भारत-नेपाल संबंधों को मिलेगी नई ऊंचाई, सीमा विवाद नहीं बनेंगे बाधा, पीएम मोदी ने प्रचंड को दिया भरोसा
Indo Nepal Relation: पिछले कुछ सालों से सीमा विवाद को लेकर भारत और नेपाल के संबंधों में कड़वाहट दिख रही थी. अब दोनों ही देशों ने स्पष्ट कर दिया है कि अटूट दोस्ती के बीच सीमा विवाद दरार नहीं बनेगा.
India Nepal Relations: भारत और नेपाल ने ये सहमति जताई है कि सीमा विवाद उन दोनों की मजबूत दोस्ती में बाधा नहीं बनेगा. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भरोसा जताया कि दोनों देश अपने रिश्तों को हिमालय जितनी ऊंचाई देने के लिए हमेशा काम करते रहेगें.
नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' 31 मई को चार दिवसीय दौरे पर भारत पहुंचे थे. एक जून को नई दिल्ली के हैदराबाद हाउस में भारत के प्रधानमंत्री मोदी के साथ नेपाल के पीएम ने द्विपक्षीय वार्ता की. इस व्यापक बातचीत में हर उन मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई, जिससे भविष्य में भारत-नेपाल संबंध और भी प्रगाढ़ हो.
हर मुद्दे का हल निकालने का भरोसा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट कर दिया कि भारत और नेपाल आपसी संबंधों को हिमालयी ऊंचाइयों पर ले जाने और सीमा मुद्दे समेत सभी मामलों को इसी भावना के साथ हल करने का प्रयास करेंगे. द्विपक्षीय वार्ता के बाद साझा बयान में पीएम मोदी ने कहा कि दोनों नेताओं ने भारत-नेपाल साझेदारी को सुपरहिट बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं. पीएम मोदी ने कहा कि हम अपने संबंधों को हिमालय की ऊंचाइयों पर ले जाने का प्रयास जारी रखेंगे. इसी भावना के साथ हम सभी मुद्दों का समाधान करेंगे, चाहे वह सीमा से जुड़ा हो या कोई अन्य मुद्दा. बातचीत के बाद पीएम मोदी और प्रचंड ने साझा रूप से नेपाल के कई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की शुरुआत की. कुछ योजनाओं का उदघाटन भी किया गया और कुछ का शिलान्यास भी.
दोनों देशों के बीच 7 समझौते पर हस्ताक्षर
भारत-नेपाल के बीच 7 समझौतों पर हस्ताक्षर भी हुए. इनमें सीमा पार पेट्रोलियम पाइपलाइन का विस्तार, एकीकृत जांच चौकियों का विकास के साथ ही पनबिजली में सहयोग बढ़ाने से जुड़े समझौते शामिल हैं. इन समझौतों में एक ट्रांजिट की संशोधित भारत-नेपाल संधि भी है. इसके जरिए नेपाल के लोगों के लिए नए रेल रेल मार्गों के साथ ही भारत की अंतरदेशीय जलमार्ग सुविधा का वहां के लोग प्रयोग कर सकें, इसके लिए प्रावधान किया गया है. दोनों ही देशों ने नए रेल लिंक स्थापित कर भौतिक संपर्क बढ़ाने का फैसला किया है. इसके अलावा भारतीय रेल संस्थानों में नेपाल के रेलकर्मियों को प्रशिक्षण देने पर भी सहमति बनी है. नेपाल के सुदूर पश्चिमी क्षेत्र से संपर्क को बढ़ावा देने के लिए शिरशा और जुलाघाट में और दो पुल बनाए जाएंगे.
पिछले साल भारत और नेपाल ने बिजली क्षेत्र में सहयोग के लिए ऐतिहासिक दृष्टिपत्र दस्तावेज अपनाया था. इस क्षेत्र में सहयोग बढ़ाते हुए इस बार दोनों देशों ने दीर्घकालीन बिजली व्यापार समझौता किया है. इसके तहत भारत ने आने वाले 10 वर्षों में नेपाल से 10,000 मेगावाट बिजली का आयात करने का लक्ष्य रखा है. इसके साथ ही मोतिहारी अमलेहगंज पाइपलाइन के सकारात्मक प्रभाव को देखते हुए इस पाइपलाइन को चितवन तक ले जाने का फैसला भारत ने किया है. इसके अलावा, सिलीगुड़ी से पूर्वी नेपाल में झापा तक और एक नई पाइपलाइन भी बिछाई जाएगी. साथ साथ चितवन और झापा में नए स्टोरेज टर्मिनल भी लगाए जाएंगे.
एकीकृत जांच चौकियों का वर्चुअल तरीके से उदघाटन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नेपाल के पीएम प्रचंड ने एकीकृत जांच चौकियों का भी डिजिटल तरीके से उदघाटन किया. ये चौकियां भारत के रुपईडीहा और नेपाल के नेपालगंज में हैं. दोनों नेताओं ने वर्चुअल तरीके से ही बिहार के बथनाहा से नेपाल कस्टम यार्ड के लिए एक मालवाहक रेलगाड़ी को भी हरी झंडी दिखाई. प्रधानमंत्री मोदी का कहना है कि तीन इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट के निर्माण से दोनों देशों के बीच संपर्क मजबूत होगा.
'हमारी साझेदारी वास्तव में हिट रही है'
नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड के साथ वार्ता के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि नौ साल पहले प्रधानमंत्री का पदभार संभालने के बाद नेपाल के साथ संबंधों को मजबूत करना उनकी प्राथमिकता में शामिल था और इसी को ध्यान में रखकर पीएम मोदी ने 2014 में पदभार संभालने के 3 महीने के अंदर ही नेपाल की पहली यात्रा की थी. उस वक्त पीएम मोदी ने भारत-नेपाल संबंधों के लिए 'हिट' फॉर्मूला दिया था- हाईवे, आई-वे और ट्रांस-वे. पीएम प्रचंड की मौजूदगी में नरेंद्र मोदी ने कहा कि नौ साल बाद यह कहते हुए गर्व महसूस हो रहा है कि हमारी साझेदारी वास्तव में हिट रही है.
पुराने और मजबूत धार्मिक और सांस्कृतिक संबंध
इस दौरान पीएम मोदी ने दोनों देशों के बीच पुराने और मजबूत धार्मिक और सांस्कृतिक संबंधों का जिक्र करते हुए कहा कि इस सुन्दर कड़ी को और मजबूती देने के लिए दोनों देशों ने इस बात पर सहमति जताई कि रामायण सर्किट से संबंधित परियोजनाओं में तेजी लाई जानी चाहिए.
इस दौरान नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड ने आपसी संबंधों और सहयोग को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता दोहराई. उन्होंने पीएम मोदी के पड़ोस पहले की नीति की सराहना भी की. नेपाल के पीएम ने कहा कि दोनों देशों के बीच संबंध सदियों पुराने और बहुआयामी हैं. यह संबंध एक तरफ सभ्यतागत, सांस्कृतिक और सामाजिक-आर्थिक संबंधों की समृद्ध परंपरा से निर्मित ठोस नींव पर खड़ा है तो दूसरी तरफ संप्रभु समानता, आपसी सम्मान, समझ और सहयोग के समय की कसौटी पर खरे उतरे सिद्धांत के प्रति दोनों देशों की दृढ़ प्रतिबद्धता पर आधारित है.
द्विपक्षीय वार्ता के दौरान दोनों देशों ने व्यापार, ट्रांजिट, निवेश, पनबिजली, बिजली व्यापार, सिंचाई, बिजली पारेषण लाइन, पेट्रोलियम पाइपलाइन के विस्तार, एकीकृत जांच चौकी और भूमि और हवाई संपर्क समेत अलग-अलग क्षेत्रों में सहयोग को और मजबूत करने के विकल्पों पर चर्चा की.
भारत हमेशा नेपाल की करते रहेगा मदद
नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड को एक तरह से भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आश्वस्त कर दिया कि चाहे कोई भी परिस्थिति हो, भारत पहले की तरह ही नेपाल को हर तरह की मदद करते रहेगा. तीसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री बनने के बाद पुष्प कमल दहल प्रचंड की ये पहली विदेश यात्रा थी. जिस तरह से चीन के प्रति प्रचंड का सकारात्मक रवैया रहा है, उसको देखते हुए दिसंबर 2022 और इस साल की शुरुआत में ये कयास लगाए जा रहे थे कि प्रचंड अपनी पहली विदेश यात्रा पर शायद भारत की बजाय चीन को तवज्जो दें. हालांकि प्रचंड ने भारत आकर इन सभी अटकलों पर विराम लगा दिया है.
भारत के लिए नेपाल सामरिक नजरिए से अहम
नेपाल एक लैंडलॉक्ड देश है, जो तीन ओर से भारत से घिरा है. दोनों देश नेपाल पांच 1,850 किलोमीटर से ज्यादा की सीमा साझा करते हैं. भारत के 5 राज्यों बिहार, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के साथ सिक्किम, पश्चिम बंगाल से नेपाल की सामी लगती है. ऊर्जा जरूरतों और खाद्यान्न के लिए नेपाल भारत पर बहुत ज्यादा आश्रित है. नेपाल के लिए भारत सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार भी है. हर संकट के समय भारत ने बड़े भाई की तरह नेपाल की मदद की है. हालांकि पिछले कुछ सालों से नेपाल में चीन अपनी गतिविधियां बढ़ा रहा है. चीन वहां आर्थिक दायरा तो बढ़ा ही रहा है, उसकी मंशा नेपाल के राजनीति पर भी प्रभाव डालने की रही है.
लिम्पियाधुरा, कालापानी, और लिपुलेख के क्षेत्रों को लेकर भारत-नेपाल के बीच विवाद रहा है और प्रचंड के तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद शुरुआत में वहां की सरकार का जो रवैया रहा था, उसको देखते हुए ये कहा जा रहा था कि भविष्य में शायद भारत-नेपाल के रिश्तों में वो मिठास बरकरार न रह पाए.
लेकिन पीएम प्रचंड का भारत दौरा और उसके बाद भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ये कहना कि चाहे कुछ भी हो जाए दोनों ही देश अपने रिश्तों को हिमालय जितनी ऊंचाई देने के लिए काम करते रहेंगे, ये एक तरह से दोनों ही देशों के लिए सामरिक नजरिए से बेहद महत्वपूर्ण है. अब इस कड़ी में नेपाल के पीएम प्रचंड ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने यहां आने का न्योता दिया है. उम्मीद है कि ऐसा होने के बाद दोनों देशों के बीच छिटपुट विवाद के मुद्दे भी जल्द ही सुलझा लिए जाएंगे, चाहे वो सीमा से जुड़े हों या फिर दूसरे क्षेत्र से जुड़े हों.
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