अगले महीने यानी सितंबर के 9-10 तारीख को जी20 का समिट होनेवाला है. उसके पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिक्स समिट और ग्रीस की सफल यात्रा से लौटे हैं. ब्रिक्स में भारत की तमाम बातों के साथ, उन पर विचार कर छह नए देशों को इस संगठन में शामिल होने की सहमति दी गयी है. औपचारिकताएं पूरी होने के बाद ये छहों देश ब्रिक्स के सदस्य होंगे. भारत के इन सबसे बहुत ही अच्छे द्विपक्षीय संबंध हैं. यूरोप का गेटवे कहा जानेवाला ग्रीस रणनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है और सामरिक रूप से भी. ग्रीस नाटो का भी सदस्य देश है और भारत की यूरोप-नीति के लिए भी महत्वपूर्ण. चूंकि यह 6 हजार द्वीपों का बना हुआ देश है, तो भारत को ग्रीस से ओशनोलॉजी (समुद्र विज्ञान), बायो-टेक्नोलॉजी, मरीन पावर, ब्लू इकोनॉमी, बायो-टेकेनोलॉजी और तकनीकी कुशलता बहुत महत्वपूर्ण हैं, इससे भारत को फायदा होगा. यूरोपियन यूनियन के सारे सदस्य देश एनर्जी ट्रांजिशन, एसडीजी गोल्स की ओर चल रहे हैं और भारत को अभी ये सारा कुछ पाना है. भारत जी20 के मंच से या ब्रिक्स, क्वाड जैसे मंचों से वैश्विक रंगमंच की तस्वीर बदल रहा है.
बहुआयामी हो गयी है विदेश नीति
दिल्ली में जब अगले कुछ दिनों में जी20 के नेता शिखर-वार्ता के लिए इकट्ठा होंगे, तो सोचना चाहिए कि वे कौन से इलाके हैं, जहां भारत दूसरे देशों के साथ मिलकर काम कर सकता है. वैश्विक स्तर पर ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते खतरों के बीच भारत बहुत तेजी से पर्यावरण संरक्षा के लिए काम भी कर रहा है और बाकी देशों को भी एक प्लेटफॉर्म पर लाना चाहता है. जीवाश्म ईंधन को कम करने के लक्ष्य पर भारत का काम अच्छा चल रहा है और लक्ष्य भी अब तक समय से पहले पा लिया गया है. भारत का डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर भी एक ऐसा ही मसला है, जो भारत के प्रति दूसरे देशों को आकर्षित करता है. यह बात ग्रीस से लौटने पर प्रधानमंत्री मोदी ने खुद अपने मुंह से कही कि भारत इनोवेशन के क्षेत्र में अहम भूमिका निभा रहा है. खासकर भारत का सफल डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा आज काफी चर्चा में है. आज भारत में सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के लिए भारत की सराहना हो रही है. उस डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करने में भारत की सफलता को दुनिया भर में मान्यता मिल रही है. संसार आज भारत को नवोन्मेष के केंद्र के रूप में देखता है.
भारत भी अपनी विदेश नीति को बहुआयामी और बहुदिशात्मक बना रहा है. अब जरूरी नहीं है कि हम किसी भी एक शक्तिशाली देश के पिछलग्गू बने रहें. भारत के प्रधानमंत्री ग्रीस से एक सफल यात्रा कर और ढेर सारे समझौते करके लौटे हैं. ग्रीस पुराने समय से नाटो का सदस्य है, यूरोप का गेटवे भी. भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध पर पिछले डेढ़ साल से बड़ी ही रणनीतिक और डिप्लोमैटिक तरीके से संतुलन कायम कर रखा है. उसके इस संतुलन को दुनिया पसंद भी कर रही है. दुनिया यह भी जानती है कि भारत एक भरोसमंद साथी है. भारत का इतिहास रहा है कि उसने कभी भी किसी देश, समुदाय या नस्ल के खिलाफ आक्रमण नहीं किया है. उसी तरह आतंकवाद का पीड़ित भारत इसकी पीड़ा भी जानता है. भारत ने कभी भी अपने किसी साथी की पीठ में छुरा नहीं मारा है, जबकि इसके पड़ोसी मुल्क ही इसके लिए कुख्यात हैं. भारत वैश्विक मंच पर एक गंभीर खिलाड़ी की भूमिका में आना चाहता है और उसने यह कर भी दिया है.
भारत की तकनीक पर दुनिया की नजर
आज दुनिया का 46 प्रतिशत डिजिटल भुगतान भारत में हो रहा है. यह सरकारी नीतियों की सफलता को दिखाता है. भारत के डिजिटल पब्लिक स्ट्रक्चर और टेक्नोलॉजी ने आधार, यूपीआई, को-विन और प्रधानमंत्री जन धन योजना के जरिए प्रभावी ढंग से सीधे लाभार्थियों तक सेवाएं पहुंचाई हैं. हमने यह दिखा दिया है कि टेक्नोलॉजी आखिरी इंसान तक योजना का लाभ सुनिश्चित करने में बड़ा अहम रोल निभा सकती है. भारत दुनिया के साथ अपने तरीके को बांटने के लिए तैयार है. कोविड के समय भी जब बड़े-बड़े देश दवाइयों पर पहरा बिठा रहे थे, तो भारत ने दुनिया भर में टीका पहुंचाया और वह भी बिना किसी शोर-शराबे के. भारत ग्लोबल साउथ यानी दुनिया के विकासशील और गरीब देशों के लिए लगातार आवाज भी उठाता रहा है. ग्लोबल वार्मिग के मसले पर भारत ने हमेशा ही विकसित देशों को उनके वायदे पूरे करने को कहा है. 2020 तक 100 बिलियन डॉलर का जो वादा विकसित देशों ने किया था, वह भी पूरा नहीं किया है. इसके बावजूद भारत ने जीवाश्म ईंधन को कम से कमतर करने की नीतियों पर हमेशा काम किया है.
जी20 में ऊर्जा मंत्रियों की बैठक में भी जीवाश्म ईंधन के कम इस्तेमाल पर भारत ने प्रस्ताव दिया था, लेकिन सउदी अरब के विरोध की वजह से सर्वसम्मति नहीं बन पाई थी. भारत एक ऐसा देश है, जिसकी विदेशनीति में 'स्वहित' के साथ सिद्धांत भी सबसे ऊपर का स्थान रखते हैं. ग्रीस के साथ विदेशनीति के मूल में यही बात है और हमारे द्विपक्षीय संबंध भी अच्छे हैं, किसी वैश्विक मंच पर भी वैसे ही हैं. मोदी से पहले पीएम के तौर पर इंदिरा गांधी ने 1983 में ग्रीस का दौरा किया था. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ग्रीस का सर्वश्रेष्ठ सम्मान भी दिया गया. ग्रीस की राष्ट्रपति कैटरीना एन सकेलारोपोउलू ने पीएम मोदी को 'ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ ऑनर' से सम्मानित किया. इसको मिलाकर दुनिया भर के लगभग 10 देशों ने भारतीय पीएम को उनके यहां के सर्वोच्च सम्मान से नवाजा है.
भारत की विदेशनीति आक्रामक नहीं है. अपनी इंटिग्रिटी, मैत्रीपूर्ण व्यवहार और अनावश्यक हस्तक्षेप की नीति के लिए जाना जाता है. वह दूसरे देशों के आंतरिक मुद्दों पर तवज्जो नहीं देेता. भारत अपने हार्ड पावर के साथ अपने स्किल, मेहनत, सॉफ्ट पावर यानी योग और आयुर्वेद आदि का भी इस्तेमाल कर रहा है. भारत में यूपीआई को देख लें. टेक्नोलॉजी ने हमें लाभार्थियों तक पहुंचने में काफी मदद की है. विशेषज्ञों ने भारत के डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के कुशल उपयोग को स्वीकारा और वैश्विक नेताओं की इसमें रुचि भी है. हम टेक्नोलॉजी का लाभ उठाकर डिजिटली सेवाओं के जरिए वैश्विक विकास में तेजी लाने के लिए जी20 देशों के साथ काम कर रहे हैं. इसकी जी20 देशों ने बड़े पैमाने पर सराहना की है. भारत ने अपने समय का काफी इंतजार किया है और जब इसका समय आया है तो वह वैश्विक रंगमंच पर अपनी भूमिका निभाने की भी तैयारी कर रहा है, बहुत ही संजीदे तरीके से!