रिश्वतखोरी और लालफीताशाही पर पाना होगा काबू, मुश्किल नहीं है 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने का लक्ष्य
अगर भारत को विकसित होना है, तो सबसे पहले जनसंख्या पर नियंत्रण करना होगा. जिस हिसाब से जनसंख्या बढ़ रही है, उस हिसाब से नौकरियां दे पाना या फिर सुविधाएं दे पाने में दिक्कत है.
प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले की प्राचीर से देश को भरोसा दिलाया कि राष्ट्रनिर्माण का कार्य निरंतर चल रहा है. उन्होंने कुछ मौकों पर यह भी कहा है कि उनके अगले कार्यकाल में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा और 2047 तक इसे विकसित राष्ट्र बनाने का स्वप्न भी वह देखते हैं, जनता को दिखलाते हैं. क्या होता है विकसित देश होने का मतलब, क्या होता है पैमाना और कैसे आंकते हैं किसी देश के विकास को. क्या रोटी, कपड़ा और मकान से आगे बढ़कर अब बुनियादी जरूरतों में अन्य चीजें भी जुड़ गयी हैं, क्या भारत में है वो दम कि वह अगले 24 साल में विकसित हो जाए?
बहुतेरे पैमाने हैं विकास को मापने के
विकसित देश की परिभाषा जो है, उसमें कई पैमाने होते हैं, जिन पर खरा उतरना पड़ता है किसी भी देश को. उसमें पहला प्रति व्यक्ति आय और जीडीपी है. जीडीपी माने सकल घरेलू उत्पाद. इसमें हर व्यक्ति की, यानी प्रति व्यक्ति आय क्या है और जीडीपी मतलब पूरे देश की क्या आमदनी है? जाहिर सी बात है, जिस देश में समृद्धि होगी, जिस देश में धन होगा, वहां विकास भी होगा. उसके बाद साक्षरता की दर आती है. वहां कितने प्रतिशत लोग पढ़े-लिखे हैं, वहां जो ग्रामीण क्षेत्र हैं, दूर-दराज के इलाके हैं, खासकर उनमें जो महिलाएं हैं, बच्चियां हैं. वे कितना पढ़ी हैं, उनको कितने मौके मिले हैं, यह भी विकसित देश की एक अर्हता है.
पढ़ाई-लिखाई का स्तर भी बहुत बड़ा फैक्टर है. इसके बाद आता है इन्फ्रास्ट्रक्चर. इसका मतलब है, वहां सड़कें, हाईवे, एक्सप्रेसवे वगैरह कैसे हैं. वहां रेल की सेवा और व्यवस्था कैसी है, एयरपोर्ट कितने हैं, वहां नदी या समुद्र के किनारे से लोग जाते हैं कि नहीं. अगर रोड बहुत अच्छी क्वालिटी की हैं, तो जाहिर तौर पर देश विकसित है. अगर रेलवे का पूरा नेटवर्क है और कोने-कोने में रेल जा रही है, समय से और गति से पहुंचाती है, तकनीक बिल्कुल अद्यतन है, तो विकसित देश है. अगर एयरपोर्ट कम दूरी पर हैं, फ्लाइट की संख्या ज्यादा है, महंगा नहीं है, तटीय इलाकों की कनेक्टिविटी, वाटरवेज की गुणवत्ता भी बताता है कि देश विकसित है या नहीं.
इसके बाद स्वास्थ्य का मौका आता है. स्वास्थ्य सुविधा जन-जन को उपलब्ध है कि नहीं, अगर किसी गांववाले को कोई बड़ी सर्जरी करानी है तो नजदीक में कोई व्यवस्था है कि नहीं, या फिर उसे भी महानगर ही जाना पड़ता है. इसके बाद शिक्षा भी पैमाना है. क्या वहां हरेक व्यक्ति को अच्छी और सुविधापूर्ण शिक्षा उपलब्ध है कि नहीं, मतलब कॉलेज और यूनिवर्सिटी वगैरह हैं कि नहीं, प्राथमिक स्कूल हैं या नहीं?
भारत के विकसित होने में कई चुनौतियां
इसके अलावा एक बात स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग या जीवनस्तर की होती है. इसको आसानी से समझिए. अगर हिंदुस्तान के किसी गांव की बात करें तो क्या हर घर में एलईडी टीवी है, फ्रिज है, स्मार्टफोन कम से कम एक है, बाइक है....और अगर ये चारों चीजें उस गांव के हर घर में है, तो जाहिर सी बात है कि वहां जीवनस्तर ठीक होगा. अब इसी को दिल्ली-मुंबई में देखेंगे तो वहां जीवनस्तर बढ़ जाएगा.
आमतौर पर यही बातें हैं. इसी सब को मिलाकर किसी देश के विकसित या विकासशील होने की बात की जाती है. मानव विकास सूचकांक (ह्युमन डेवलपमेंट इंडेक्स) या एचडीआई में स्कूली शिक्षा पर काफी जोर दिया गया है. जीवन प्रत्याशा क्या है, नेशनल इनकम क्या है, ग्रॉस नेशनल इनकम हैं, स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग देखा जाता है.
अगर भारत को विकसित होना है, तो सबसे पहले जनसंख्या पर नियंत्रण करना होगा. जिस हिसाब से जनसंख्या बढ़ रही है, उस हिसाब से नौकरियां दे पाना या फिर सुविधाएं दे पाने में दिक्कत है. कुछ आंकड़ों के हिसाब से हम इस मामले में दुनिया में सबसे आगे हैं. प्राकृतिक संसाधन तो उतने ही हैं. खनिज पदार्थ से लेकर पानी तक, सब कम ही हो रहा है.
कुछ जगहों पर हमारी बेटियां उनके विकास को लेकर हम मेहनत नहीं करना चाहते. कई जगह बिटिया ने दसवीं पास कर ली, तो उसे घर का काम सिखाने लगते हैं. यह माइंडसेट चेंज करना होगा. हरेक बिटिया को कमाऊ बिटिया बनाना होगा, ताकि वित्तीय निर्भरता न रहे. उसे रोजगारपरक शिक्षा दें. 12वीं के बाद उसे शेफ की, बढ़िया डिजाइनर की, ग्राफिक कंटेंट बनानेवाले की, कंप्यूटर आदि की ट्रेनिंग दे, ताकि उसे आसानी से नौकरी मिल सके. वह आत्मनरिभर होगी, तो आज पिता का, फिर पति का हाथ बंटाएगी और परिवार से लेकर देश तक की प्रगति में योगदान देंगे.
रिश्वतखोरी और लालफीताशाही रोकते हैं प्रगति
रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार को जब तक शून्य नहीं करेंगे, देश विकसित नहीं होगा. हम निरंतर भ्रष्टाचार की, रिश्वतखोरी की कहानियां सुनते हैं. यह अगर बंद नहीं हुआ, तो हम विकसित नहीं हो पाएंगे.
कुछ स्टेट्स में कोई अगर इनवेस्टमेंट का प्रोजेक्ट आता है, अगर उसकी फाइल तीन-चार महीने क्लियर नहीं होती, तो वो नुकसान किसका है? अगर वह समय पर लग जाता तो देश की प्रगति होती, टैक्स कलेक्शन से लेकर रोजगार तक में काफी बढ़ोतरी होती, स्थानीय स्तर पर इसके फायदे महसूस होते हैं. तो, लालफीताशाही को जब तक बिल्कुल खत्म नहीं करेंगे, वह देश की प्रगति में बाधक बनता रहेगा.
हम 2047 तक, यानी आजादी की 100वीं वर्षगांठ तक विकसित होंगे. हमारी विकास की दर बहुत ठीक है. आज जो विकसित देश हैं, अमेरिका से लेकर जापान और जर्मनी तक, हम उनसे अधिक तेजी से बढ़ रहे हैं. हमारा ग्रोथ लगातार बढ़ रहा है. इस सरकार की कई चीजें ऐसी हैं, जो काफी अच्छी रही हैं.
पिछले नौ वर्षों में इकोनॉमी बहुत ठीक रही है. आज हम सबसे तेजी से बढ़ती इकोनॉमी हैं. हम पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं. जीएसटी कलेक्शन इतना बढ़िया है कि इनफ्रास्ट्रक्चर भी बेहतर हो रहा है. अभी यूक्रेन-रूस युद्ध में सारी दुनिया में या तो मंदी आयी या फिर मुद्रास्फीति, पर भारत की विकास दर अभी भी 6 फीसदी के ऊपर है. यह मोदी सरकार के कामों का नतीजा है. आइटी एंड सर्विसेज और स्टार्टअप्स का लोहा दुनिया मानती है, चाहे अमेरिका में हो या यूरोप में हो. हिंदुस्तान के स्टार्टअप्स ने बाहर भी इज्जत और नाम कमाया है. इसके आधार पर यह लगता है कि हम 2047 तक एक विकसित देश बन सकते हैं, इसमें कोई शक नहीं है.