भारतीय विज्ञान कांग्रेस का इतिहास और महत्व, 3 जनवरी को पीएम मोदी करेंगे संबोधित
भारतीय विज्ञान कांग्रेस में इस बार सतत विकास, महिला सशक्तिकरण और इसे हासिल करने में विज्ञान और तकनीक की भूमिका को लेकर चर्चा होगी. बेंगलुरु में भारतीय विज्ञान कांग्रेस का 108 वां सत्र शुरू हो रहा है.
3 जनवरी यानी मंगलवार को बेंगलुरु में भारतीय विज्ञान कांग्रेस का 108 वां सत्र शुरू हो रहा है. जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संबोधित करेंगे. वह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये इसमें शिरकत करेंगे. प्रधानमंत्री कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक इस बार भारतीय विज्ञान कांग्रेस का मुख्य विषय महिला सशक्तिकरण के साथ सतत विकास के लिए विज्ञान और तकनीक रखा गया है.
कांग्रेस में इस बार सतत विकास, महिला सशक्तिकरण और इसे हासिल करने में विज्ञान और तकनीक की भूमिका को लेकर चर्चा की जाएगी.
विज्ञान क्षेत्र में महिला की संख्या बढ़ाने को लेकर होगी चर्चा
इस सत्र में प्रतिभागी महिलाओं को एसटीईएम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, गणित) शिक्षा, अनुसंधान के अवसरों और आर्थिक भागीदारी तक समान पहुंच प्रदान करने के तरीके खोजने की कोशिशों को तेज किया जाएगा. इसके साथ ही शिक्षण, अनुसंधान और उद्योग के शीर्ष पदों पर महिलाओं की संख्या बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा और विचार-विमर्श किया जाएगा. विज्ञान और प्रौद्योगिकी में महिलाओं के योगदान को प्रदर्शित करने के लिए एक विशेष कार्यक्रम भी आयोजित किया जाएगा, जिसमें मशहूर महिला वैज्ञानिकों के व्याख्यान भी होंगे.
भारतीय विज्ञान कांग्रेस के प्रत्येक सत्र में कई ऐसे महत्वपूर्ण विषय उभरकर आए हैं, जिससे दीर्घकालिक रूप से भारत को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नई उपलब्धियां हासिल करने में मदद मिली हैं.
बच्चों के अंदर विज्ञान को लेकर रुचि जगाने की कोशिश
इसके अलावा इस सत्र में बच्चों के अंदर विज्ञान को लेकर रुचि जगाने के लिए बाल विज्ञान कांग्रेस का अलग से भी आयोजन किया जाएगा. वहीं, किसान विज्ञान कांग्रेस के जरिये बॉयो-इकोनॉमी को मंच मिलेगा तो युवाओं में कृषि के प्रति जागरूकता भी बढ़ेगी.
इस सत्र में जनजातीय विज्ञान कांग्रेस का भी आयोजन होना तय है, जिसमें स्वदेशी ज्ञान प्रणाली और प्रथाओं को मंच मिलेगा. इसके साथ ही जनजातीय महिलाओं के सशक्तिकरण करने को लेकर इसमें फोकस किया जाएगा.
क्या है भारतीय विज्ञान कांग्रेस का इतिहास
भारतीय विज्ञान कांग्रेस 1914 में कोलकाता में स्थापित भारतीय वैज्ञानिकों की शीर्ष संस्था है. जहां हर साल जनवरी के पहले सप्ताह में देश के अलग अलग शहरों में इसका सम्मेलन आयोजित किया जाता है. इस सत्र की स्थापना का मूल उद्देश्य भारत में विज्ञान को बढ़ावा देना है. बेंगलुरु शहर इस सत्र की नौवीं बार मेजबानी कर रही है. बेंगलुरु में इससे पहले साल 1917, 1924, 1932, 1946, 1951, 1971, 1987 और 2003 में विज्ञान कांग्रेस हो चुका है जबकि 1982 और 2016 में मैसूरु भी विज्ञान कांग्रेस की मेजबानी कर चुका है.
क्या है भारतीय विज्ञान कांग्रेस का विजन
केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान और प्रौद्योगिकी, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पृथ्वी विज्ञान, प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष मंत्रालय में राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने मीडिया से साल के पहले दिन इस सत्र के बारे में बातचीत करते हुए कहा कि साल 2023 साइंस विजन 2047 में भारत को परिभाषित करेगा.
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि साल 2047 में स्वतंत्र भारत के 100 साल पूरे होंगे और शताब्दी के सपने साकार होंगे. इस लिहाज से देश की आजादी की 100 साल की यात्रा में साल 2023 अंतिम 25 साल या 100 साल के कैलेंडर का अंतिम एक-चौथाई का प्रतीक है.
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, यह वह साल भी है, जब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जी 20 की मेजबानी के साथ-साथ राष्ट्र के रूप में अपना दर्जा बढ़ा रहा है और इसके प्रस्ताव पर दुनिया अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष मना रही है.