Fastest 5G Rollout: किसी भी अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए जरूरी है कि देश के सभी इलाकों तक आधुनिक संचार सुविधा पहुंचे. इस दिशा में पिछले कुछ महीनों में भारत ने ऊंची छलांग लगाई है. जैसे-जैसे देश की अर्थव्यवस्था का आकार बड़ा होते जाएगा, उसमें डिजिटल कनेक्टिविटी की भूमिका और बढ़ती जाएगी और इसमें पांचवीं पीढ़ी की प्रौद्योगिकी सबसे अहम साबित होगी.
भारत दुनिया में सबसे तेजी से 5जी नेटवर्क का प्रसार करने वाला देश है. इस मोर्चे पर पिछले 10 महीने में भारत ने जो कामयाबी हासिल की है, वैसा दुनिया का कोई और देश नहीं कर पाया है.
10 महीने में 3 लाख से ज्यादा 5जी साइट
भारत में 5जी सेवा की शुरुआत 1 अक्टूबर 2000 को हुई थी. अभी इसकी शुरुआत को 10 महीने ही बीते हैं और भारत ने पूरे देश में 3 लाख से ज्यादा 5जी साइटों की स्थापना का कारनामा कर दिखाया है. भारत के पास दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा 5जी इकोसिस्टम है. जब 5जी सेवा की शुरुआत हुई थी तो उसके 5 महीने के भीतर देश में एक लाख 5जी साइट की स्थापना कर ली गई थी. 8 महीने में दो लाख 5जी साइट की स्थापना कर ली गई. अब 10 महीने में 3 लाख का आंकड़ा पार कर लिया गया है. यानी एक से दो लाख 5जी साइट पहुंचने में सिर्फ़ 3 महीने लगे, जबकि 2 से 3 लाख 5जी साइट पहुंचने में तो महज़ दो ही महीने लगे.
5जी साइटों की स्थापना का ये सफर दिखाता है कि भारत कैसे डिजिटल कनेक्टिविटी में तेजी से आगे बढ़ रहा है. केंद्रीय दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जानकारी दी थी कि अब तक 714 जिलों में 3 लाख से ज्यादा 5जी साइट स्थापित की गई हैं. इस मुकाम को हासिल करने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी खुशी जाहिर करते हुए इसे भारत की तकनीकी यात्रा में ऐतिहासिक उपलब्धि का प्रतीक बताया है. प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा है कि 5जी का इतनी तेजी से प्रसार, देश के हर कोने में अत्याधुनिक तकनीक लाने, लोगों के जीवन में बदलाव लाने और प्रगति को गति देने की सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है.
2022 में 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी
पिछले साल जुलाई में 8वीं स्पेक्ट्रम नीलामी के साथ देश में 5जी सेवाओं की शुरुआत करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया था. केंद्र सरकार ने नीलामी के लिए 72,098 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम रखा था. इनमें 51,236 मेगाहर्ट्ज 1,50,173 करोड़ रुपये की बोली के साथ बेचा गया. ये कुल स्पेक्ट्रम का 71 फीसदी था. ये किसी नीलामी से हासिल होने वाली सबसे बड़ी राशि थी. इस नीलामी के जरिए रिलायंस जियो, भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया लिमिटेड और अडानी डेटा नेटवर्क्स 5जी स्पेक्ट्रम हासिल किया था. सबसे ज्यादा स्पेक्ट्रम रिलायंस जियो और उसके बाद भारती एयरटेल ने हासिल किए थे. इसके बाद एक अक्टूबर 2022 को दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता समेत देश के 13 शहरों में 5जी सेवा की शुरुआत की गई थी.
निजी कंपनियां नेटवर्क बनाने में जुटी हैं
देश में जितनी भी दूरसंचार कंपनियां हैं, वे 5जी सेवाओं का नेटवर्क स्थापित करने में लगी हुई हैं. अब 5जी को लेकर देश की सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी रिलायंस जियो ने सरकार को एक महत्वपूर्ण जानकारी दी है. दूरसंचार विभाग को भेजी गई जानकारी में कंपनी ने बताया है कि देश के सभी दूरसंचार सर्किल में 5जी सेवाओं के लिए नेटवर्क स्थापित कर ली गई है और कंपनी तय मानदंड के हिसाब से इसके परीक्षण के लिए बिल्कुल तैयार है. कंपनी ने जो भी नेटवर्क स्थापित किया है, उनमें से 10 फीसदी स्थानों को 5जी सेवाओं के टेस्ट के लिए चुना जाएगा. अगर इसमें कंपनी पास हो जाती है तो उसे 5जी सेवाओं की शुरुआत के लिए पूरी तरह से तैयार होना का सर्टिफिकेट जारी कर दिया जाएगा.
डिजिटल कनेक्टिविटी और 5जी की भूमिका
भारत दुनिया की उभरती हुई अर्थव्यवस्था है. हम अब चीन को पीछे छोड़कर आबादी के मामले में भी पहले नंबर पर आ चुके हैं. ऐसे में इतनी बड़ी आबादी तक संचार सेवाओं को पहुंचाने के लिए 5जी नेटवर्क का विशाल जाल चाहिए. भारत अगले 25 साल में विकसित राष्ट्र बनने का लक्ष्य लेकर भी बढ़ रहा है. अभी फिलहाल भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. आने वाले चंद सालों में ही भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हो जाएगी. जैसे-जैसे देश की अर्थव्यवस्था का आकार बड़ा होते जाएगा, उसमें डिजिटल कनेक्टिविटी की भूमिका और बढ़ती जाएगी. इस लिहाज से भारत ने पिछले कुछ सालों में डिजिटल कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए तेजी से कदम उठाए हैं. उसी का नतीजा है कि आज भारतीय अर्थव्यवस्था के बढ़ने की रफ्तार तो तेज है ही, दूरसंचार नेटवर्क का भी विस्तार उसी रफ्तार से हो रहा है.
5जी से मतलब है पांचवीं पीढ़ी की दूरसंचार सेवा. इससे मोबाइल सेवा तो बेहतर होगी ही, इंटरनेट की गति भी बढ़ेगी. वीडियो चंद पलों में डाउनलोड करना मुमकिन होगा. 5जी सेवा से जुड़े नेटवर्क से ज्यादा आबादी वाले इलाकों में लोगों को बेहतर मोबाइल सर्विस मिल पाएगी. साथ ही दूरदराज के ग्रामीण और पहाड़ी इलाकों में भी दूरसंचार सेवाओं के विस्तार और बेहतर करने में तेजी आएगी. 5जी सेवाओं के विस्तार से चिकित्सा क्षेत्र को भी काफी लाभ पहुंचेगा. ग्रामीण और पहाड़ी अंचलों में लोगों तक चिकित्सा सुविधा पहुंचाने में इसकी बड़ी भूमिका होने वाली है.
डिजिटल विभाजन की खाई को पाटने की कोशिश
डिजिटल विभाजन की खाई को पाटने और अंतिम मील तक कनेक्टिविटी पहुंचाने में 5 जी सेवाओं का भविष्य में महत्वपूर्ण योगदान रहने वाला है. ब्रॉडबैंड कनेक्शन सितंबर, 2022 में बढ़कर 81 करोड़ से ज्यादा हो गया था. वहीं इंटरनेट कनेक्शन की संख्या 85 करोड़ से ज्यादा है जो 2014 से पहले 25 करोड़ थी. 9 दिसंबर 2022 तक देश में मोबाइल टावरों की संख्या करीब साढ़े सात लाख तक पहुंच गई थी. पिछले 9 वर्षों में सरकार और निजी क्षेत्रों के द्वारा 25 लाख किमी ऑप्टिकल फाइबर बिछाया गया है. 6 लाख से ज्यादा गांव 4जी से जुड़ चुके हैं. 2 लाख ग्राम पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ा गया है. अक्टूबर 2022 में मोबाइल कनेक्शन की संख्या 114 करोड़ से ज्यादा हो गई थी. भारत में डिजिटल अर्थव्यवस्था बाकी अर्थव्यवस्था की तुलना में ढाई गुना तेजी से बढ़ रही है. ये तस्वीर बताती है कि देश में डिजिटल समावेशन की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है.
ग्रामीण और पहाड़ी इलाकों में बेहतर कनेक्टिविटी
इस साल 24 मई को उत्तराखंड के गंगोत्री में 5जी नेटवर्क पहुंच गया था. उस वक्त भारत ने 8 महीने में दो लाख 5जी नेटवर्क साइट स्थापित करने का कारनामा किया था. ये दुनिया में सबसे तेजी से 5जी नेटवर्क का विस्तार है. उस वक्त सरकार ने जानकारी दी थी हर मिनट एक साइट स्थापित की गई है. गंगोत्री में शुरुआत के साथ ही उत्तराखंड के चार धाम बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री में 5जी मोबाइल कवरेज सुनिश्चित हो गई थी. 5जी नेटवर्क का तेजी से विस्तार देश के दूरदराज और ग्रामीण इलाकों में बेहतर कनेक्टिविटी पहुंचाने के लिहाज से भी बेहद महत्वपूर्ण है. इस साल नवंबर-दिसंबर तक बीएसएनएल के 4जी नेटवर्क को अपग्रेड कर 5जी में बदल दिया जाएगा.
5जी उत्पादों के विकास पर ध्यान
भारत 5जी उत्पादों के विकास पर उतना ही ध्यान दे रहा है. इसके लिए 5जी इनेबल्ड मोबाइल तक ज्यादा से ज्यादा लोगों की पहुंच सुनिश्चित करना भी जरूरी है. 5जी उत्पादों और समाधानों के विकास के लिए दूरसंचार विभाग '5जी एंड बियॉन्ड हैकाथॉन 2023' का भी आयोजन कर रहा है. इस हैकाथॉन में शामिल होने के लिए 7 अगस्त तक आम लोग, छात्र, स्टार्टअप और शैक्षणिक संस्थान आवेदन कर सकते हैं. इस हैकाथॉन के जरिए कोई भी स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और शासन, एग्रीटेक और पशुधन, पर्यावरण, जन सुरक्षा और आपदा प्रबंधन उद्यम में 5 जी और उससे अलग समाधान विकसित कर सकते हैं. साथ ही स्मार्ट सिटी और बुनियादी ढांचा, साइबर सुरक्षा, बैंकिंग, वित्त और बीमा, लॉजिस्टिक्स और परिवहन, मल्टीमीडिया और ब्रॉडकास्ट सैटेलाइट जैसे कैटेगरी में भी 5जी उत्पादों और 5जी सेवा के इस्तेमाल से जुड़े नए आइडिया को विकसित कर सकते हैं.
5जी सेवा से जुड़ी चुनौतियों पर फोकस
हम 5जी नेटवर्क को पूरे देश में पहुंचाने के मामले में दुनिया में सबसे तेज गति से काम करने वाले देश हैं. इसके बावजूद 5जी सेवा को लेकर कई चुनौतियां हैं, जिन पर भारत को अभी बहुत काम करवा है. सबसे बड़ी चुनौती तेजी से फाइबर कनेक्टिविटी बढ़ाने की है. पिछले साल सितंबर तक फाइबर कनेक्टिविटी से देश के सिर्फ़ 30 फीसदी टेलीकॉम टावर ही जुड़े हुए थे. पूरी तरह से 5जी नेटवर्क की सेवा देश के दूरदराज इलाकों तक पहुंचाने के लिए इस आंकड़े को 60 से 70 फीसदी के बीच ले जाना होगा. राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड मिशन ने ये भरोसा जताया था कि 2024 तक 70% टावरों को कवर करते हुए देश भर में लगभग 2 मिलियन किलोमीटर ऑप्टिकल फाइबर स्थापित किया जाएगा.
5जी सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए देश के ज्यादातर लोगों के पास 5जी-इनेबल्ड मोबाइल हैंडसेट हो, इसके लिए भारत को अपने स्थानीय 5जी हार्डवेयर निर्माण को अभूतपूर्व दर से प्रोत्साहित करने और बढ़ावा देने की जरूरत है. कंपनियों को 5जी से जुड़े प्लान की कीमतों को लेकर भी कदम उठाने पड़ेंगे. उम्मीद है कि भारत में 2026 तक 30 मिलियन से ज्यादा 5जी सब्सक्रिप्शन हो जाएंगे और जिस तेजी से भारत इस दिशा में कदम बढ़ा रहा है. इस लक्ष्य को हासिल करना ज्यादा मुश्किल नहीं होगा.
6जी विज़न फ्रेमवर्क में महत्वपूर्ण भूमिका
5जी के बाद भारत 6जी तकनीक के विकास में नेतृत्व करने का विजन लेकर आगे बढ़ रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी साल 22 मार्च को भारत के 6जी विजन का दस्तावेज जारी किया था. इसे 'भारत 6जी विजन' नाम दिया गया है. उस वक्त प्रधानमंत्री ने कहा था कि 5जी की मदद से भारत पूरी दुनिया का वर्क कल्चर बदलने के लिए कई देशों का मिलकर काम कर रहा है और भविष्य में भारत, 100 नई 5जी लैब भी बनाने जा रहा है. इन लैब से भारत की जरूरत के लिहाज से 5जी एप्लीकेशन विकसित करने में सहायता मिलेगी. जून में ही अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) ने 6जी विजन फ्रेमवर्क को मंजूरी दी है. इस फ्रेमवर्क को तैयार करने में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. ITU संयुक्त राष्ट्र की सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के लिए विशेष एजेंसी है. इसने 6वीं पीढ़ी या 6जी तकनीक को 'आईएमटी 2030' नाम दिया है. ITU के 6जी विज़न फ्रेमवर्क से दुनिया भर में 6जी प्रौद्योगिकी के विकास में मदद मिलेगी.
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