देश का कोई भी नागरिक भूखे पेट न सोए इसके लिए भारत सरकार कई योजनाएं लेकर लाई और इनका फायदा भी ऐसे लोगों को मिला है जिन्हें भोजन का इंतजाम करने में परेशानियां पेश आती थीं. साल 2022 तक राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में लाखों मीट्रिक टन अनाज जरूरतमंदों में बांटा गया तो वन नेशन वन राशन कार्ड योजना ने करोड़ों लोगों की खाद्यानों तक पहुंच सुलभ बनाई. उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के निर्देशों पर चलने वाले खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग- डीएफपीडी (DFPD) ने शिद्दत के साथ इन योजनाओं का लाभ जन-जन तक पहुंचाने में कसर नहीं छोड़ी. इतना ही नहीं कृषि प्रधान देश के अन्नदाताओं का भी सरकार ने अपनी योजनाओं में खासा ख्याल रखा है. आगे भी ये योजनाएं जरूरतमंदों के काम आती रहें इसके लिए सरकार की पुरजोर कोशिशें जारी हैं.
सरकारी योजनाएं का कितना पहुंचा फायदा
साल 2022 खत्म होने को है और सरकार भी जरूरतमंद लोगों को अनाज मुहैया कराने की अपनी योजनाओं का लेखा-जोखा तय कर रही है. इसमें कितना अनाज बांटा गया, कितना आगे बांटा जाना है, इस सबके बारे में खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग ने जानकारी दी है. इसमें बताया गया कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को लगभग 1118 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) अनाज बांटा जा चुका है. देश के 26 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 291 जिलों में लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) के तहत फोर्टिफाइड चावल की आपूर्ति की है. बाकी बचे फोर्टिफाइड चावल की आपूर्ति साल 2024 तक की जाएगी. फोर्टिफाइड चावल से मतलब ऐसे चावल से है जो भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के निर्धारित सूक्ष्म पोषक तत्वों (आयरन, फोलिक एसिड, विटामिन बी 12) से भरपूर होता है.
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने 8 अप्रैल 2022 को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत टीपीडीएस के जरिए फोर्टिफाइड चावल की आपूर्ति को मंजूरी दी थी. इसमें बाल विकास सेवाओं (आईसीडीएस), प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण-पीएम पोषण (पूर्व मध्याह्न भोजन योजना -एमडीएम) और अन्य कल्याणकारी योजनाएं (ओडब्ल्यूएस) को शामिल किया गया है. इसके तहत भारत सरकार सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में टीपीडीएस 2024 तक चरणबद्ध तरीके से तीन फेज में फोर्टिफाइड चावल की आपूर्ति कर रही है. इस चावल के फोर्टिफिकेशन की पूरी लागत (लगभग 2,700 करोड़ रुपये प्रति वर्ष) सरकार वहन कर रही है. ये लागत टीपीडीएस के जून, 2024 तक पूरे होने तक खाद्य सब्सिडी के हिस्से के तौर पर दी जा रही है.
वन नेशन वन राशन कार्ड- ओएनआरसी (ONORC) योजना के तहत 93 करोड़ से अधिक पोर्टेबिलिटी लेनदेन दिए गए हैं. इसके तहत अंतर-राज्यीय और अंतर-राज्य यानी राज्य के अंदर और एक राज्य से दूसरे राज्य में 177 लाख मीट्रिक टन से अधिक का अनाज दिया गया. आज ओएनओआरसी देश के टारगेटेड पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम (टीपीडीएस) का एक अहम हिस्सा बन चुकी है. ये योजना प्रवासी परिवारों को खाद्य सुरक्षा देने के मकसद से बनाई गई थी. हालांकि गैर-प्रवासियों पर भी सकारात्मक असर पड़ा है. टीपीडीएस से फायदा पाने वाले परिवार किसी भी फेयर प्राइस शॉप (एफपीएस) से अपना राशन ले सकते हैं.
भारत सरकार की योजनाओं ने केवल देशवासियों को ही फायदा नहीं पहुंचाया बल्कि दूसरे देशों को भी मानवीय मदद दी है. भारत ने साल 2022 में मानवीय मदद के तौर पर अफगानिस्तान को 40063 मीट्रिक टन गेहूं की आपूर्ति की है. सरकारी योजनाओं में किसानों का भी ख्याल रखा गया है. चीनी सीजन 2021-22 के लिए किसानों को 114981 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया. इसमें गन्ने के 97 फीसदी से अधिक बकाया का भुगतान सरकार ने किया है.
यही नहीं एथेनॉल आपूर्ति वर्ष 2021-22 के दौरान पेट्रोल के साथ मिले कुल एथेनॉल की 87 फीसदी से अधिक की आपूर्ति पर चीनी मिलों/डिस्टिलरी को 18000 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व मिला. इन सब में खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग-डीएफपीडी की अहम भूमिका रही. साल 2022 के दौरान विभाग ने ये पक्का करना जारी रखा कि केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY), वन नेशन वन राशन कार्ड (ONORC), और कई योजनाओं के तहत फोर्टिफाइड चावल का वितरण, लक्षित सार्वजनिक वितरण और अन्य सभी योजनाओं का फायदा इन्हें पाने वालों तक पहुंच सकें. ये विभाग किसानों से अनाज भी खरीदता है और विभिन्न देशों को मानवीय सहायता देने का काम भी करता है.
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना
कोविड-19 महामारी से आई आर्थिक रुकावटों की वजह से गरीबों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा था. इन मुश्किलों को दूर करने और खाद्य सुरक्षा पर कोविड-19 महामारी के असर को कम करने के लिए सरकार ने मार्च 2020 में अतिरिक्त मुफ्त खाद्यान्न (चावल और गेहूं ) के वितरण का ऐलान किया था. इसके लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत 80 करोड़ की रकम जारी की गई. इस रकम से पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएम- जीकेएवाई) के तहत आने वाले अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई), प्राथमिकता वाले परिवारों (पीएचएच) का लाभ पाने वाले हर व्यक्ति को हर महीने 5 किलो अनाज मुहैया करवाया गया. इसके तहत अब तक खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग -डीएफपीडी (DFPD) ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कुल लगभग 1118 लाख मीट्रिक टन अनाज आवंटित किया है. मौजूदा वक्त में पीएमजीकेएवाई का सातवां चरण सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चल रहा है.
फेज | खाद्यान्न का आवंटन (लाख मीट्रिक टन में) |
अधिकतम लगाई गई रकम (करोड़ में) |
पीएमजीकेएवाई-1 (अप्रैल-जून 2020) | 120 | 44,834 |
पीएमजीकेएवाई-2 (जुलाई-नवंबर 2020) | 201 |
68,351 |
पीएमजीकेएवाई-3 (मई- जून 2021) |
80 |
26,602 |
पीएमजीकेएवाई-4 (जुलाई-नवंबर 2021) | 199 |
67266 |
पीएमजीकेएवाई-5 (दिसंबर,2021-मार्च, 2022) | 159 |
53344 |
पीएमजीकेएवाई-6 (अप्रैल- सितंबर, 2022) | 239 |
85838 |
पीएमजीकेएवाई-7 ( अक्टूबर- दिसंबर,2022) | 120 |
44762 |
कुल | 1118 | 390997 |