चीन की तरफ से लगातार उभरते खतरे को देखते हुए भारत और जापान की वायुसेना के बीच संयुक्त युद्धाभ्यास- 'वीर गार्जियन 2023' होने जा रहा है. इसका मकसद दोनों देशों के दुश्मन चीन को संकेत देना है. कई सूत्रों ने एबीपी लाइव को यह जनकारी दी.
वीर गार्जियन युद्धाभ्यास 16 जनवरी से लेकर 26 जनवरी तक जापान के हयाकुरी एयर बेस और इरुमा एयर बेस पर होगा. शीर्ष सूत्रों के मुताबिक, इस अभ्यास का उद्देशय चीन को साफतौर पर यह संदेश देना है कि जापान इस क्षेत्र से भारत को वायु सहायता दे सकता है. जबकि, अगर जरूरत पड़े तो भारत भी हिंद प्रशांत से जापान को पूरी ताकत के साथ आसमान में सहायता कर सकता है.
भारतीय वायुसेना की तरफ से इस युद्धाभ्यास में 4 सुखोई-30MKI, दो C-17 विमान जबकि जापान की तरफ से चार एफ-2 और चार एफ-15 लड़ाकू विमान हिस्सा लेंगे.
सूत्रों ने बताया, “चीन से उभरते खतरे के बीच यह महत्वपूर्ण है कि वायु सेना समेत सभी तरह से जापान और भारत एक साथ आएं. ऐसा पहली बार हो रहा है जब दोनों देशों की वायुसेना संयुक्त युद्धाभ्यास करेगी. इसका मकसद दोनों के दुश्मन चीन को सख्त संदेश देना है.”
टोक्यो और नई दिल्ली के बीच सितंबर 2022 में रक्षा और विदश मंत्रियों की आयोजित 2+2 वार्ता के इस युद्धाभ्यास को करने का फैसला दौरान हुआ था. इस अभ्यास से दोनों देशों के बीच संबंध गहरे होंगे और रक्षा सहयोग में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा. भारत ने बैठक के दौरान यह भी कहा था कि वह दोनों देशों के बीच सुरक्षा और रक्षा सहयोग के हिस्से के रूप में काउंटर-स्ट्राइक मिसाइल हासिल करने में टोक्यो की योजना का समर्थन करेगा.
चीन को 'कड़ा संदेश'
एक अन्य सूत्र के मुताबिक, 'वीर गार्जियन-2023' का मकसद दोनों देशों दोनों की संयुक्त ताकत का न सिर्फ चीन को कड़ा संदेश देना है बल्कि यह क्वाड की मजबूती को लेकर बीजिंग को भी 'सीधा संदेश' होगा. भारत और जापान क्वाड पार्टनर है, जिसमें अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया भी साझेदार है.
सूत्रों ने आगे बताया- “क्वाड की तरह द्विपक्षीय और बहुपक्षीय स्तर पर हमें और एकजुट होने की जरूरत है. ये चीन को बेचैन करेगा क्योंकि वो नहीं चाहते है कि ये सभी देश एक साथ आएं.”
सूत्रों के मुताबिक, सूत्रों के मुताबिक, जापान भारत के पूर्व चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत की इन बातों में पूरी तरह से यकीन करता है कि जो उन्होंने कहा था कि चीन बड़ा सुरक्षा खतरा है. यह पाकिस्तान से भी बड़ा खतरा है.
भारत के चार सुखोई-30MKI, दो सी-17 लड़ाकू विमान सोमवार की सुबह थाईलैंड पहुंचे और रॉयल थाई वायु सेना और नौसेना के साथ चर्चा की. वहां पर भारत के राजदूत नागेश सिंह ने वायुसेना दल का स्वागत किया. 12 जनवरी को यह दल जापान पहुंचेगा.
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