भारत अभी जी20 की अध्यक्षता कर रहा है. इसकी प्राथमिकताओं में जो तीसरा बिंदु है, वह "सांस्कृतिक और सर्जनात्मक उद्योगों और सर्जनात्मक अर्थव्यवस्था को बढ़ावा" देने का है. यह हमारी वैश्विक इकोनॉमी का अनिवार्य हिस्सा है, जो हमारे सामाजिक और सांस्कृतिक गठन को प्रभावित कर रहा है. भारत ने अपनी अध्यक्षता में एक सांस्कृतिक कार्यकारी समूह (सीडब्ल्यूजी) भी बनाया है, जिसने "संस्कृति करे सबको एक या कल्चर यूनाइट्स ऑल" का कैंपेन भी चलाया हुआ है. अभी हाल ही में इसने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में जगह बनायी, जब हंपी के विश्वप्रसिद्ध विरुपाक्ष मंदिर में लगभग 500 कारीगर महिलाओं ने 1,755 लंबनी कलाकृतियां दिखाईं. यह दुनिया का सबसे बड़ा ऐसा प्रदर्शन था. भारत एक तरफ वैश्विक कूटनीति के मंच पर अपनी सीधी और बेलाग बातों से दुनिया को जीत रहा है, तो दूसरी तरफ योग, संगीत, संस्कृति, आयुर्वेद के सहारे अपनी सॉफ्ट पावर दिखा रहा है. 


योग और आयुर्वेद है सॉफ्ट पावर






हाल ही में विदेश मामलों की समिति ने भारत की सॉफ्ट पावर और सांस्कृतिक कूटनीति की संभावनाओं और सीमाओं पर अपनी 16वीं रिपोर्ट भी दी है. आर्थिक और सैन्य शक्ति के अलावा, भारत में अब सॉफ्ट पावर का विचार भी जोर पकड़ रहा है. हम दुनिया में पांचवीं नंबर की आर्थिक ताकत हैं और प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी वक्तव्य दिया है कि उनके तीसरे कार्यकाल में भारत तीसरे नंबर पर भी आ जाएगा. इसके साथ ही भारत अब सॉफ्ट पावर का भी जबरदस्त इस्तेमाल कर रहा है. पिछले कुछ दशकों के दौरान भारत की विरासत आकर्षण का केंद्र बनी है. भारतीय कला, संस्कृति, योग और अध्यात्मवाद, विभिन्न प्रकार के व्यंजन, त्योहार, संगीत और नृत्य आदि ने सदियों से दुनिया भर के लोगों को आकर्षित किया है, लेकिन भारत ने कभी इनको बेचने का विचार नहीं किया. यही वजह है कि बासमती से लेकर हल्दी तक पर पेटेंट कई विदेशी ताकतों ने करवा लिया. हालांकि, अब तस्वीर बदली है और भारत तेजी से इन्हें बेच रहा है. 



खजुराहो में जी20 की पहली मीटिंग में, संस्कृति सबको बनाए एक, कैंपने की शुरुआत हुई थी. इसका लक्ष्य था कि दुनिया की विभिन्न संस्कृतियों के बीच आमफहम बातें तलाशी जाएं, जो अभी तक एक-दूसरे से नहीं जुड़ी हैं. यह सांस्कृतिक विविधता की बात करने के साथ ही समाजों को एक करने की भी बात करता है. स्थानीय कला और कारीगरी, जैसे लंबनी कढ़ाई को वैश्विक मंच देना भी इस प्रयास की शुरुआत है. यह स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देता है, साथ ही बुनकरों, कलाकारों के लिए भी मौके बढ़ाता है. इसको भौगोलिक संकेतक यानी जीआई टैग से भी नवाजा गया है. 


भारत बन सकता है सॉफ्ट पावर का अग्रणी


फिलहाल, भारत को सबसे अधिक खतरा चीन से है, जो अपनी आक्रामक विस्तारवादी नीति से पूरी दुनिया के कई देशों पर परोक्ष रूप से हमला भी कर चुका है, उन्हें जीतने की उम्मीद में भी है. अपने पड़ोसियों को देखें तो श्रीलंका को फांसकर उसने हम्मनटोटा बंदरगाह ले ही लिया, पाकिस्तान उसके शिकंजे में है और नेपाल भी त्राहि-्त्राहि कर रहा है. हार्ड पावर के तौर पर वह भारत से बीस पड़ता है, लेकिन दुनिया जानती है कि चीन विश्वास के लायक नहीं है, चीन का गुडविल ठीक नहीं है. भारत इसीलिए अपने हार्ड पावर को तेजी से बढ़ा रहा है. पिछले कई दशकों से दुनिया का सब से बड़ा सॉफ्ट पावर अमेरिका है जो विश्व की एकमात्र महाशक्ति भी है. अमेरिका अपने हॉलीवुड यानी अंग्रेजी फिल्मों और सीरियल्स, फास्ट फूड जैसे मैकडोनाल्ड्स और सोशल मीडिया की वजह से अव्वल सॉफ़्ट पावर है. खाने की आदत हो या मीडिया में बदलाव या फिर टेक्नॉलॉजी में विकास, इन क्षेत्रों में अमरीका की टक्कर में कोई देश नहीं है. भारत अब इसी दिशा में आगे बढ़ रहा है. 


वर्षों की गुलामी की वजह से भारत भले थोड़ा पिछड़ गया हो, लेकिन अब अपने योग, आयुर्वेद, शास्त्रीय संगीत और कढ़ाई-बुनाई आदि के साथ भारत भी सॉफ्ट पावर बनने की दिशा में लगातार प्रयासरत है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निवेदन पर संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया. उसके बाद हरेक साल इसे बढ़-चढ़कर मनाया जाता है. इस बात से किसी को इंकार नहीं कि दुनिया को योग दिया तो भारत ने ही है. इस लिहाज़ से भारत की सॉफ्ट पावर बढ़ी है. उसी तरह देश में जिस तरह आयुर्वेद का प्रचार हुआ है और विदेशी भी बढ़-चढ़कर आयुर्वेद को, सनातन जीवनपद्धति को अपना रहे हैं, वह भारत के सॉफ्ट पावर को ही दिखाता है. जो सांस्कृतिक विरासत हमारी है, वह हमारे देश का आईना है. 


यह आजीविका और समृद्धि दोनों के द्वार खोलती है.  यह भी एक ध्यान देनेवाली बात है कि लंबनी एम्ब्रायडरी की तकनीक और सौंदर्यशास्त्र पूर्वी यूरोप, पश्चिमी एशिया और सेंट्रल एशिया के देशों में भी दिखती है. यह बताता है कि भारत की सांस्कृतिक यात्रा औऱ देन कितनी शानदार रही है. फिलहाल, पूरी दुनिया जब रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से दो खेमों में बहुत बुरी तरह बंटी है, तो दुनिया भारत की तरफ निहार रही है. भारत हार्ड पावर के साथ अपने सॉफ्ट पावर का भी अच्छा मुजाहिरा कर रहा है और सांस्कृतिक पटल पर भी उभर कर आ रहा है.