(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
कश्मीर, जी-20 की बैठक और विदेश नीति... पिछले 4 वर्षों के दौरान घाटी को लेकर आए ये ड्रास्टिक चेंज
भारत इस साल जी-20 देशों का नेतृत्व कर रहा है. इसी सिलसिले में देश के विभिन्न शहरों में इससे संबंधित बैठकें हो रही हैं. कश्मीर में मई के अंत में पर्यटन से संबंधिक एक वर्किंग ग्रुप की बैठक होनी है.
भारत इस वर्ष जी-20 देशों का नेतृत्व कर रहा है और देश के विभिन्न शहरों में इसी से संबंधित बैठकों का आयोजन किया जा रहा है. तैयारियों को लेकर चीन, अमेरिका, ब्रिटेन, फ़्रांस और जर्मनी समेत दुनिया के 20 देशों के प्रतिनिधि इसी सिलसिले में भारत के दौरे पर हैं. भारत जी-20 समूह की एक बैठक कश्मीर में कर रहा है और उसकी मेजबानी के लिए जोर-शोर से तैयारी हो रही है. पाकिस्तानी पक्ष ने हमेशा की तरह अपना कश्मीर-राग आलापा है, लेकिन भारत उसको लेकर तनिक भी चिंतित नहीं दिख रहा है.
कश्मीर को बनाया जा रहा है स्मार्ट सिटी
जब 2019 में अनुच्छेद 370 को कश्मीर से हटाया गया, उसके बाद से ही लाल चौक के घंटाघर पर लगातार भारतीय तिरंगा लहरा रहा है. इसके पहले जब कश्मीर में आतंकवाद जोरों पर था तो वहां कई बार पाकिस्तानी झंडे लहराए जाते थे. अलगाववादियों के प्रदर्शन और पत्थरबाजी की भी घटनाएं वहां बहुत होती थीं. अब केंद्र सरकार ने श्रीनगर को 'स्मार्ट सिटी' बनाने का फैसला लिया है. इसके तहत घाटी की राजधानी श्रीनगर के व्यापारिक केंद्र लाल चौक का भी रूप-रंग बदलने की तैयारी की जा रही है.
व्यावसायिक केंद्र के तौर पर मशहूर है लाल चौक और उसका टावर
दरअसल, श्रीनगर के बिल्कुल केंद्र में आज से चार दशक पहले तब के मुखिया शेख अब्दुल्ला ने लाल चौक बनवाया था. उसका नाम रखने के पीछे यह भी कारण बताया जाता है कि चूंकि नेहरू को साम्यवादी रूस पसंद था, इसलिए उनको खुश करने के लिए शेख अब्दुल्ला ने यह नाम रखा. इसका घंटाघर बाद में कश्मीर की एक तरह से पहचान ही बन गया. हरेक जगह उसके फोटो छपे और कश्मीर की कोई भी खबर आती थी, तो उस घंटाघर को ही बैकग्राउंड में रखा जाता था. अब सरकार ने जब कश्मीर को स्मार्ट सिटी बनाने का फैसला किया है, तो घंटाघर की भी सूरत बदलेगी. इसको लेकर कश्मीर की कुछ स्थानीय पार्टियां विरोध में भी हैं कि कश्मीर के इतिहास और कल्चर को खत्म करने की साजिश हो रही है. हालांकि, सरकार ने कहा है कि यह केवल उसको सुंदर बनाने की कवायद है.
चीन और पाकिस्तान की नहीं सुनी भारत ने
पाकिस्तान भले ही आज कई तरह की मुसीबतों से जूझ रहा है, लेकिन श्रीनगर में हो रही इस बैठक को रोकने के लिए वह लगातार जी-20 में शामिल अपने सहयोगी देशों जैसे सऊदी अरब, तुर्की और चीन के साथ लॉबिंग कर रहा था. चीन चूंकि जब-तब अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा करता रहता है, इसी वजह से उसने बीते महीने अरुणाचल प्रदेश की 11 जगहों के चीनी नाम जारी किए. चीन ने यह कदम इसलिए उठाया था क्योंकि भारत ने अरुणाचल में भी जी-20 की बैठक रखी थी. हालांकि, नाम बदलने का काम चीन इससे पहले भी दो बार कर चुका है. भारत के गृहमंत्री अमित शाह ने हालांकि इस कदम पर यही जवाब दिया कि नाम बदलने से अरुणाचल की हकीकत नहीं बदल जाएगी. इसके बाद भारत सरकार ने 4000 करोड़ रुपए की योजना से अरुणाचल के 450 गांवों को विकसित करने का काम शुरू कर दिया है.
पाकिस्तान की तरफ से हो रहे विरोध का भारत ने कोई संज्ञान नहीं लिया है. भारत के जी-20 कैलेंडर के मुताबिक इस समूह की बैठक 22 से 24 मई के बीच श्रीनगर में होगी. अंदाजा है कि अरुणाचल प्रदेश की तरह ही चीन, श्रीनगर में होने जा रही बैठक से भी दूरी बना सकता है. हालांकि, इसमें कोई दो राय नहीं कि बैठक श्रीनगर में ही होगी.
भारत की बदलती विदेश नीति का सूचक
कश्मीर में पिछले 4 वर्षों से जो नीतियां लागू की जा रही हैं, वह देश की बदलती गृह नीति और विदेश नीति का सूचक है. जैसा कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय अध्ययन संस्थान के असोसिएट प्रोफेसर रणविजय बताते भी हैं, 'यह दरअसल हमारी विदेशी नीति में ड्रास्टिक चेंज का सूचक है. यह कदम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कश्मीर को भारत का एक अभिन्न बताने और जताने की कोशिश है. यह पहले कोवर्ट था, पर अब हम खुलकर सामने आ रहे हैं. कश्मीर को हमने हमेशा भारत का अभिन्न हिस्सा है, पर पहले हम इसको लेकर मुखर नहीं थे. अब हम इसको लेकर मुखर हैं. अब हमारी विदेश नीति बिल्कुल अलग, टॉमस फ्रीडमैन के शब्द उधार लें तो लेवल प्लेइंग फील्ड पर काम कर रही है. अब हमारी विदेश नीति यथार्थवादी अधिक है, हम अपने हितों को मुखर रूप से रख रहे हैं. चाहे वह विदेश मंत्री जयशंकर के बयान हों या फिर डिप्लोमैसी का हमारा काम करने का अंदाज. हम अब बराबरी से बात करते हैं.'