भारत अब मचा सकता है 'प्रलय', नयी मिसाइल की पहुंच है पाक तक, लोड हो सकते हैं 6 तरह के हथियार
केंद्र सरकार ने प्रलय की तैनाती चीन और पाकिस्तान की सीमा पर करने के लिए हरी झंडी दिखा दी है. यह मिसाइल भारत की प्रतिरक्षा को और मजबूत करेगी.
भारत अपने अगल-बगल ऐसे पड़ोसियों से घिरा है, जिसकी वजह से उसे हमेशा चौकन्ना और शक्तिशाली रहना जरूरत बन गया है. खासकर, चीन और पाकिस्तान की मौजूदगी भारत के लिए हमेशा ही खतरा पैदा करती है. इसलिए, भारत को अपना डेटरेन्ट रखना पड़ता है और इसी कड़ी में आज भारत ने शॉर्ट डिस्टेंस बैलिस्टिक मिसाइल 'प्रलय' का परीक्षण किया है. इस नयी और घातक मिसाइल का परीक्षण ओडिशा के पास अब्दुल कलाम आइलैंड से किया गया. यह मिसाइल सतह से सतह पर मार करने वाली है. यह मिसाइल वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) और नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास तैनात की जाएगी. इससे पहले दिसंबर 2021 में इसका दो बार परीक्षण किया जा चुका था और इसने इस बार भी अपने मिशन के सभी लक्ष्यों को प्राप्त किया. डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गैनाइजेशन (डीआरडीओ) ने इसका विकास किया है और इसकी मारक क्षमता 350 से 500 किलोमीटर तक है. इस पर 500 से 1000 किलोग्राम के हथियार लादे जा सकते हैं.
प्रलय से होगी प्रतिरक्षा मजबूत
केंद्र सरकार ने प्रलय की तैनाती चीन और पाकिस्तान की सीमा पर करने के लिए हरी झंडी दिखा दी है. इस मिसाइल के परीक्षण के दौरान उसकी स्पीड, रेंज और ट्रैक करने वाले उपकरणों की जांच की गई. यह मिसाइल भारत की प्रतिरक्षा को और मजबूत करेगी. इसकी टक्कर चीन के डॉन्ग फेंग 12 और रूस के इस्कंदर मिसाइल से है. रूस ने अपनी इस्कंदर नामक इसी तरह की मिसाइल का इस्तेमाल यूक्रेन से चल रहे युद्ध में भी किया है. इस मिसाइल में भारत ने तीन तरह की मिसाइलों की तकनीक का इस्तेमाल किया है. उन मिसाइलों के नाम हैं- प्रहार और पृथ्वी मिसाइल के 2 और 3 प्रारूप. इस मिसाइल का इस्तेमाल रात में भी किया जा सके, इसके लिए इसमें पृथ्वी की तकनीक का इस्तेमाल हुआ है.
इंफ्रारेड और थर्मल स्कैनर की सहायता से इसे रात में भी मारक बनाया गया है. सरकार ने चीन और पाकिस्तान से लगती सीमा पर ऐसी 120 मिसाइलों की तैनाती को हरी झंडी दी है. इससे पता चलता है कि सरकार के इरादे चीन और पाकिस्तान के खिलाफ डेटरेंस को मजबूत करना है, ताकि ये दोनों ही देश भारत पर हमला करने की सोच भी न सकें. इन मिसाइलों से दोनों ही देशों में सीमा से लगी सामरिक महत्व की चीजों और ठिकानों को तत्काल ध्वस्त किया जा सकता है. चीन जिस तरह सीमाई इलाकों में अपनी पैठ मजबूत कर रहा है, उसमें भारत के लिए यह बेहद जरूरी कदम था. ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के साथ प्रलय नए प्रस्तावित 'रॉकेट फोर्स' का हिस्सा होगा. सितंबर में ही रक्षा मंत्रालय ने प्रलय बैलिस्टिक मिसाइल के लिए मंजूरी दी थी. यह भारतीय सेना के लिए अतिरिक्त आग्नेयास्त्र का काम चीन-पाक सीमा पर तो करेगा ही, यह दुश्मन के ठिकानों और मुख्य अड्डों पर युद्ध के दौरान हमला भी कर सकेगा.
छह तरह के हथियार होंगे लोड
इस मिसाइल की खासिय ये है कि इसकी नाक यानी वॉरहेड में छह तरह के हथियार लगाए जा सकते हैं, यानी इसमें हाई एक्सप्लोसिव, पेनेट्रेशन, क्लस्टर म्यूनिशन, फ्रैगमेंटेशन, थर्मोबेरिक और केमिकल वेपन लगाए जा सकते हैं. इसकी खासियत ये है कि यह उड़ान के दौरान भी घूम सकता है, मुड़ सकता है यानी शत्रु की प्रतिरक्षा को मात देने की इसमें पूरी खासियत है. अभी तक प्रलय की गति का खुलासा नहीं किया गया है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक यह उड़ान भरने और लक्ष्य पर गिरने के दौरान 2 हजार किमी प्रति घंटे की रफ्तार को भी पा सकता है, क्योंकि तब इसकी तकनीक इसे और प्रलयंकारी बनाती है.
इसकी मारक क्षमता का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि इसकी लक्ष्य ध्वस्त करने की सटीक क्षमता 10 मीटर यानी करीब 33 फीट है, यानी यह लक्ष्य पर गिरा या उससे 30 फीट इधर-उधर, तो भी यह उतना ही नुकसान करेगा यानी लक्ष्य को पूरी तरह से नेस्तोनाबूद कर ही देगा. अगर पड़ोसी देशों से तुलना करें तो चीन और पाकिस्तान से हमें इस मिसाइल की वजह से बराबरी और बढ़त मिलती है. पाकिस्तान के पास चीन से भीख में मिले एम-11 और गजनवी इस रेंज में हैं तो चीन के पास दोंग फेंग12 है. इस मिसाइल की तैनाती से भारत की तरफ अब आंखें टेढ़ी करने वाली ताकतों की संख्या कम होगी.
‘प्रलय’ मिसाइल के सफल परीक्षण के लिए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ और संबंधित टीमों को बधाई दी. उन्होंने मिसाइल के तेजी से विकास और सतह से सतह पर मार करने वाली आधुनिक मिसाइल के सफल लॉन्च के लिए डीआरडीओ की जी भर कर बड़ाई भी की और कहा कि जिस तरह डीआरडीओ नित नए प्रतिमान रच रहा है, उससे भारत का रक्षा तंत्र बहुत तेजी से विकसित हो रहा है.