'डिजिटल इंडिया' की सफलता के बाद अब भारत पूरी दुनिया के सामने डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन और भारत में चल रहे डिजिटल रेवल्यूशन की शक्ति को प्रदर्शित करने के लिए तैयार है. दरअसल भारत 1 दिसंबर 2022 से G-20 देशों के समूह की अध्यक्षता करने जा रहा है. भारत की इस मेजबानी से देश के डिजिटल इंडिया प्रोग्राम को बल मिलेगा.
एक तरफ जहां पूरी दुनिया नए डिजिटल वर्ल्ड की तरफ कदम बढ़ा रहा है, वहीं दूसरी तरफ भारत 'ई- आधार कार्ड' और 'यूपीआई सर्विस' को डिजिटली जोड़ कर ना सिर्फ एक ट्रेंडसेटर बन गया है. बल्कि यह डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन की दुनिया में क्रांति से कम नहीं है.
इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) के मुख्य अर्थशास्त्री पियरे ओलिवर गोरिंचेस ने भी भारत के डिजिटलीकरण के प्रयासों की सराहना की है. उन्होंने कहा कि यह कदम भारत में बहुत बड़ा बदलाव लाने वाला. उन्होंने कहा कि इस कदम ने भारत की सरकार के लिए ऐसे काम करना संभव हुआ है जो बिना इसके बहुत कठिन साबित होते. उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर डिजटलीकरण एक तरह से भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए गेम चेंजर साबित हुआ है.
डिजिटलीकरण कई पहलुओं में मददगार
एक सवाल के जवाब में गोरिंचेस ने भारत के डिजिटलीकरण के प्रयासों के बारे में न्यूज एजेंसी से बात करते हुए कहा कि डिजिटलीकरण कई पहलुओं में मददगार रहा है. जैसे फाइनेंशियल इनक्लूजन. उन्होंने कहा कि भारत जैसे देशों में बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जो बैंकिंग प्रणाली से नहीं जुड़े हैं, लेकिन अब डिजिटल वॉलेट आने के बाद से लोग डिजिटली लेनदेन में सक्षम हो पाए हैं. उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि डिजिटलीकरण से भारत सरकार बहुत से ऐसे काम कर पाई जो इसके बिना मुश्किल होते. यह निश्चित ही स्वागत के योग्य है.
बिग 4 कंसल्टिंग फर्म के एक पार्टनर ने एबीपी न्यूज को बताया, दुनिया के कुछ प्रमुख विकासशील अर्थव्यवस्थाओं वाले देश ने भी अपने देश में आधार कार्ड जैसा यूनिक नंबर लाने की इच्छा जताई है. अब जी-20 की अध्यक्षता के साथ भारत दुनिया को सिखा पाएगा कि इस तरह की योजना को बड़े स्तर पर कैसे लागू किया जा सकता है.
डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड (डीपीआईआईटी) के सचिव अनुराग जैन ने दुनिया भर में डिजिटलीकरण को प्रोत्साहित करने के लिए यूपीआई और आधार जैसे ओपन सोर्स और इंटर-ऑपरेबल प्लेटफॉर्म को विकसित करने और लागू करने के लिए जी-20 देशों का आह्वान किया. उन्होंने कहा जैसा कि वैश्विक अर्थव्यवस्थाएं तेजी से डिजिटल हो रही हैं, एक ओपन सोर्स, ओपन एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (एपीआई), और सार्वजनिक डिजिटल प्लेटफॉर्म के लिए एक इंटर ऑपरेबल फ्रेमवर्क पर सहमत होना जरूरी है.
G-20 देशों के समूह की अध्यक्षता करेगा भारत
दरअसल 1 दिसंबर 2022 से भारत G-20 देशों के समूह की अध्यक्षता करने जा रहा है. भारत की इस मेजबानी से देश के डिजिटल इंडिया प्रोग्राम को बल मिलेगा. G-20 सम्मेलन में कुल 200 बैठकें होगी. जिनकी मेजबानी दिसंबर 2022 से लेकर 30 नवंबर 2023 तक भारत करेगा. ये बैठकें देश के ही अलग अलग राज्यों में होगी जिसके लिए दूसरे देशों के प्रतिनिधि भारत पहुंचेंगे.देश के लिए ये एक गौरवशाली पल होगा. क्योंकि दुनियाभर में डिजिटल इंडिया की सफलता का डंका बजेगा और इसके लिए भारत पूरी तरीके से तैयार है.
डिजिटल इंडिया भारत सरकार का एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है. जिसका उद्देश्य देश को डिजिटल रूप में सशक्त ज्ञान अर्थव्यव्था के रूप में विकसित करना है. साथ ही ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट, ब्रॉडबैंड कनेक्शन जैसी सुविधाओं को विकसित करना. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी शुरुआत 1 जुलाई 2015 को की थी और आज इस योजना को 7 साल हो चुके हैं. ऐसे में ना केवल शहरी इलाकों में बल्कि ग्रामीण इलाकों में डिजिटल इंडिया का विस्तार हुआ है. लोगों के पहचान पत्र से लेकर ऑनलाइन पेमेंट,ट्रांसफर जैसी चीजें आसान हुई हैं. आधार (एक विशिष्ट पहचान संख्या) प्रमाणीकरण, यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई), एक तत्काल वास्तविक समय भुगतान प्रणाली, CoWIN की मेगा सफलता के साथ वैश्विक डिजिटल बुनियादी ढांचे को मजबूत किया गया है.
बाली में पीएम मोदी ने डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन को लेकर क्या कहा
वर्तमान में पीएम मोदी जी-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने बाली पहुंचे हैं. यहां पर उन्होंने डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन को लेकर अपनी बात अन्य देशों के सामने रखी. उन्होंने कहा कि हमारे देश में डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन का उल्लेखनीय बदलाव है. डिजिटल टेक्नोलॉजी का सही और उचित इस्तेमाल, दशकों से गरीबी के खिलाफ चल रही वैश्विक लड़ाई मे फोर्स मल्टिप्लायर बन सकता है.
उन्होंने कहा कि डिजिटल माध्यम क्लाइमेट चेंज जैसी बड़े संकट के खिलाफ लड़ाई मे भी सहायक हो सकते है. जैसा हम सब ने कोविड के दौरान रिमोट वर्किंग और पेपरलेस ग्रीन ऑफिसेज़ के उदाहरणों मे देखा. हालांकि डिजिटलीकरण का ये लाभ हमें तभी मिल पाएगा जब डिजीटल एक्सेस सच्चे मायने में इनक्ल्यूसिव हो. जब डिजीटल टेक्नोलॉजी का उपयोग सचमुच व्यापक हो. पीएम ने कहा कि दुर्भाग्य की बात ये है कि अब तक हमने इस शक्तिशाली हथियार को सिर्फ साधारण बिजनेस के मापदंड से ही देखा है. डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन के लाभ मानवजाति के एक छोटे अंश तक ही सीमित न रह जाए, यह हम जी-20 लीडर्स की जिम्मेदारी है.
जी20 दुनिया की बीस सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं का समूह है जो वैश्विक अर्थव्यवस्था की दिशा और दशा तय करता है. जी 20 शिखर सम्मेलन के दौरान विश्व की अर्थव्यवस्थाओं का एजेंडा तय किया जाता है. इस समूह में दुनिया की शीर्ष 19 अर्थव्यवस्था वाले देश और यूरोपीय संघ शामिल है.
जी20 सदस्य देशों में ही दुनियाभर का 85 प्रतिशत कारोबार होता है. साल 1999 में आए एशियाई वित्तीय संकट के बाद इस संगठन को बनाया गया और इसका असली असर साल 2008 में आए आर्थिक मंदी के बाद सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों का सालाना सम्मेलन के बाद से दिखा. आगे चलकर जैसे-जैसे दुनिया के मुद्दे बदलते गए, वैसे ही जी20 का एजेंडा भी बदलता गया. इस सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन और ‘अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद’ जैसे मुद्दों पर भी चर्चा होने लगी. अब इस सम्मेलन की अध्यक्षता भारत करने वाला है. ऐसे में हमारे देश के पास जी20 को फिर से उसके आर्थिक लक्ष्यों की तरफ ले जाने का मौका होगा.
तनावपूर्ण माहौल में हो रहा है सम्मेलन
इस साल यानी 2022 का ये शिखर सम्मेलन विवादों और चुनौतियों के बीच हो रहा है. वर्तमान में यूक्रेन रूस के बीच चल रहे युद्ध के कारण दुनिया के सभी देश अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं साथ ही देश की अर्थव्यवस्था भी गिर रही है. इस युद्ध ने महंगाई को रफ्तार दी है. खासकर तेल और खाद्य पदार्थों के दाम बढ़ रहे हैं. इस सम्मेलन के दौरान पश्चिमी सहयोगी देश बढ़ रही महंगाई, ख़ासकर तेल और खाद्य पदार्थों के बढ़ते दामों के लिए पुतिन को ज़िम्मेदार ठहराते हुए रूस पर यूक्रेन युद्ध समाप्त करने के लिए दबाव बना सकते हैं.
ये भी पढ़ें:
इन्फ्रा प्रोजेक्ट में तेजी लाने के लिए भारत ने बनाया अपना 'गूगल मैप'
AI: भारत में क्लिनिकल रिसर्च और दवाओं के परीक्षण का रास्ता आसान कर रहा है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस