(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
ग्लोबल ट्र्स्ट डेफिसिट को विश्वास और भरोसे में बदलने के आह्वान के साथ प्रधानमंत्री मोदी ने दिया दुनिया को सबका साथ, सबका विश्वास का मंत्र
हम सतत भविष्य के लिए सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी), हरित विकास समझौते की प्रगति में तेजी लाना चाहते हैं और 21वीं सदी के लिए बहुपक्षीय संस्थानों को मजबूत करना चाहते हैं, भरोसा जगाना चाहते हैं- पीएम मोदी
राजधानी नई दिल्ली में शनिवार (9 सितंबर) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी20 सम्मेलन का सुबह में आगाज किया और दोपहर तक शिखर सम्मेलन का पहला सत्र 'वन अर्थ' खत्म हो गया. कार्यक्रम की शुरुआत प्रधानमंत्री ने नमस्कार के साथ की और कहा कि दुनिया के साथ मिलकर चलने का समय आ गया है. उन्होंने मोरक्को में भूकंप के कारण हुई मौतों पर संवेदना भी व्यक्त की और कहा कि भारत इस दुख की घड़ी में मोरक्को के साथ खड़ा है. मोदी ने कहा कि कोरोना महामारी के बाद विश्वास में अभाव का संकट आया है, जिसे कोरोना की तरह पूरी दुनिया वाले मिलकर हराएंगे. राजधानी में कल यानी 8 सितंबर से ही विदेशी मेहमानों के पहुंचने का सिलसिला जारी था, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन तो 8 सितंबर को ही प्रधानमंत्री मोदी के साथ द्विपक्षीय वार्ता में भी मुब्तिला थे. मेहमानों के स्वागत की शानदार तैयारी की गयी है. अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष की अध्यक्ष तो स्वागत में नाचती बच्चियों के साथ खुद भी थिरकने लगी. दुनिया भर की निगाहें अब संयुक्त बयान पर टिकी हैं.
पीएम मोदी ने दिया दुनिया को मंत्र
अपने भाषण की शुरुआत में ही पीएम मोदी ने विश्व कल्याण की बात कही. उन्होंने कहा कि जहां जी20 का सम्मेलन हो रहा है, वहां से कुछ किलोमीटर की दूरी पर ही 2500 वर्ष पुराना एक प्रस्तर-स्तंभ है, जिस पर प्राचीन भाषा प्राकृत में एक मंत्र लिखा है. उसका अर्थ होता है कि मानवता का हित और उसका कल्याण सुनिश्चित हो. भारत की इसी भूमि से यह संदेश पूरी दुनिया को दिया गया था. 21वीं सदी का यह समय भी पूरी दुनिया को नई दिशा देने वाला समय है. प्रधानमंत्री ने कहा कि पुराने मसलों और मुद्दों को नए तरीकों, नयी सोच से हल करने का समय है और दुनिया एक साथ मिलकर ऐसा करेगी भी. कोविड महामारी को याद करते हुए उन्होंने कहा कि उस वक्त पूरी दुनिया में विश्वास के अभाव का संकट था. युद्ध ने इस संकट को और गहरा किया है, लेकिन अगर दुनिया कोविड को हरा सकती है तो आपसी अविश्वास के संकट को भी हर सकती है. प्रधानमंत्री मोदी ने केवल समस्या ही नहीं बतायी, बल्कि उसका उपाय भी सुझाया. उन्होंने कहा कि यह सबको साथ मिलकर चलने का समय है और उन्होंने सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास के मंत्र को पूरी दुनिया के लिए पथ-प्रदर्शक बताया. इससे पहले पीएम मोदी ने जी20 सम्मेलन शुरू होने की पूर्व संध्या पर सोशल मीडिया पर महात्मा गांधी का जिक्र करते हुए यह भी कहा था कि वंचितों और समाज के अंतिम छोर पर खड़े लोगों की सेवा करने के उनके मिशन का अनुकरण ही पूरी दुनिया के लिए मुफीद है. भारत की प्रकृति पूजा को रेखांकित करते हुए उन्होंने प्रगति के मानव-केंद्रित तरीके पर भारत के चिंतन को भी जोर देते हुए साझा किया.
भारत है समावेशी विकास के पक्ष में
इस समय कहें तो आधी दुनिया दिल्ली में जमा है. दो दिवसीय जी20 के शिखर सम्मेलन में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन, ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो, इटली की नई प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी, तुर्किए के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन, मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी, दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यूं सुक येओल, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीस, संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना और मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ शामिल हैं. जी20 में अफ्रीकन यूनियन को स्थायी सदस्यता मिलने के साथ ही अब जी20 बढ़कर जी21 हो गया है. प्रधानमंत्री मोदी ने समावेशी नीतियों की वकालत करते हुए कहा कि भारत में जी20 के 60 शहरों में 200 से अधिक बैठकें हुईं. इसमें देश भर के नागरिकों ने भी यथाशक्ति हिस्सा लिया. यह जी20 सही मायनों में समावेशी बन गया है. मेहमानों की सुरक्षा के लिए जमीन से लेकर आसमान तक कड़ी निगरानी रखी जा रही है. इसके लिए दिल्ली पुलिस सहित कई केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियां काम पर लगी हुई हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में कहा कि दुनिया के समावेशी और एकजुट होकर काम करने से ही शांति और प्रगति का मार्ग प्रशस्त होगा.
घोषणापत्र पर बनी सहमति
जी-20 की शनिवार यानी 9 सितंबर को शुरुआत के दौरान भारत ने अफ्रीकी यूनियन को इसका सदस्य बनाने की वकालत की तो वहीं दूसरी तरफ भारतीय पक्ष ने रूस-यूक्रेन संकट पर गतिरोध को तोड़ने के प्रयास में नेताओं के घोषणापत्र के लिए जी20 सदस्य देशों के बीच एक नया मसौदा सर्कुलेट किया. दोपहर को पीएम मोदी ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर घोषणा की कि खुशी की बात है कि घोषणापत्र पर सहमति बन गयी है. उन्होंने कहा कि एक अच्छी खबर है, "सभी के सहयोग से नई दिल्ली G20 नेतृत्व की घोषणापत्र/Declaration पर सहमति बन गई है. मैं यह घोषणा करना चाहता हूं कि नई दिल्ली जी20 नेताओं के शिखर सम्मेलन की डेक्लरेशन पर आम सहमति बन गई है. मैं घोषणा करता हूं कि इसको स्वीकार कर लिया गया है". घोषणापत्र मजबूत, टिकाऊ, संतुलित और समावेशी विकास, एसडीजी पर प्रगति में तेजी लाना, सतत भविष्य के लिए हरित विकास समझौता, 21वीं सदी के लिए बहुपक्षीय संस्थान, बहुपक्षवाद को पुनर्जीवित करने पर केंद्रित है. दरअसल, रूस और चीन के विरोध की वजह से डेक्लरेशन पर आम सहमति नहीं बन पा रही थी.
दरअसल, जी20 नेताओं के निजी प्रतिनिधि, गुरुवार और शुक्रवार को कई सत्रों के बावजूद यूक्रेन पर पैराग्राफ पर एक समझौते पर पहुंचने में असमर्थ रहे थे. ये सत्र 6 सितंबर को मानेसर में चौथी और अंतिम शेरपा बैठक के समापन के बाद आयोजित किए गए थे. भारतीय पक्ष ने आज (शनिवार) सुबह अन्य G20 सदस्यों के बीच यूक्रेन मुद्दे पर मसौदा पैराग्राफ वितरित किया. मसौदे में 75 अन्य पैराग्राफों पर एक समझौता किया था, जिसमें जलवायु परिवर्तन के लिए वित्तपोषण, बहुपक्षीय विकास बैंकों में सुधार और क्रिप्टोकरेंसी के विनियमन जैसे मुद्दे शामिल थे. रूस यूक्रेन युद्ध की बदली हुई स्थितियों के मद्देनजर उसका उल्लेख नहीं चाहता था, तो चीन का मानना था कि आर्थिक मंच पर भूराजनीतिक बातें न हों, हालांकि भारत जी20 की सबसे बड़ी चुनौती से नहीं झुका और पीएम मोदी ने आखिरकार डेक्लरेशन पर सहमति बनने की सूचना दी.