पवन और सौर ऊर्जा में भारत बन रहा है नेतृत्वकर्ता, 2030 तक ऊर्जा क्षमता में 50% क्लीन एनर्जी की होगी हिस्सेदारी
अब योजना यह है कि 2030 तक 50 फीसदी गैर-जीवाश्म इनस्टॉल्ड कैपिसिटी हासिल हो जाए. भारत हरित विकास और ऊर्जा क्षेत्र में परिवर्तन की दिशा में उल्लेखनीय प्रयास कर रहा है.
जी 20 ऊर्जा मंत्रियों की बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार 22 जुलाई को बड़ा संकेत दिया. उन्होंने कहा कि दुनिया में सबसे बड़ी जनसंख्या होने के बावजूद हम न केवल सबसे तेज गति से बढ़ने वाली इकोनॉमी बन रहे हैं, बल्कि हम अपने पर्यावरण से जुड़ी प्रतिबद्धता को भी पूरा कर रहे हैं.
गैर-जीवाश्म ईंधन के क्षेत्र में उन्होंने बड़ा दावा करते हुए कहा कि भारत ने गैर-जीवाश्म, इन्स्टॉल्ड इलेक्ट्रिक कैपिसिटी का लक्ष्य 9 साल पहले ही पूरा कर लिया है. अब भारत ने और भी बड़ा लक्ष्य रखा है. 2030 तक भारत इंस्टॉल्ड कैपिसिटी का 50 फीसदी गैर-जीवाश्म करना चाहता है. हम सौर और पवन ऊर्जा में वैश्विक नेतृत्वकर्ता की भूमिका में हैं.
भारत हरित विकास को प्रतिबद्ध
हम दुनिया में सबसे बड़ी आबादी का पोषण करते हैं. हमारी अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रही है. जाहिर तौर पर हमारी ऊर्जा संबंधी आवश्यकताएं भी बड़ी हैं. इसके बावजूद भारत ने जलवायु और पर्यावरण पर जो भी प्रतिबद्धता दिखाई है, वादे किए हैं, उन्हें पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है.
शनिवार 22 जुलाई को गोवा में हुई जी 20 के ऊर्जा मंत्रियों की बैठक को वीडियो संदेश के जरिए संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने यही दोहराया है. भारत ने गैर-जीवाश्म स्थापित विद्युत क्षमता का जो लक्ष्य रखा था, उसे 9 साल पहले ही पूरा कर लिया है. अब योजना यह है कि 2030 तक 50 फीसदी गैर-जीवाश्म इनस्टॉल्ड कैपिसिटी हासिल हो जाए.
भारत हरित विकास और ऊर्जा क्षेत्र में परिवर्तन की दिशा में उल्लेखनीय प्रयास कर रहा है. देश मजबूती के साथ अपनी जलवायु प्राथमिकताओं को पूरा करने की दिशा में बढ़ रहा है. भारत ने हमेशा ही जलवायु परिवर्तन को रोकने की दिशा में अपनी नेतृत्व क्षमता का प्रदर्शन किया है. भारत की योजना 2030 तक गैर-जीवाश्म स्रोत से 50 प्रतिशत बिजली पैदा करने की क्षमता हासिल करना है.
दुनिया उन्नत, किफायती और स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन के लिए जी20 देशों की तरफ देख रही है. भारत में पिछले 9 वर्षों में 190 मिलियन परिवारों को एलपीजी गैस आवंटित किया गया है. इसके अलावा भारत ने अपने हरेक गांव को बिजली से जोड़ने का ऐतिहासिक लक्ष्य भी हासिल कर लिया है. 2015 में सरकार ने एलईडी लाइट्स का इस्तेमाल करने को लेकर एक छोटा सा आंदोलन ही चलाया था, जिसके बाद तो यह दुनिया का सबसे बड़ा एलईडी वितरण कार्यक्रम बन गया. इससे भारत को 45 बिलियन ऊर्जा-ईकाई (यूनिट्स ऑफ एनर्जी) की बचत हुई है. उज्ज्वला कार्यक्रम के तहत गरीबों को रियायती और मुफ्त गैस सिलिंडर दिए गए.
पेट्रोल से लेकर गैस तक, हरित पर्यावरण पर जोर
भारत ने इस साल 20% इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल का रोलआउट शुरू किया है और इसका लक्ष्य 2025 तक पूरे देश को कवर करना है. भारत को टेक्नोलॉजी-गैप को दूर करने के साथ ही ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा भी देना है और अपने सप्लाई वाले फ्रंट पर भी विविधता लाने की आवश्यकता है.
भारत के पास विश्व की चौथी सबसे बड़ी पवन ऊर्जा क्षमता है और इसकी कुल गैर-जीवाश्म आधारित स्थापित ऊर्जा क्षमता 157.32 गीगावाट है, जो कि 392.01 गीगावाट की कुल स्थापित बिजली क्षमता का 40.1% है. भारत ने यह लक्ष्य 2030 तक के लिए रखा था, लेकिन 9 साल पहले यानी 2021 में ही पा लिया है. इसलिए, अब सरकार ने इस लक्ष्य को बढ़ाकर 50 फीसदी का कर दिया गया है.
भारत ने वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से 500 GW स्थापित बिजली क्षमता प्राप्त करने हेतु प्रतिबद्धता जताई थी. हालांकि, भारत इन तमाम लक्ष्यों को हासिल करते समय अपने पड़ोसियों या विकासशील देशों की बात करना नहीं भूलता है. यही वजह है कि प्रधानमंत्री ने भी अपने संबोधन में कहा, ‘‘यह महत्वपूर्ण है कि ‘ग्लोबल साउथ’ (विकासशील देश) में हमारे भाई-बहन पीछे न रहें, हमें विकासशील देशों के लिए कम लागत वाली वित्तीय सहायता सुनिश्चित करनी चाहिए.’’
भारत को अक्षय ऊर्जा या नवीकरणीय ऊर्जा के संबंध में अपना लक्ष्य हासिल करने के लिए कई चुनौतियां भी मिली हैं, जिसमें से एक है..बड़ी परियोजना के लिए बैंकिंग क्षेत्र को तैयार करना. लंबे समय के लिए वित्त की व्यवस्था और तकनीकी बाधाओं को दूर कर सकने लायक एक उपयुक्त व्यवस्था तैयार करना ही फिलहाल एक बड़ी चुनौती है.
इसके साथ ही कई गैर-पारंपरिक ऊर्जा क्षेत्र ऐसे हैं, जिसमें सरकार की दखल जरूरी है. आप पवन या जलविद्युत परियोजना कहीं भी शुरूनहीं कर सकते हैं. उसके लिए जरूरी जमीन की पहचान करना भी एक चुनौती है, साथ ही जरूरी हो तो उसका रूपांतरण भी सरकार को करना होगा. भूमि अधिग्रहण के लिए राज्य सरकारों को मनाना और तैयार करना होगा. देश में इनोवेशन और शोध के लिए माहौल बनाना होगा. ग्रिड के साथ रीन्यूएबेल एनर्जी के बड़े हिस्से को जोड़ना होगा, ऐसी बिजली बनानी होगी जो प्रेषण योग्य यानी भेजे जाने लायक हो. जो क्षेत्र ऐसे माने गए हैं, जहां डी-कार्बनाइज करना बहुत मुश्किल है, वैसे क्षेत्रों में भी रीन्यूबेल एनर्जी को बढ़ावा देना होगा, उनके प्रवेश को सुनिश्चित करना होगा.
भारत जलवायु संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध
राष्ट्रीय स्तर पर आधुनिकतम ढांचा, सरकार की अनेक अन्य पहलों के साथ, जैसे कि नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना, भारत की मैन्युफैक्चरिंग कैपिसिटी और एक्सपोर्ट को बढ़ाने का अवसर प्रदान करेगी. इसमें कर रियायतें और प्रोत्साहन शामिल हैं. इससे नवीकरणीय ऊर्जा, स्वच्छ ऊर्जा उद्योग- ऑटोमोटिव में, कम उत्सर्जन वाले उत्पादों जैसे इलेक्ट्रिक वाहनों और उपकरणों का निर्माण होगा.
इससे हरित हाइड्रोजन जैसी नवीन तकनीकों और ग्रीन जॉब्स में समग्र वृद्धि होगी. जल, कृषि, वन, ऊर्जा और उद्यम, निरंतर गतिशीलता और आवास, कचरा प्रबंधन और संसाधन दक्षता आदि कई क्षेत्रों में उचित उपाय किए जा रहे हैं.
भारत चरणबद्ध तरीके से हाउस गैसों के उत्सर्जन से आर्थिक विकास को अलग कर रहा है. केवल भारतीय रेलवे द्वारा 2030 तक शुद्ध शून्य लक्ष्य से उत्सर्जन में सालाना 60 मिलियन टन की कमी आएगी.
भारत का विशाल एलईडी बल्ब अभियान भी कुछ कम नहीं है, यह सालाना 40 मिलियन टन उत्सर्जन को कम कर रहा है. कहने का मतलब यह है कि भारत के पास एक क्रिटिकल लक्ष्य है, जिसमें विकास की तेज गति भी पानी थी और पर्यावरण प्रदूषण को भी रोकना है. भारत इन दोनों के बीच बहुत चतुराई से संतुलन साध रहा है और सब कुछ ऐसा ही चलता रहा तो जल्द ही हम शुद्ध और वैकल्पिक ऊर्जा का सबसे अधिक इस्तेमाल करनेवाले देशों में हो जाएंगे.
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