वित्त मंत्रालय ने सोमवार को अप्रैल, 2023 के टैक्स कलेक्शन के आंकड़े जारी करते हुए कहा कि अप्रैल 2023 में जीएसटी कलेक्शन सालाना आधार पर 12 फीसदी बढ़ा और यह 1.87 लाख करोड़ रुपए पर पहुंचा. किसी एक महीने का उदाहरण देखने पर यह सबसे अधिक जुटाया गया जीएसटी राजस्व है. इस खबर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बेहद उत्साहित है


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर देशवासियों से अपनी खुशियां जाहिर की हैं. केंद्र सरकार ने जब जुलाई 2017 में जीएसटी लागू किया था, तभी हरेक महीने 1.50 लाख करोड़ रुपए से अधिक का कलेक्शन करने का लक्ष्य रखा था. वह अब पूरा होता दिख रहा है.वित्त मंत्रालय ने सोमवार यानी 1 मई को अप्रैल, 2023 के टैक्स कलेक्शन के आंकड़े जारी किए. मंत्रालय ने कहा कि अप्रैल में सकल जीएसटी संग्रह 1,87,035 करोड़ रुपये रहा. इसमें केंद्रीय CGST 38,440 करोड़ रुपए जबकि राज्य SGST 47,412 करोड़ रुपए रहा. 


अर्थव्यवस्था की मजबूती के संकेत 


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट के जरिए इस खबर को शेयर करते हुए इसे ‘भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बड़ी  बात बताई. उन्होंने लिखा, ‘भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बड़ी खबर. टैक्स की कम दर के बावजूद टैक्स कलेक्शन बढ़ना जीएसटी की सफलता को बताता है. यह बताता है कि जीएसटी ने एकीकरण और अनुपालन को किस तरह बढ़ाया है.’ जुलाई 2017 में जब जीएसटी लागू किया था, तो उस वित्तीय वर्ष 7.2 लाख करोड़ रुपए का कलेक्शन हुआ था. महज छह वर्षों में यह बढ़कर 18 लाख करोड़ रुपए से अधिक हो गया है. जुलाई, 2017 में जीएसटी सिस्टम लागू होने के बाद से सबसे ज्यादा टैक्स कलेक्शन का पिछला रिकॉर्ड 1.68 लाख करोड़ रुपये था जो पिछले साल अप्रैल में बना था. जीएसटी कलेक्शन के संदर्भ में देखें तो जिस तरह वित्तीय वर्ष 2022-23 की शुरुआत हुई ती, उसी तरह उसका अंत भी हुआ है. वित्त वर्ष के अंतिम माह की बात करें तो जीएसटी संग्रह में 12 फीसदी की वृद्धि हुई है, जबकि पूरे वित्त वर्ष की बात करें तो सालाना 22 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. 


जीएसटी की शुरुआत में थी हिचक 


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने मई 2014 में केंद्र में सत्ता संभाली. उसके बाद से वैश्वीकरण (ग्लोबलाइजेशन) के एजेंडे को आगे बढ़ाया गया और एक के बाद एक आर्थिक सुधारों की झड़ी लगा दी गई. विपक्षी दलों ने सरकार पर पूंजीवादी एजेंडा लागू करने और समाजवादी एजेंडे से भटकरने का भी आरोप लगाया, लेकिन मोदी सरकार ने आर्थिक सुधारों का क्रम जारी रखा और कई बड़े फैसले लिए. नोटबंदी के बाद जीएसटी एक ऐसा ही फैसला था. अप्रत्यक्ष कर प्रणाली यानी माल एवं सेवा कर (Goods And Service Tax) को मोदी सरकार के ऐसे ही बड़े सुधारों में गिना जाता है. इसे 1 जुलाई 2017 को लागू किया गया था. कई अर्थशास्त्री इसके विरोध में थे तो कई ने इसे स्वतंत्रता के पश्चात सबसे बड़ा आर्थिक सुधार बताया है. इसका एक सबसे बड़ा लाभ जो देखने को मिला है कि जीएसटी से अप्रत्यक्ष कर की कई जटिलताओं को दूर किया जा सका. लोगों को 17 प्रकार के विभिन्न टैक्सेज से राहत मिली और कहने की बात नहीं कि इससे कारोबार करना आसान हुआ है.


जीएसटी तंत्र ने छह साल में कई नए मुकाम हासिल किए हैं. वित्त वर्ष 2022-23 में जीएसटी कलेक्शन रिकार्ड 18 लाख करोड़ रुपये रहा है, जो जीएसटी लागू होने के बाद रिकॉर्ड कलेक्शन है. जीएसटी की खासियत है कि यह एक अप्रत्यक्ष कर यानी इनडायरेक्ट टैक्स है, जिसने दूसरे प्रकार के अप्रत्यक्ष करों, जैसे- उत्पाद शुल्क, वैट और सर्विस टैक्स इत्यादि का स्थान लिया है. इसे संसद ने 29 मार्च 2017 को लागू किया और यह जुलाई में लागू हुआ। जीएसटी के लागू होने के बाद से पहले की अनिवार्य वसूली को खत्म कर दिया गया है और इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि अंतिम उपभोक्ता को हरेक बार दाम बढ़ने के लिए भुगतान नहीं करना पड़ता है. इससे कई तरह के करों की भीड़ नहीं होती और लोग एक जीएसटी के साथ अपना काम कर पाते हैं. 


बढ़े पर्यटन तो बढ़ता है जीएसटी


कोरोना के दौरान अर्थव्यवस्था पर ब्रेक लगे थे और यह राहत की बात है कि हमारी अर्थव्यवस्था अभी भी रोबस्ट है और आइसीयू में नहीं पहुंची है. जब देशभर में लॉकडाउन लगा था, तो उस दौरान जीएसटी कलेक्शन ने गजब गोता लगाया था और अप्रैल 2020 में यह केवल 28,039 करोड़ रुपए रहा था. ये बेहद चिंताजनक था, लेकिन अर्थव्यवस्था की गतिशीलता की वजह से जल्द ही इस हालत से भी मुक्ति मिल गई. अभी अगर जीएसटी कलेक्शन में राज्यों की स्थित पर नजर डालें तो पता चलता है कि कोरोना के बाद जिन भी राज्यों में पर्यटकों की भीड़ उमड़ी है, वहां जीएसटी का कलेक्शन भी तेज हुआ है. मिजोरम में यह 91 फीसदी बढ़ा तो लक्षद्वीप में 30 फीसदी, जम्मू व कश्मीर में भी लगभग 30 फीसदी तो गोआ में 34 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. हालांकि, छोटे राज्य होने की वजह से इनके यहां जो कलेक्शन हुआ है, वह छोटा है, लेकिन उसकी बढ़ोतरी देखने लायक है. भारत जब अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है तो मोदी सरकार इस पूरे प्रयास में है कि विकास की कहानी को देश के सभी नागरिकों को जोर-शोर से सुनाया जाए. देश में जीएसटी का कलेक्शन भी अभी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है. जीएसटी के ताजा आंकड़े बताते हैं कि अप्रैल 2022 में 1 लाख 87 हजार करोड़ रुपए जीएसटी का कलेक्शन किया गया. वहीं एफडीआई इनफ्लो का असर भी पिछले वित्तीय वर्ष में 83 बिलियन डॉलर का रहा. 


अर्थव्यवस्था की पूरी प्रगति है लक्ष्य 


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर जीएसटी कलेक्शन पर अपनी खुशी तो दिखाई है, लेकिन उनकी सरकार की प्राथमिकता देश की अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से रोबस्ट यानी मजबूत बनाने की है.  भारत को फिलहाल उपभोक्ता से उत्पादक देश बनाने की भी कवायद है, जिसके लिए 'मेक इन इंडिया' और 'वोकल फ़ॉर लोकल' जैसे कई अभियानों को चलाया. आज भारत में निर्यात काफी बढ़ा है, वित्तीय वर्ष 2022 के आंकड़ों को देखे तो मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट 421 मिलियन डॉलर के स्तर तक पहुंच गया है और सेवा क्षेत्र में एक्सपोर्ट 254 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया है. देश में अभी भी सबसे अधिक लोगों की निर्भरता कृषि क्षेत्र में ही है. इसको सुधारने के लिए लगातार कृषि क्षेत्र का बजट बढ़ाया गया है. इन सभी कदमों का परिणाम है कि अमेरिका सहित यूरोप के कई देशों में जब अर्थव्यवस्था मंदी के संकेत दे रहे हैं, तो भारत की अर्थव्यवस्था लगातार प्रगति पथ पर अग्रसर है. जीएसटी का रिकॉर्ड कलेक्शन इसलिए भी देश के लिए अच्छी खबर है, क्योंकि यह इंफ्रास्ट्रक्चर से संबंधित कई योजनाओं को पूरा करने, विकास के कई माइलस्टोन तय करने में मदद कर सकता है.