Recession probability forecast: दुनिया के कई देशों में मंदी की मार की आशंका तेज हो गयी है. हालांकि, वर्ल्ड ऑफ स्टैटिस्टिक्स के आंकड़ों के मुताबिक भारत के लिए बहुत अच्छी खबर है. खबर यह है कि भारत की आर्थिक सेहत इस साल एकदम दुरुस्त रहने का अनुमान है और यहां मंदी की संभावना 0% है. अमेरिका, चीन और फ्रांस जैसे विकसित देशों पर भी मंदी का खतरा मंडरा रहा है. हालांकि, इन सबके बीच बीच ब्रिटेन की हालत सबसे ज्यादा खस्ता बताई जा रही है. अमेरिका में बैकिंग सेक्टर का हाल बुरा है और वहां नकदी की भी समस्या खड़ी हो गई है.
पूरी दुनिया में है मंदी का खतरा
अमेरिका के लिए बुरी खबरों का दौर खत्म नहीं हो रहा है. खासकर आर्थिक मोर्चे से. पिछले दो महीने में यहां तीन बड़े बैंक डूब गए हैं. 1 मई को कैलिफोर्निया में फर्स्ट रिपब्लिक बैंक को बंद कर दिया गया. इन बंदियों से बैंकिंग सेक्टर तो खतरे में आ ही गया है, अमेरिका में अब नकदी यानी कैश का भी संकट खड़ा हो गया है. इसी को देखते हुए अमेरिका की वित्त मंत्री जेनेट येलेन को भी बयान जारी करना पड़ा. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर एक जून तक कर्ज की सीमा नहीं बढ़ाई, तो शायद अमेरिका अपने इतिहास में पहली बार 'डिफॉल्ट' करने को बाध्य होगा. अगर अमेरिका में डिफॉल्ट हुआ तो देश में मंदी आएगी ही. मंदी की आशंका के बीच अमेरिकी नागरिकों की सांसें ऊपर-नीचे हो रही हैं. मामला वैसे केवल अमेरिका तक सीमित नहीं, बल्कि यूरोप के कई बड़े देश भी मंदी की आशंका में हैं. फ्रांस, कनाडा, जर्मनी, फ्रांस और कनाडा सहित रूस, ऑस्ट्रेलिया, जापान जैसे देशों में भी मंदी की तलवार लगातार लटक रही है.
क्या है वर्ल्ड ऑफ स्टैटिस्टिक्स का आंकड़ा?
द वर्ल्ड ऑफ स्टैटिस्टिक्स के ट्वीट के मुताबिक इंग्लैंड में मंदी की सबसे अधिक आशंका यानी 75 फीसदी है. वहीं न्यूजीलैंड 70 फीसदी आशंका के साथ दूसरे और अमेरिका 65 फीसदी के साथ तीसरे नंबर पर है. आज के वैश्विक गांव में अगर अमेरिकी अर्थव्यवस्था मंदी में आती है, तो उसके परिणाम दुनिया भर में देखने को मिलेंगे. खतरा हालांकि, केवल अमेरिका में नहीं है. यूरोप में भी जो सबसे बड़ी इकोनॉमी हैं, यानी जर्मनी, इटली और कनाडा, वहां मंदी आने की आशंका 60 फीसदी है. एशिया की अगर बात करें तो दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन में भी मंदी आने की आशंका इस साल 12.5 फीसदी है. वहीं भारत के लिए यह आशंका शून्य यानी जीरो फीसदी है.
मंदी की आशंका फ्रांस में 50 फीसदी, साउथ अफ्रीका में 45 प्रतिशत, रूस में 37.5 और जापान में 35 फीसदी है. दक्षिण कोरिया में यह 30 फीसदी है तो स्विट्जरलैंड में 20 और ब्राजील में 15 फीसदी है. सऊदी अरब में पांच प्रतिशत और इंडोनेशिया में दो फीसदी मंदी आने की आशंका है.
भारत के लिए है खुशी का सबब
भारतीय अर्थव्यवस्था और भारतीयों के लिए खुशी के कई कारण हैं. आइएमएफ के पूर्वानुमान के मुताबिक भारत की अर्थव्यवस्था इस साल यानी 2023 में भी दुनिया में सबसे तेजी से आगे बढ़ने वाली इकोनॉमी होगी. अप्रैल महीने में जीएसीटी कलेक्शन रिकॉर्डतोड़ हुआ है, पूरे साल भर के आंकड़े भी सबसे अधिक हैं. हमारा फॉरेक्स यानी विदेशी मुद्रा भंडार भी भरा हुआ है, निर्यात के फ्रंट पर हम ठीक काम कर रहे हैं और एशिया की दूसरी मुद्राओं की तुलना में रुपए ने बहुत अच्छा काम किया है. हम ब्रिटेन को पछाड़कर दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गए हैं और तमाम वैश्विक चुनौतियों के बावजूद हम अपनी मौजूदा स्थिति से आगे की ओर बढ़ रहे हैं. निर्माण क्षेत्र यानी मैन्युफैक्चरिंग में भी भारत लगातार टॉप पर है. अर्थव्यवस्था के इन मोटे-मोटे लक्षणों और आंकड़ों को देखें तो दुनिया पर मंदी का खतरा भले ही मंडरा रहा है, लेकिन भारत इस डर से बचा हुआ है. भारतीय नागरिकों को चिंता करने की जरूरत नहीं है, इस बात पर वर्ल्ड स्टैटिस्टिक्स ऑर्डर ने भी मुहर लगा दी है.
भारत दुनिया के बड़े देशों में इकलौता ऐसा है जहां मंदी की शून्य प्रतिशत संभावना है. अगर हम आंकड़ों की बात करें तो हालिया ग्राफ बताते हैं कि भारत की अर्थव्यवस्था जोरों पर है. अधिकांश ऑटो कंपनियों की अप्रैल में बिक्री दमदार रही. हमारा निर्यात भी बढ़ रहा है, आयात घट रहा है. 2014 से हमारी प्रति व्यक्ति आय में 57% की वृद्धि हुई है जबकि ब्राजील और जापान जैसे देशों में प्रति व्यक्ति आय में क्रमशः 27% और 11% की गिरावट देखी गई है. अगर जनसांख्यिकी या पॉपुलेशन इंडेक्स की बात करें, तो भी हम फायदे में हैं. हमारी जनसंख्या चीन से भी अधिक हो गयी है और हमारे यहां युवा आबादी बहुत अधिक है. इस मामले में हम फायदे में हैं. ये फैक्टर्स इस बात का संकेत है कि जहां दुनिया मंदी की आशंका में जी रही है वहीं हमारी इकोनॉमी तेजी से बढ़ रही है. 2022 में भारत की वार्षिक जीडीपी वृद्धि 7.4% थी, जबकि चीन की 3.3% और अमेरिका की 2.3% थी. 2023 में भारत के लिए 6.1% विकास का अनुमान है तो चीन के लिए 4.6% और अमेरिका के लिए 1% का विकास रहने का अनुमान है. अर्थव्यवस्था की इस मजबूती और केंद्र में स्थिर सरकार का नतीजा हमें अपनी मजबूत विदेश नीति में भी देखने को मिलता है, जहां हम अब मुखर हो रहे हैं, आंख में आंख मिलाकर बात कर रहे हैं.