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भारत और बांग्लादेश की दोस्ती के कई आयाम, विकास के साथ ड्रैगन को रोकना भी लक्ष्य
बांग्लादेश भारत को दो बिलियन डॉलर का निर्यात करता है. इससे ये कहा जा सकता है भारत और बांग्लादेश के बीच में सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक संबंध से एक दूसरे से जुड़े हुए है.
![भारत और बांग्लादेश की दोस्ती के कई आयाम, विकास के साथ ड्रैगन को रोकना भी लक्ष्य India and Bangladesh are very good friends and both countries are committed to development भारत और बांग्लादेश की दोस्ती के कई आयाम, विकास के साथ ड्रैगन को रोकना भी लक्ष्य](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/06/23/efd2b6ae9bc150fdc029a750d9d1caa81719136195062978_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना दो दिवसीय भारत यात्रा पर आई और इस दौरान उन्होंने देश के पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. बांग्लादेश की पीएम की दो दिवसीय यात्रा के दौरान कई मुद्दों पर द्विपक्षीय समझौता हुआ, दोनों देश के प्रधानमंत्री ने एक स्वर में कहा कि ये यात्रा काफी सफल रही है. तीस्ता नदी के लिए अभी तक कोई ठोस रणनीति नहीं बन पायी है, लेकिन बाकी द्विपक्षीय रणनीतिक और सामरिक संबंधों के साथ ही व्यापारिक मसलों पर काफी प्रगति हुई है. इस यात्रा के बाद दोनों देशों के संबंध और मजबूत होने की बात कही जा रही है और बंगाल की खाड़ी में चीन के प्रवेश को रोकने की बातें भी की जा रही हैं.
बांग्लादेश और भारत के गहरे संबंध
दोनों ही देशों के प्रधानमंत्री ने इस साल चुनाव में जीत दर्ज की है. दोनों की जीत के बाद एक मिलने का सामान्य प्रकरण था, इसका कोई राजनीतिक पहलू नहीं था. भारत और बांग्लादेश के कूटनीतिक संबंध के लिए ये काफी महत्वपूर्ण है. पिछले एक दशक से भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में सुधार देखने को मिला है. बांग्लादेश के लिए भारत एक डेवलपमेंट पार्टनर बनकर उभरा है. ट्रेडिंग के मामले में एशिया में बांग्लादेश भारत का दूसरा सबसे बड़ा पार्टनर है. भारत और बांग्लादेश के बीच में 15 बिलियन के बीच का व्यापार होता है. बांग्लादेश भारत में दो बिलियन डॉलर का निर्यात करता है. इससे ये कहा जा सकता है भारत और बांग्लादेश के बीच में सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक संबंध से एक दूसरे से जुड़े हुए है. भारत और बांग्लादेश का संबंध 1971 से है, उसी समय से जब भारत ने बांग्लादेश की आजादी में सक्रिय भूमिका निभाई थी. हाल में ही बांग्लादेश में चुनाव संपन्न हुए उसके बाद शेख हसीना फिर से वहां की पीएम बनी, उसके बाद से अमेरिका के कई बयानों के वह निशाने पर थीं. अमेरिका ने बांग्लादेश से डेमोक्रेटिक स्थिति पर भी कई सवाल उठाए. उसके जवाब में शेख हसीना ने भी कई बार ऐसे बयान दिए कि कुछ ऐसे देशं है जो सीधे तौर पर अपने फायदे और रणनीति के अंतर्गत बांग्लादेश और उसके कार्यों में जबरदस्ती का हस्तेक्षप कर रहे हैं. उन्होंने ये कहा कि एक देश बंगाल की खाड़ी में अपना एयरबेस स्थापित करना चाहता है.
इस तरह अमेरिका बांग्लादेश पर राजनीतिक और रणनीतिक दबाव बनाए हुए है. दूसरी ओर एशिया में मजबूती से उभर रहे चीन बंगाल की खाड़ी में अपनी आर्थिक और सैन्य शक्ति दोनों की मौजूदगी करा रहा है. पड़ोस में ऐसी गतिविधि का होना भारत के लिए बिल्कुल ही ठीक नहीं है. दोनों देशों के बीच में सामयिक रूप से आपसी संबंधों को लेकर ये मीटिंग हुई है. हाल में भारत और बांग्लादेश के बीच में हुई मीटिंग निश्चित तौर पर एक अलग दिशा में जाएगा और दोनों देशों के बीच में एक बेहतर संबंध डेवलप होगा. करीब एक करोड़ डॉलर की तीस्ता परियोजना पर चीन पूरी तरह से नजर गड़ाए हुआ बैठे हैं.
तीस्ता नदी का मामला
तीस्ता नदी वो नदी है जिस पर बांग्लादेश और भारत दोनों को साझा काम करना है. भारत की आपत्तियों के कारण ही फिलहाल परियोजना को रोक चीन को वहां दखल नहीं देने दिया गया है. चीन का प्रभाव दक्षिणी एशिया में बढ़ाते जा रहा है. अगर कोई इनवेस्ट करता है तो वो अपने आर्थिक फायदा को भी देखता है. इसके अलावा अपना रणनीतिक फायदा भी देखता है. चीन इस मामले में बांग्लादेश को ध्यान में रखकर कई परियोजना लेके आया है. बीसीआईए इकोनॉमिक कोरिडोर की बात हो या फिर सी पोर्ट को भी डेवपल करने की बात करता है. चीन निश्चित रूप से बंगाल की खाड़ी में अपनी आर्थिक और रणनीतिक स्थिति को काफी मजबूत करने में जुटा हुआ है. यूनान को जो लैंडलाॅक की स्थिति है उसको खोलने के प्रयास में है इसको बंगाल की खाड़ी में खोलने की रणनीति चीन बना रहा है. चीन सामयिक और आर्थिक और रणनीतिक तौर पर दक्षिण एशिया के देशों में अपना प्रभाव डाल रहा है और खासकर बांग्लादेश उसके निशाने परहै. सोनादिया का जो डीप सी पोर्ट का एरिया है वो भी सफलता पूर्वक नहीं हो पाया. शेख हसीना ने एक सामरिक और आर्थिक फैसला लिया और उस डील को नकार दिया. अब चीन ने दो नयी परियोजनाएं बांग्लादेश के सामने रखा है जिसमें पहला तो सिलहट एयरपोर्ट है और दूसरा तीस्ता नदी पर बनाई जाने वाली परियोजना है. सिलहट एयरपोर्ट पर जो काम होना है वो भारत के पूर्वी राज्यों के काफी करीब होगा. जो असम, मेघालय के पास होगा. इससे सामरिक महत्व काफी बढ़ जाता हैं, क्योंकि वह भारत के चिकन नेक के तब बिल्कुल ही करीब हो जाएगा.
चीन का बांग्लादेश के सामने प्रस्ताव
चीन ने एक बिलियन खर्च करके तीस्ता बैरल परियोजना लाने की बात कही है. चीन ये पहले से जानता है कि भारत और बांग्लादेश के बीच में पहले से ही तीस्ता नदी को लेकर कुछ विवाद रहे हैं. करीब एक दशक के आसपास ही सुलझ जाने वाला मामला आज तक सुलझ नहीं पाया है. अगर चीन वहां पर इनवेस्ट करता है तो बांग्लादेश को भारत से दूर करने का प्रयास हर संभव करेगा. इसमें एक महत्वपूर्ण बात है कि हमारे पूर्व विदेश मंत्रालय के सचिव जब बांग्लादेश गए थे तो उन्होंने कहा कि भारत तीस्ता नदी में 1.1 बिलियन डॉलर का प्रोजेक्ट लाएगा. इसके लिए बांग्लादेश को कहा गया कि भारत बांग्लादेश की सभी आवश्यकताओं को ध्यान में रखेगा. तीस्ता नदी का विवाद काफी समय है. 413 किलोमीटर ये तीस्ता नदी है उसमें से 305 किलोमीटर नदी भारत में बहती है. 109 किलोमीटर नदी बांग्लादेश में बहती है. सिक्किम और अन्य जगहों से बहते हुए ये नदी पश्चिम बंगाल से होते हुए बांग्लादेश में प्रवेश करती है. बांग्लादेश में प्रवेश करने से ठीक पहले भारत ने वहां गाजल डोवा नाम का एक प्रोजेक्ट बना रखा है. उसी प्रोजेक्ट के जरिये भारत उत्तर बंगाल को पानी सप्लाई करता है. बंगाल के छह जो जिले हैं वो सूखाग्रस्त हैं. उन जगह पर पानी को लाने के लिए इस प्रोजेक्ट पर काम किया गया है. बांग्लादेश में डालियाब्रिज है जहां बाढ़ को रोकने के लिए उसका उपयोग किया जाता है. वहां पर काफी ओवर स्टोरेज की जरूरत है कि इसके लिए वहां पर एक बड़ा प्रोजेक्ट खड़ा करने की बात है.
आवश्यकता और पानी का वितरण
बांग्लादेश का ये आरोप रहा है कि उसको 7 हजार क्यूसेक पानी की आवश्यकता होती है, उसके सापेक्ष में 1500 से 2000 क्यूसेक पानी ही मिलता है. बांग्लादेश को पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं मिल रहा है. इस बात को ध्यान में रखते हुए 2011 में एक समझौते पर पहुंचा गया था. उस समय के पीएम मनमोहन सिंह बांग्लादेश में विजिट के समय ये बात रखी गई थी कि 40 प्रतिशत उस नदी के पानी का उपयोग भारत, 40 प्रतिशत पानी का उपयोग बांग्लादेश उपयोग करेगा. जबकि 20 प्रतिशत पानी नदी में पानी की स्थिति बनाए रखने के लिए रखा जाएगा. उस समय पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी को उससे दिक्कत था. उस समय उन्होंने बांग्लादेश से होने वाले समझौते से मना कर दिया. उस समय अपनी राजनीति के कारण उन्होंने ऐसा नहीं किया. बीजेपी और केंद्र में शासित सरकार जो उस समय की थी उनको भी लगा कि अगर बिना ममता बनर्जी के सहमति के ये डील की गयी तो आने वाले समय देश में आंतरिक राजनीतिक स्थिति खराब हो सकते हैं. भारत राज्यों का संघ होने के कारण तीस्ता नदी का मामला नहीं सुलझ पाया जिसके कारण तीस्ता नदी का विवाद आज तक है और इसका फायदा चीन ले रहा है.
चीन इसके जरिये अपना प्रभाव बनाना चाहता है. तीस्ता नदी के जरिये प्रोजेक्ट लाकर घुसपैठ करने की फिराक में है. सिलिगुड़ी कोरिडोर और वहां का जो चिकन-नेक है, वह भारत को उसके उत्तर पूर्वी राज्यों के साथ जोड़ना चाहता है. वहां पर चीन अपनी उपस्थिति दर्ज कराना चाहता है. उसी तर्ज पर भारत ने अपना एक प्रस्ताव दिया है. जो नदी के जरिये मदद नहीं हो पा रही है वहां पर बराज के जरिये आवश्यकताओं को पूरा करने का प्रयास करेगा. फिलहाल, इतना तो तय है कि भारत और बांग्लादेश की दोस्ती से ड्रैगन के माथे पर बल जरूर पड़ रहे हैं और उसकी पहुंच भी कम हो गयी है.
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