जिस 'आधार कार्ड सिस्टम' को फिलिपिंस-मोरक्को ने अब किया शुरू, 14 साल पहले ही भारत बढ़ा चुका था कदम
भारत में आधार को 2009 में UPA-I की सरकार ने शुरू किया था. विशिष्ट पहचान संख्या जारी करने के उद्देश्य से केंद्र ने भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) का गठन किया गया. आधार सिस्टम के जनक कहे जाने वाले नंदन एम. नीलेकणी को UIDAI का पहला अध्यक्ष नियुक्त किया गया था.
भारत में आधार कार्ड सिस्टम की शुरुआत UPA-I की सरकार के दौरान हुआ था. तब शायद किसी ने ये नहीं सोचा था कि UADIA वाला यह 12 अंकों का आधार सिस्टम भारत में डिजिटलीकरण और सरकारी सेवाओं का लाभ पहुंचाने के साथ-साथ ग्लोबल भी बन जाएगा. जी, हां ये अब आधार कार्ड का ग्लोबल हो रहा है इसका दायरा बढ़ रहा है. चूंकि फिलीपींस और मोरक्को ने अपने यहां भारत जैसे अपने नागरिकों के लिए एक यूनिक आईडी नंबर यानी एक तरीके से आधार सिस्टम को अपनाने जा रहे हैं. वे ऐसा करने वाले विश्व में पहले देश भी बन गए हैं. वे इसके लिए भारत से मदद भी मांग रहे हैं दोनों ही अपने यहां भारतीय आधार सिस्टम के ओपन-सोर्स टेक्नोलॉजी आर्किटेक्चर को लागू करने जा रहे हैं. इसके अलावा आठ से दस देश भी अपने यहां इसे लागू करने की योजना पर काम कर रहे हैं. जिन देशों ने इस आधारयुक्त तकनीक को अपनाने की इच्छा जताई है उसमें नेपाल, सिंगापुर, ब्राजील, मेक्सिको, वियतनाम, केन्या और श्रीलंका देश भी शामिल हैं.
भारत अभी G20 की अध्यक्षता कर रहा है. इसमें UIDAI को पब्लिक डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने के सरकार की कोशिशों को एक महत्वपूर्ण विकास के रूप में देखा जा रहा है. भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI), साइबर सुरक्षा और डिजिटल कौशल विकास के प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए G20 डिजिटल इनोवेशन एलायंस (DIA) भी लॉन्च किया है. भारत सरकार अन्य देशों को भारत स्टैक की पेशकश कर रही है, जिसमें आधार, यूनिफाइड पेमेंट इंटरफ़ेस (UPI), (eSign), (DigiLocker) आदि जैसी सेवाओं के ओपन-सोर्स सॉफ़्टवेयर एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (API) शामिल हैं.
एक पहचान जो सबके लिए और सब जगह करती है काम
कोविड-19 संक्रमण के दौरान जनवरी 2021 से, भारत सरकार अपने डिजिटल प्लेटफॉर्म, "CoWIN" पोर्टल के माध्यम से 950 मिलियन से अधिक वैक्सीन खुराक का वितरण करने में सक्षम रही है, जिससे प्रत्येक नागरिक के लिए टीकाकरण की समान पहुंच सुनिश्चित हुई है. भारत ने 450 बिलियन अमेरिकी डॉलर की सहायता के साथ गरीब परिवारों, किसानों, छोटे व्यवसायों और अन्य कमजोर समूहों को लक्षित करते हुए एक प्रोत्साहन पैकेज भी शुरू किया. 2 सितंबर 2020 तक, सहायता सीधे 421 मिलियन से अधिक के बैंक खातों में जमा की गई. इतने बड़े पैमाने पर लोगों को सुगमता पूर्वक योजनाओं और सेवाओं का सीधा लाभ पहुंचाया जा सकता है तो उसमें देश के डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे का बड़ा अहम योगदान है. चिकित्सा सहायता, वित्तीय सहायता और टीकाकरण के बारे में विश्वसनीय डेटा होने से ऐसा संभव हुआ है. भारत की इस प्रमाणीकरण प्रणाली को 'आधार' कहा जाता है.
एक विश्वसनीय डिजिटल पहचान प्रणाली
एक डिजिटल पहचान के रूप में आधार कार्ड सिस्टम सरकारों, नागरिकों और व्यवसायों को यह विश्वास दिलाता है कि जिस व्यक्ति के साथ वे लेन-देन कर रहे हैं, वह वास्तव में सही है. आधार एक व्यक्ति के बारे में बुनियादी जानकारी एकत्र करता है, जैसे बायोमेट्रिक, व्यक्ति का पूरा पता और प्रत्येक उपयोगकर्ता के लिए एक विशिष्ट आईडी का उपयोग करके इस जानकारी के प्रमाणीकरण के लिए कई चैनल प्रदान करता है. 2009 में, जब आधार की परिकल्पना की गई थी तब यह अनुमान लगाया गया था कि भारत में लगभग 400 मिलियन लोगों के पास व्यक्तिगत पहचान दस्तावेज नहीं हैं, जबकि केवल 17% आबादी के पास ही बैंक खाते थे. लगभग 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर सब्सिडी पर खर्च किए जा रहे थे, फिर भी सही लाभुक तक योजनाओं का लाभ नहीं पहुंच पाता था चूंकि डायवर्जन और लीकेज एक बड़ी समस्या थी.
भारत को एक विशिष्ट पहचान देने के लिए एक सुरक्षित, विश्वसनीय तरीका चाहिए था. 1.2 बिलियन से अधिक आबादी वाले देश में बहुसंख्य नागरिकों के पास यह साबित करने के लिए कोई दस्तावेज नहीं था कि वे कौन हैं और उनका आधार क्या है जिससे उन्हें सही समझा जाए. भारत सरकार ने अपनी महत्वाकांक्षी विशिष्ट पहचान परियोजना को धरातल पर उतारने के लिए 100 करोड़ रुपये का फंड निर्धारित किया. बारह साल बाद, आधार ने भारत के 94.2% से अधिक आबादी के लिए पहचान का दस्तावेज़ीकरण कार्य किया है. यह उपयोगकर्ता को सुरक्षित, डिजिटल पहचान प्रदान करता है जिसके खो जाने या उसके नकली होने का डर नहीं है. अब करोड़ों लोगों के लिए आधार संख्या ही उनकी पहली पहचान बन गई है.
भारत हर साल 10 अरब अमेरिकी डॉलर की कर सकता है बचत
आधार ने आइडेंटिटी ट्रस्ट की लागत को 10-20 अमेरिकी डॉलर प्रति लेनदेन से घटाकर 0.27.8 अमेरिकी डॉलर कर दिया है. इससे लाखों भारतीय नागरिकों को सरकारी सब्सिडी, राशन, सामाजिक पेंशन, रसोई गैस, उर्वरक सब्सिडी आदि का सीधा लाभ मिल पा रहा है. आधार कार्ड सिस्टम के होने से बिचौलियों पर रोक लगाई जा सकी है. पहली बार सस्ती औपचारिक वित्तीय सेवाओं (जैसे बैंक खातों) और मौलिक अधिकारों जैसे मतदान, मुफ्त शिक्षा, नौकरी, आदि तक पहुंचने के लिए अपने अस्तित्व को साबित करने का आधार एक सटीक दस्तावेज बन गया है. मैकिन्से के अनुमान के अनुसार आधार कार्ड प्रणाली के जरिए भारत अपने जीडीपी के 3-13% तक को अनलॉक की क्षमता रखता है. भारत सरकार के लिए, आधार ने दुनिया के सबसे बड़े सामाजिक सब्सिडी कार्यक्रमों को चलाने की लागत को कम कर दिया है. विश्व बैंक द्वारा तैयार की गई डिजिटल डिविडेंड रिपोर्ट के मुताबिक आधार के इस्तेमाल से भारत हर साल 10 अरब अमेरिकी डॉलर की बचत कर सकता है.
डिजिटल डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर की रीढ़ है आधार
आधार के शीर्ष पर नवोन्मेषकों के पारिस्थितिकी तंत्र द्वारा कई एप्लिकेशन बनाए गए हैं, जैसे आधार नंबर पर पैसे भेजने के लिए आधार भुगतान ब्रिज उनमें से एक है. यह विशेष नवाचार भारत में डिजिटल डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर की रीढ़ है, जिससे सरकार सीधे उपयोगकर्ता तक पहुंच पाती है. आधार माइक्रो एटीएम, ग्राहकों को बैंक प्रतिनिधियों द्वारा उनके दरवाजे पर लाए गए पोर्टेबल उपकरणों पर बुनियादी वित्तीय लेनदेन करने में सक्षम बनाया है. इसके लिए केवल आधार नंबर और पहचान प्रमाण के रूप में लाभुक का फिंगरप्रिंट का उपयोग किया जाता है. भारत में कोविड-19 लॉकडाउन के पहले चरण के दौरान, प्रत्येक दिन 11 मिलियन माइक्रो एटीएम लेनदेन हुए हैं. कोविड-19 ने सही समय पर, तेजी से और सबसे कुशल तरीके से प्रत्येक नागरिक तक पहुंचने के लिए सार्वजनिक सेवाओं के वितरण में सुधार की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डाला है.
भारत में आधार कार्ड सिस्टम का इतिहास
भारत में आधार को 2009 में UPA-I की सरकार ने शुरू किया था. विशिष्ट पहचान संख्या जारी करने के उद्देश्य से केंद्र ने भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) का गठन किया गया. आधार सिस्टम के जनक कहे जाने वाले नंदन एम. नीलेकणी को UIDAI का पहला अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. हालांकि, उस वक्त विपक्ष में रहने वाली पार्टियों ने आधार सिस्टम की जमकर आलोचना भी की थी. लेकिन, जब 2014 में भाजपा नीत एनडीए सरकार सत्ता में आई तो उसने यूपीए के इस आधार परियोजना को अपने हाथ में ले लिया, जिसके परिणामस्वरूप बिना किसी जांच और सुरक्षा की जांच किए बिना ही आधार कार्ड का व्यापक उपयोग किया जाने लगा. बाद में इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई पीआईएल व अन्य तरह की याचिकाएं दायर की गईं और सुनवाई होती चली गई. इसके बाद वर्ष लोकसभा ने इसे मनी बिल के रूप में आधार विधेयक, 2016 पारित किया. फिर 25 मार्च, 2016 को ही राष्ट्रपति ने इस विधेयक को अपनी स्वीकृति दे दी और ठीक इसके अगले ही दिन यानी 26 मार्च, 2016: आधार (वित्तीय और अन्य सब्सिडी, लाभ और सेवाओं का लक्षित वितरण) अधिनियम, 2016 को भारत के राजपत्र में अधिसूचित किया गया. तब से यह भारतीय नागरिकों के लिए एक विशेष और अलग पहचान पत्र के रूप में प्रचलन में आ गया.
कैसे काम करता है आधार?
आधार प्रणाली एक ठोस रणनीति और एक मजबूत प्रौद्योगिकी प्रणाली पर आधारित है और भारतीय नागरिकों के लिए यह एक महत्वपूर्ण डिजिटल पहचान देती है. आधार के अपने आप में एक यूनिक डिजिटल आईडी होने के नाते किसी भी समय और कहीं भी खुद को प्रमाणित करने के लिए एक शक्तिशाली मंच प्रदान करता है. प्रमाणीकरण का उद्देश्य निवासियों को अपनी पहचान साबित करने में सक्षम बनाना है और सेवा प्रदाताओं के लिए यह पुष्टि करना है कि जिस चीज का वो लाभ ले रहे हैं वे उसके सही लाभुक हैं और दी जाने वाली सेवा उन तक पहुंच पा रही है.
UIDAI द्वारा अपनाई प्रौद्योगिकियां
1. एकीकृत मेरा आधार पोर्टल पर
2. mAadhaar मोबाइल एप्लिकेशन पर नागरिकों को कई सेवाएं दी जा रही हैं.
3. सुरक्षित क्यूआर कोड और ऑफलाइन केवाईसी का उपयोग किया जाता है.
4. सुरक्षा के लिए वर्चुअल आईडी, आधार लॉक, बायोमेट्रिक लॉक की व्यवस्था है.
5. निवासियों के दस्तावेजों की सहमति-आधारित प्राप्ति के लिए डिजिलॉकर के साथ एकीकरण किया गया है.
6. एआई/एमएल का व्यापक उपयोग.
7. अत्याधुनिक यूआईडीएआई के पास अपना एक निजी क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर है.
8. स्वचालित बायोमेट्रिक पहचान प्रणाली (एबीआईएस) का स्वदेशी विकास.
9. इसे और सुरक्षित बनाने के लिए इसरो के साथ एकीकरण किया गया है.
10. आधार केंद्रों के स्वत: निरीक्षण के लिए पोर्टल की व्यवस्था है.
11. ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी, IoT, कॉन्फिडेंशियल कंप्यूटिंग, AI-बेस्ड फ्रॉड एनालिटिक्स, क्वांटम रेजिलिएंट और क्रिप्टोग्राफिक सॉल्यूशंस के लिए शोध चल रहा है.
आगे की राह
भारत अपने सामाजिक बुनियादी ढांचे के लिए विकेंद्रीकृत बिल्डिंग-ब्लॉक दृष्टिकोण अपना रहा है. जिसके लिए आधार एक मूलभूत पहचान रहेगा. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि हम जन धन (वित्तीय सेवाओं तक पहुंच), आधार और मोबाइल (कनेक्टिविटी) के साथ, हम वित्तीय समावेशन, बेहतर शिक्षा तक पहुंच, बेहतर स्वास्थ्य सेवा, बेहतर आजीविका के अवसर और अन्य क्षेत्रों में बड़े कदमों की उम्मीद करते हैं. आधार उन नागरिकों तक पहुंचने की कोशिश करेगा जो अभी तक किसी भी सेवा के प्राप्तकर्ता नहीं हैं. अधिक उपयोगकर्ताओं के अनुकूल तरीके (जैसे जन्म के समय आधार नामांकन) और स्वयं सेवा, भारतीय डाक सेवाओं आदि के माध्यम से अद्यतन करना भी आसान बनाते हैं.