5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था का लक्ष्य, भारत के सेवा सेक्टर से हैं बड़ी उम्मीदें
भारत इस साल ब्रिटेन को पीछे छोड़कर दुनिया की टॉप-5 अर्थव्यवस्थाओं वाले देश की लिस्ट में शामिल हो गया है और जल्द ही तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बनने के लिए तैयार है.
भारत ने बीते कुछ सालों में वैश्विक महामारी कोरोना का जिस तरह से मुकाबला किया है, उसकी पूरी दुनिया में सराहना हो रही है. यह ऐसा संकट था जिससे कई बड़े-बड़े देश आज भी जूझ रहे हैं. ऐसे में भारत ने एक साल के भीतर कोरोना का टीका विकसित करके और एक अरब से भी ज्यादा लोगों को इसे लगाकर दुनिया को अपनी सामर्थ्य और प्रबंधन की क्षमता का उदाहरण प्रस्तुत किया है.
भारत ने देश की आजादी के बाद जबरदस्त प्रगति की है. कभी कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था कहलाने वाले देश भारत ने इन सालों में खुद को सर्विस सेक्टर ओरिएंटेड अर्थव्यवस्था में बदल लिया है. जो कि सकल घरेलू उत्पाद में 50 प्रतिशत से ज्यादा का योगदान देता है. आत्मनिर्भर भारत ने सकल घरेलू उत्पाद के लिए 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का लक्ष्य एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है, और इसे प्राप्त करने की रणनीति विकास के लिए एक इको-सिस्टम बनाने के इर्द-गिर्द घूमती है.
प्रति व्यक्ति आय 26,000 डॉलर से ज्यादा
वहीं दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए यूके को पछाड़कर भारत ने एक मजबूत आर्थिक आधार बनाया है और अगले 25 वर्षों में एक विकसित देश का दर्जा हासिल करने की ओर अग्रसर है. पीडब्ल्यूसी की एक स्टडी में कहा गया है कि साल 2047 में भारत का प्रति व्यक्ति आय 26,000 डॉलर से ज्यादा हो सकता है जो कि वर्तमान के प्रति व्यक्ति आय से लगभग 13 गुना ज्यादा है.
दरअसल इस साल भारत ने ब्रिटेन को पीछे छोड़कर दुनिया की टॉप-5 अर्थव्यवस्थाओं वाले देश की लिस्ट में खुद को शामिल कर लिया है. और जल्द ही अमेरिका और चीन के बाद दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बनने के लिए तैयार है. भारतीय स्टेट बैंक के एक रिसर्च पेपर के अनुसार भारत साल 2027 तक जर्मनी को पीछे छोड़कर चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा, जबकि 2029 तक जापान से आगे निकलकर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा.
विकसित राष्ट्र बनाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) के चेयरमैन बिबेक देबरॉय ने 30 अगस्त को ‘भारत के लिए प्रतिस्पर्धात्मकता का मसौदा @100’ जारी करते हुए कहा था कि पीएम नरेंद्र मोदी ने साल 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है. हमारे देश का विकास हो पाए इसके लिए जरूरी है सभी राज्यों की वृद्धि महत्वपूर्ण है. अगर आर्थिक वृद्धि की रफ्तार 7-7.5 फीसदी पर लगातार कायम रही तो 2047 में अर्थव्यवस्था का कुल आकार 20 लाख करोड़ डॉलर से थोड़ा ही कम होगा.
आजादी के समय 2.7 लाख करोड़ रुपये था जीडीपी का आकार
उन्होंने बताया कि साल 1947 में आजादी के समय हमारे देश भारत को ‘तीसरी दुनिया’ का देश माना जाता था. उस समय भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार सिर्फ 2.7 लाख करोड़ था, जो पिछले सात दशक में बढ़कर 150 लाख करोड़ रुपये हो गया है.
भविष्य के उपभोग (2019) पर विश्व आर्थिक मंच की रिपोर्ट के अनुसार, भारत साल 2030 तक लगभग 14 करोड़ मध्यम-आय और 2.1 करोड़ उच्च-आय वाले परिवारों को जोड़ देगा. उच्च मध्यम आय वाले घर और उच्च आय वाले जो घर होंगे वह 2030 में 61 प्रतिशत उपभोग करेंगे. जो कि साल 2018 में के डेटा के अनुसार केवल 37 प्रतिशत था. विश्व बैंक की परिभाषा के मुताबिक, अगर किसी देश की प्रति व्यक्ति आय 12,000 अमेरिकी डॉलर से अधिक है तो उसे उच्च आय वाला देश माना जाता है.
एशियाई देशों में भारत की वृद्धि दर सबसे तेज होगी
मॉर्गन स्टेनली के विश्लेषकों ने अपने एक रिपोर्ट में एशियाई देशों का जिक्र करते हुए कहा कि साल 2022-23 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर एशियाई देशों में सबसे तेज होगी. इन्हीं सालों में भारतीय जीडीपी की वृद्धि दर 7 प्रतिशत रह सकती है. उन्होंने कहा, भारत की जीडीपी पिछले एक दशक से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए तैयार है. एशियाई और वैश्विक विकास में भारत का योगदान क्रमश: 28% एवं 22 फीसदी है.
भारत@2047
प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि के साथ, भारत@2047 की तुलना स्पेन और पुर्तगाल जैसी वर्तमान अर्थव्यवस्थाओं से की जा सकती है, जिनकी वर्तमान में प्रति व्यक्ति आय लगभग 25,000.13 डॉलर है. उदाहरण के लिए, स्पेन और पुर्तगाल में जीवन प्रत्याशा लगभग 80 वर्ष है, जबकि मातृ मृत्यु दर 0.10 से कम है.
सर्विसेज एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (एसईपीसी) के अध्यक्ष सुनील एच तलाटी ने कहा है कि सेवा उद्योग व्यापार घाटे को संतुलित करने के साथ-साथ निरंतर विकास प्राप्त करने के एक उपकरण के रूप में एक सिद्ध मजबूत स्तंभ के रूप में उभरा है. वास्तव में, इसने महामारी के दौरान भी मजबूत लचीलापन दिखाया है और 2021-22 में $ 254 बिलियन के उल्लेखनीय आंकड़े तक पहुंच गया है और 2022-23 में लगभग $ 350 बिलियन को छूने की उम्मीद है.
भारत के प्रमुख सेवा क्षेत्र
आज भारत के सेवा क्षेत्र का देश के सकल घरेलू उत्पाद में आधे से अधिक योगदान है. आकड़ों को देखें तो सकल घरेलू उत्पाद में सेवा क्षेत्र का योगदान 55.1 प्रतिशत रहा है, जबकि कृषि का 18.5 प्रतिशत योगदान रहा है और उद्योगों का 26.4 प्रतिशत. यह भारतीय अर्थव्यवस्था में सेवा क्षेत्र के महत्व को दर्शाता है. अब जब सर्विस सेक्टर सकल घरेलू उत्पाद में आधे से ज्यादा का योगदान कर रहा है तो यह भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास की एक प्रमुख उपलब्धि है. कहा जा सकता है कि देश का सर्विस सेक्टर ही वास्तव में भारत को विकसित अर्थव्यवस्था ओर ले जा रहा है. भारत में सेवा क्षेत्र राष्ट्रीय आय की निम्नलिखित को जोड़ता है.
दूरसंचार
भारत में बेहद तेज मोबाइल इंटरनेट युग की शुरुआत भी हो चुकी है. हाई-स्पीड इंटरनेट के बलबूते अब भारत तकनीक की दुनिया में भी तेजी से आगे बढ़ेग. वहीं 116 करोड़ ग्राहकों के साथ भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा दूरसंचार बाजार है.
कंसल्टेंसी
भारत में कंसल्टेंसी सेवा उद्योग के लिए एफडीआई इक्विटी प्रवाह वित्त वर्ष 2020 में 1.05 बिलियन डॉलर की नई ऊंचाई पर पहुंच गया. 2019 में कंसल्टेंसी सेवाओं में दुनिया के साथ भारत का व्यापार 54.2 अरब डॉलर था.
शिक्षा
अमेरिका के बाद भारत ई-लर्निंग के लिए दूसरा सबसे बड़ा बाजार है. ऑडियो-विजुअल सेवाओं का भारत का निर्यात सालाना 600 मिलियन डॉलर है. भारत की बाजार हिस्सेदारी 2015 में 0.8 प्रतिशत से बढ़कर 2019 में 1.6 प्रतिशत हो गई है.
अस्पताल
राजस्व और रोजगार दोनों के मामले में हेल्थकेयर भारत के सबसे बड़े क्षेत्रों में से एक है. भारत में स्वास्थ्य सेवा उद्योग में मजबूत मानव संसाधन, विदेशी निवेश की आमद, नवाचारों और उन्नत प्रौद्योगिकी के कारण बढ़ने की काफी संभावनाएं हैं. वैश्विक चिकित्सा पर्यटन बाजार में भारत की 18 फीसदी हिस्सेदारी है. 2019 में लगभग 697,453 विदेशी पर्यटक भारत में चिकित्सा उपचार के लिए आए, जो भारत में आने वाले कुल विदेशी पर्यटकों का 6.4 प्रतिशत है.
ट्रैवल एंड टूरिज्म
भारत विदेशी पर्यटकों के आने और पर्यटन प्राप्तियों में 7वें स्थान पर है. होटल और पर्यटन क्षेत्र को अप्रैल 2000 और दिसंबर 2020 के बीच 15.61 बिलियन डॉलर का संचयी एफडीआई प्रवाह प्राप्त हुआ. साल 2010-2019 के दौरान, भारत ने अपने पर्यटन निर्यात को दोगुना कर दिया, साथ ही बाजार हिस्सेदारी लगभग 1.5 प्रतिशत से बढ़कर 2.1 प्रतिशत से अधिक हो गई.
विज्ञापन इंडस्ट्री
भारत में सबसे तेजी से बढ़ते विज्ञापन उद्योगों में से एक है. पूरे भारत में डिजिटल विज्ञापन से उत्पन्न राजस्व वित्त वर्ष 2020 में लगभग 19,900 करोड़ रुपये था.