भारत अपने रक्षा तंत्र को सुदृढ़ करने में पूरी ताकत से लगा है. खासकर चीन और पाकिस्तान के बढ़े हुए खतरे को देखते हुए भारत जल, थल और नभ तीनों ही दृष्टिकोण से अपनी सैन्य शक्ति को बढ़ा रहा है, उसे दुरुस्त कर रहा है. एक तरफ नौसेना के लिए स्टील्थ से लेकर विमानवाहक पोत तक जुटाए जा रहे हैं तो दूसरी तरफ गलवान के बाद से हमारी सेना हाई अलर्ट पर अभी भी है. भारत अपने आकाश को भी हर तरह से सुरक्षित करना चाह रहा है. इसी क्रम में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानि डीआरडीओ द्वारा 30 जनवरी 2024 से लेकर 2 फरवरी 2024 तक चार बार उस विमान का सफल परीक्षण किया गया, जो मिसाइल टेस्टिंग के दौरान उनका टारगेट बनता है. यह विमान तेजी से उड़ान भरता है. इस बार किया गया परिक्षण सिंगल बूस्टर की मदद से किया गया है. डीआरडीओ द्वारा इसका परिक्षण ओडिशा के चांदीपुर स्थिट इंडीग्रेटेड टेस्ट रेंज में किया गया, जिसका नाम हाई स्पीड एक्सपेंडेबल एरियल टारगेट (HEAT) या अभ्यास रखा गया है. 


"अभ्यास" क्यों है खास


अभ्यास विमान एक ड्रोन है जिसका प्रयोग विभिन्न मिसाइल प्रणालियों के मूल्यांकन के लिए एक लक्ष्य के रूप में किया जायेगा. जरूरत पड़ने पर इसका प्रयोग डिकॉय एयरक्राफ्ट (Decoy Aircraft) के रूप में भी किया जा सकता है. डिकॉय एयरक्राफ्ट का काम प्रक्षेपास्त्रों (Missile) को विमान से दूर कर युद्धक विमानों की रक्षा करना है. अभ्यास को वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान (ADA) द्वारा डिजाइन किया गया है. इस बार के परिक्षण में 'अभ्यास' मूल्यांकन किए जा रहे सभी मापदंडो पर खरा उतरा है. वर्तमान समय में किया गया परीक्षण डेवलेपमेंटल उड़ान परीक्षणों के अंतर्गत किया गया है. स्वदेशी लक्ष्य विमान एक बार विकसित होने के बाद भारतीय सशस्त्र बलों के लिए HEAT की जरूरतों को पूरा करने का काम करेगा. इस एयर वेहिकल को ट्विन अंडरस्लंग बूस्टर से लांच किया जाता है, लांच होने के बाद इसके बूस्टर इसे सबसोनिक गति से उड़ने में मदद करते है. एयर वेहिकल की सटीकता और प्रभावशालिता को देखते हुए इसे फोर्स मल्टीप्लायर कहते हैं. यह 180 मीटर प्रति सेकेंड की गति से उड़ान भरता है.अभ्यास लगभग 5 किलोमीटर की ऊंचाई हासिल करता है. इसकी लगातार उड़ान होती रहती है, जिससे कि मिसाइलों का परिक्षण किया जा सके. 



आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया


रक्षा क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ही मेक इन इंडिया के तहत बहुतेरे इनीशिएटिव लिए जा रहे हैं. इसी का परिणाम है कि नौसेना आत्मनिर्भरता के मामले में लगभग 70 फीसदी से अधिक स्वदेशी है, यानी वह 70 फीसदी से अधिक आत्मनिर्भर कही जा सकती है. यही काम सेना के अन्य दूसरे अंगों में भी किया जा रहा है. रूस चूंकि पिछले दो वर्षों से यूक्रेन में उलझा है, इसलिए भारत की जरूरतें वह पूरी भी नहीं कर पा रहा है. इसी कारण भारत अपनी क्षमता भी बढ़ा रहा है, तो दूसरी तरफ अन्य देशों से अपनी सामरिक साझीदारी भी बढ़ा रहा है, किसी एक देश पर निर्भरता नहीं बढ़ा रहा है. 'अभ्यास' की परीक्षण प्रणालियों को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड और लार्सन एंड टुब्रो डिफेंस के माध्यम से साकार किया गया है. अभ्यास पहचान की गई उत्पादन एजेंसियों के साथ उत्पादन केलिए तैयार है. इस प्रणाली में निर्यात क्षमता है और इसे पड़ोसी देशों को भी बेचा जा सकता है. भारत की यह भी कोशिश है कि वह न केवल आत्मनिर्भर बने बल्कि दूसरे देशों को भी हथियार निर्यात करे. फिलहाल, भारत सौ से अधिक कंपनियों के साथ मिलकर काम कर रहा है और 85 देशों को को निर्यात भी कर रहा है. पिछले ही वित्त वर्ष में 1600 करोड़ रुपए के हथियार को भारत ने निर्यात किया है. रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने 'अभ्यास' के सफल उड़ान परीक्षण के लिए डीआरडीओ, सशस्त्र बलों और उद्योग जगत को बधाई देते हुए कहा कि इस प्रणाली का विकास सशस्त्र बलों के लिए हवाई लक्ष्यों की जरूरतों को पूरा करेगा.



अमेरिका और भारत के बीच ड्रोन डील


भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल जून में अमेरिका की यात्रा की थी. यात्रा के दौरान ही MQ-9बी प्रीडेटर ड्रोन सौदे की घोषणा की गई थी. 1 फरवरी 2024 को अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा भारत को लगभग 4 अरब डॉलर में 31 सशस्त्र एमक्यू-9बी स्काईगार्डियन ड्रोन, संबंधित मिसलाइलों और उपकरणों की संभावित बिक्री को मंजूरी दी गई है. ड्रोन के माध्यम से समुद्री मार्गो की निगरानी और भविष्य में खतरों से निपटने के लिए भारत की क्षमता में बढ़ोतरी होगी. अमेरिकी डिफेंस हेडक्वार्टर पेंटागन ने कहा है कि इसमें सशस्त्र  एमक्यू 9बी स्काईगार्डियन ड्रोन, 170 एजीएम- 114आर हेलफायर मिसाइलें और 310 लेजर छोटे व्यास वाले बम, संचार और निगरानी उपकरण और एक सटीक ग्लाइट बम की बिक्री शामिल है. इस सौदे का प्रमुख ठेकेदार जनरल एटॉमिक्स एयरोनॉटिकल सिस्टम्स होगा. इस सौदे से खासकर चीन और पाकिस्तान की सांसें तेज हो गयी हैं, क्योंकि इसके जरिए भारत बहुत सटीकता से इन देशों पर निगरानी रख सकता है. यह सौदा भारत के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण है. MQ-9बी प्रिडेटर वही ड्रोन है जिसका इस्तेमाल 2011 में अल-कायदा आतंकी ओसामा बिन लादेन और उसके बाद जुलाई 2022 में काबुल में अयमान अल-जवाहिरी को मारने के लिए किया गया था. यह ड्रोन समुद्री निगरानी, पनडुब्बी युद्ध और टारगेट पर प्रहार करने सहित कई प्रकार की भूमिकाएं निभा सकता है. इस सौदे को लेकर यह भी अफवाह उड़ी थी कि अमेरिका इसे कैंसिल कर रहा है, लेकिन आखिरकार भारत को यह ड्रोन मिला. 


भारत इसके अलावा तेजर, राफेल जैसे लड़ाकू विमानों से अपनी वायु क्षमता बढ़ा रहा है. इस गणतंत्र दिवस फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रां राजकीय अतिथि थे और फ्रांस से राफेल के दूसरे 26 और विमानों की डील पक्की हो गयी है. भारत का आसमान अब अधिक सुरक्षित भी है और दुश्मनों के लिए अधिक दुर्गम भी.