भारत और चीन के बीच रिश्तों में गर्मजोशी लाने और संबंधों को आगे बढ़ाने की दिशा में कूटनीतिक पहल करने के लिए इस महीने की शुरुआत में नई दिल्ली स्थित थिंक टैंक इंडिया फाउंडेशन के उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने वहां का दौरा किया. उनका ये दौरा ऐसे वक्त पर हुआ जब पूर्वी लद्दाख के दोनों तरफ सीमाई इलाकों में तनाव कम करने के लिए दोनों देशों के विदेश मंत्रियों और विशेष प्रतिनिधियों के बीच बैठकें हुई थी, जिसके चलते भारतीय सेना और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के बीच तनाव में काफी कमी आयी.
इंडिया फाउंडेशन के अध्यक्ष और बीजेपी नेता राम माधव के नेतृत्व में इस प्रतिनिधिमंडल ने शंघाई स्थित फुदान यूनिवर्सिटी के आमंत्रण पर पहले शंघाई का दौरा किया. इसके बाद इंडिया फाउंडेशन के डायरेक्टर आलोक बंसल के नेतृत्व में ये प्रतिनिधिंडल ने ल्हासा और तिब्बत पहुंचा. एबीपी लाइव से बात करते हुए बंसल ने कहा- ये दौरा नियमित बातचीत का हिस्सा था, जो हर वर्ष इंडिया फाउंडेशन और फुदान यूनिवर्सिटी के बीच होता है, जो दोनों देशों के बीच कूटनीतिक पहल-2 का हिस्सा भी था.
आलोक बंसल ने आगे कहा, "पिछले साल चीन की तरफ से उच्च स्तरीय प्रतिनिधिंडल ने भारत का दौरा किया था. इस बार भारत की तरफ से वहां पर जाना था. हमने ल्हासा का भी दौरा किया." उन्होंने कहा, मैं ये मानता हूं कि दोनों देशों के बीच नियमित बैठकें काफी महत्वपूर्ण है. इस प्रतिनिधिंडल के अन्य सदस्य थे जाने माने रायनयिक के. कंठ, जो चीन में भारत के पूर्व राजदूत रहे हैं. इसके साथ ही, थिंक टैंक के सोनू त्रिवेदी और सीनियर रिसर्च फेलो सिद्धार्थ सिंह.
चीन के सरकारी अधिकारी ने भी इस उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल के दौरे की पुष्टि की है. भारत वापसी के बाद इंडिया फाउंडेशन के प्रतिनिधिमंडल ने धर्मशाला जाकर तिब्बत की निर्वासित सरकार के प्रतिनिधि (सेंट्रल तिब्बत एडमिनिस्ट्रेशन) के साथ मुलाकात की. पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुरेश प्रभु के नेतृत्व में इस प्रतिनिधिमंडल ने वहां का दौरा किया. पिछले साल इंडिया फाउंडेशन ने नई दिल्ली में चीन से आए प्रतिनिधिंडल की मेजबानी की थी और उन्हें बौद्धों के पवित्र स्थल उत्तर प्रदेश के कुशीनगर लेकर गए थे.
भारत-चीन मित्रता
करीब पांच साल के लंबे अंतराल के बाद 18 दिसंबर को भारत और चीन ने विशेष प्रतिनिधि स्तर की वार्ता की. ये बैठक बीजिंग में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल (जो भारत चीन सीमा विवाद पर भारत के विशेष प्रतिनिधि हैं) और चीन के विदेश मंत्री वांग यी (जो चीन के विशेष प्रतिनिधिधि और सीपीसी सेंट्रल कमेटी को पोलित ब्यूरो के सदस्य है) के बीच हुई.
ये विशेष प्रतिनिधि स्तर की वार्ता ऐसे वक्त पर हुई जब दोनों देशों के बीच संबंध सामान्य होने की दिशा में आगे बढ़ रहा है. इस बैठक के दौरान छह चीजों पर सहमति बनी, जिनमें सीमा पर शांति बनाए रखने के साथ रिश्तों के स्थायी विकास और बेहतर वातावरण की दिशा में प्रभावी कदम उठाना शामिल है. विशेष प्रतिनिधि स्तर की वार्ता में सीमा पार सहयोग और लेन-देन समेत कैलाश मानसरोवर यात्रा दोबारा शुरू करने और सीमा व्यापार का मुद्दा भी शामिल था.
दोनों विशेष प्रतिनिधि की इस उच्च स्तरीय बैठक से ठीक पहले ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अपने चीनी समकक्षीय के साथ नवंबर में जी-20 बैठक से इतर मुलाकात की थी. दोनों मंत्रियों के बीच न सिर्फ रिश्तों को सामान्य बनाने की दिशा में सहमति बनी, बल्कि द्विपक्षीय संबंधों में "अगले कदमों" पर भी व्यापक चर्चा हुई थी.
अब अगले कदम के तौर पर भारत-चीन के बीच सीधी विमान सेवा, कैलाश मानसरोवर यात्रा, नदियों को साझा करने और मीडिया से संबंधितों चीजों का आदान-प्रदान शामिल है. भारत और चीन के संबंधों में लंबे समय तक भारी खटास के बाद जब रुस के कजान में अक्टूबर के महीने में ब्रिक्स सम्मेलन 2024 के दौरान द्विपक्षीय मुलाकात हुई, उसके बाद संबंध सामान्य करने की दिशा में ये रास्ता आसान हुआ. पांच साल में दोनों शीर्ष नेताओं के बीच ये पहली बैठक थी.
पीएम मोदी ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ इस द्विपक्षीय बैठक के दौरान कहा था- "आपसी विश्वास, आदर और संवेदनशीलता... ये हमारे रिश्तों के आधार बने रहने चाहिए. आज हमें ये मौका मिला है कि हम इन सभी मुद्दों पर चर्चा कर पाएं. मुझे विश्वास है कि हम अपने खुले विचारों से इस बार बात करेंगे और हमारी ये चर्चा फलदायक साबित होगी."
इसके बाद 21 अक्टूबर को भारत और चीन के बीच पेट्रोलिंग पर सहमति बनी, जिसमें दोनों पक्षों के जवानों को एलएसी पर पूर्व लद्दाख क्षेत्र संवेदनशील इलाकों जैसे डेमचौक और डेपसांग में पेट्रोलिंग की इजाजत मिल पायी.
हाल के दिनों में दिवाली के मौके पर भारतीय सेना और चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के बीच मिठाइयां का भी आदान-प्रदान हुआ. दोनों पक्ष अब पहले चरण में 2022 में गलवान घाटी, गोगरा स्प्रिंग्स और पैंगोंग लेक इलाकों में सेना की वापसी के बाद अब बचे क्षेत्रों से सैन्य वापसी को लेकर बातचीत कर रहे हैं. वर्तमान व्यवस्था के तहत अभी कोई भी पक्ष इन इलाकों में पेट्रोलिंग नहीं कर सकता है.
इस समय करीब 1 लाख सेना के जवान सीमा के दोनों तरफ तैनात किए गए हैं. भारत ने पूर्वी लद्दाख में जून 2020 में हुई हिंसक झड़प के बाद अपने जवानों की मौजूदगी वहां पर बढ़ा दी थी. उस झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हुए थे, जबकि चीन के भी काफी जवान हताहत हुए. लेकिन, उसने कभी भी अपने जवानों के मारे जाने का आधिकारिक आंकड़ा नहीं बताया.