करने के लिए प्रक्रिया को और आसान करना, लेनदेन की लागत में कमी लाना और ई-पहल को बढ़ावा देना और उभरते क्षेत्र जैसे ई-कॉमर्स के निर्यात को बढ़ाने के लिए विकासशील जिले को हब के रूप में विकसित करना और SCOMET (Special Chemicals, Organisms, Materials, Equipment and Technologies) नीति को सुव्यवस्थित करने को शामिल किया गया है. उन्होंने कहा कि इस विदेश व्यापार नीति को किसी तय समयावधि के लिए नहीं बनाया गया है बल्कि यह निरंतर चलता रहेगा और समय-समय पर इसमें जो कमियां पाई जाएंगी उसमें बदलाव होता रहेगा.
इससे पहले FTP-2015-20 में, नई एफ़टीपी की घोषणा के बिना भी उभरती परिस्थितियों के लिए गतिशील रूप से प्रतिक्रिया करते हुए प्रारंभिक रिलीज़ के बाद परिवर्तन किए गए थे. इसके बाद भी एफ़टीपी के संशोधन जब भी आवश्यक होंगे. एफ़टीपी 2023 का उद्देश्य निर्यातकों के लिए व्यापार करने में आसानी की सुविधा के लिए री-इंजीनियरिंग और ऑटोमेशन की प्रक्रिया को बढ़ाना है. स्कोमेट के तहत दोहरे उपयोग वाली हाई इंड प्रौद्योगिकी जैसे उभरते क्षेत्रों पर भी ध्यान केंद्रित करता है और ई-कॉमर्स निर्यात को सुविधाजनक बनाता है, निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए राज्यों और जिलों के साथ सहयोग करने पर बल देता है.
नई एफटीपी निर्यातकों के लिए पुराने लंबित प्राधिकरणों को बंद करने और उसे नए सिरे से शुरू करने के लिए एकमुश्त एमनेस्टी योजना शुरू कर रहा है. एफ़टीपी 2023 "टाउन ऑफ़ एक्सपोर्ट एक्सीलेंस स्कीम" के माध्यम से नए शहरों और "स्टेटस होल्डर स्कीम" के माध्यम से निर्यातकों की पहचान कर उन्हें प्रोत्साहित करेगा. यह एक लोकप्रिय अग्रिम प्राधिकरण और EPCG योजनाओं को सुव्यवस्थित करके और भारत से मर्चेंटिंग व्यापार को सक्षम करके निर्यात की सुविधा प्रदान कर रहा है. मैन्युअल इंटरफ़ेस की आवश्यकता को समाप्त करते हुए, निर्यात उत्पादन के लिए शुल्क छूट योजनाओं को अब नियम-आधारित आईटी सिस्टम वातावरण में क्षेत्रीय कार्यालयों के माध्यम से लागू किया जाएगा. सरकार ने यह भी कहा है नई नीति के तहत अब कोई भी उद्योग एक देश से सामान की खरीदारी कर दूसरे देशों का डायरेक्ट भेज सकेगा बिना भारतीय समुद्री तटों को छुए.
लाइसेंस परमिट राज के समय में EXIM Policy के जरिए आयात को प्रतिबंधित कर दिया गया था. लेकिन हम अपने इस नई नीति के तहत व्यापार की सुविधाओं को बढ़ाने और कुछ स्कीमों को लागू करने जैसे EPCG और एडवांस लाईसेंसिंग पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. एमनेस्टी योजना जोकि 30 सितंबर तक खुल जाएगा और दो योजनाओं के तहत एक्सपोर्ट ऑब्लिगेशन को रेगुलराइज किया जाएगा. इसके अलावा डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड ने ग्रांट ऑफ एक्सपोर्ट बेनिफिट और एक्सपोर्ट को पूरा करने के लिए फुलफिलमेंट ऑफ एक्सपोर्ट ऑब्लिगेशन के तहत भारतीय रुपयों में ट्रेड सेटलमेंट करने की अनुमति दी गई है. वैसे देश जहां पर करेंसी फेल्योर हो गए हैं या वहां डॉलर में भुगतान करना संभव नहीं है तो उन देशों के साथ
हम रुपये में डील करेंगे.
नई ट्रेड पॉलिसी की कुछ मुख्य बातें---
1. मौजूदा 39 शहरों के अलावा फरीदाबाद (परिधान के लिए), मिर्जापुर (हाथों से बने कारपेट), मुरादाबाद (कारपेट) और वाराणसी (हैंडलूम और हैंडीक्राफ्ट) इन चार नए शहरों को टाउन ऑफ एक्सपोर्ट एक्सीलेंस (टीईई) के रूप में नामित किया गया है. इन शहरों के पास MAI योजना के तहत निर्यात प्रोत्साहन निधि तक प्राथमिकता पहुंच होगी और ये सभी शहर EPCG योजना के तहत निर्यात की पूर्ति के लिए सामान्य सेवा प्रदाता (CSP) लाभ प्राप्त करने में सक्षम होंगे.
2. निर्यात प्रदर्शन के आधार पर मान्यता प्राप्त निर्यातक फर्म अब क्षमता निर्माण की पहलों में भागीदार होंगी. 'each one teach one' पहल की तरह, 2-स्टार और उससे ऊपर के धारकों को रुचि रखने वाले व्यक्तियों को मॉडल पाठ्यक्रम के आधार पर व्यापार से संबंधित प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. इससे भारत को 2030 से पहले 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में एक सक्षम व कुशल जनशक्ति का बड़ा पुल बनाने में मदद मिलेगी.
3. एफटीपी का उद्देश्य राज्य सरकारों के साथ साझेदारी करना और जिला स्तर पर निर्यात को बढ़ावा देने और जमीनी व्यापार पारिस्थितिकी तंत्र के विकास में तेजी लाने के लिए जिलों को निर्यात हब (DEH) के रूप में आगे ले जाना है.
4. E-commerce के जरिए निर्यात को बढ़ावा देने के लिए पारंपरिक ऑफ़ लाइन व्यापार नीति से अलग नीतिगत हस्तक्षेप की आवश्यकता है. विभिन्न अनुमानों के मुताबिक 2030 देश के ई-कॉमर्स निर्यात की क्षमता 200 से 300 बिलियन डॉलर तक की सीमा तक पहुंच जाएगी. एफ़टीपी 2023 ई-कॉमर्स हब और संबंधित तत्वों जैसे भुगतान के समाधान, बुक-कीपिंग, रिटर्न पॉलिसी और निर्यात पात्रता के रोडमैप की रूपरेखा तैयार करता है.