India Patent Filing: हम अक्सर पेटेंट (Patent) शब्द को सुना करते हैं. अब पेटेंट को लेकर भारत के कदम भी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. भारत में पेटेंट फाइलिंग जोरदार तरीके से बढ़ रही है.


टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में काम करने वाली एक एनजीओ नैसकॉम (NASSCOM) की रिपोर्ट से ये पता चलता है. इसकी रिपोर्ट में कहा गया है कि उभरती प्रौद्योगिकियों में पेटेंट फाइलिंग भारत में गति प्राप्त कर रहा है. ये रिपोर्ट कहती है कि वित्तीय वर्ष 2022 में भारत के पेटेंट फाइलिंग में जबरदस्त उछाल आया है. इस साल भारत के पेटेंट फाइलिंग में 13.6% सालाना वृद्धि हुई है. ये भारत के पेटेंट फाइलिंग के मामले में हाल के दशकों में सबसे अधिक वार्षिक वृद्धि है. 2022 में पेटेंट फाइलिंग के 82 हजार से ज्यादा आवेदन मिले हैं.


नैसकॉम की इस रिपोर्ट का टाइटल 'अनपैकिंग इंडियाज़ आईपी इकोसिस्टम फॉर एन इनोवेशन लेड फ्यूचर' है. रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2021 में 41.6% की तुलना में 2022 में घरेलू पेटेंट फाइलिंग की हिस्सेदारी बढ़कर 44.4% हो गई है.


उभरती प्रौद्योगिकी में ज्यादा पेटेंट फाइलिंग


इस रिपोर्ट से ये भी जाहिर होता है कि भारत में पेटेंट फाइलिंग उभरती प्रौद्योगिकी (emerging technologies) के क्षेत्र में ज्यादा हो रहा है.  नैसकॉम के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2010 और 2022 के बीच 5,84,000 पेटेंट फाइलिंग हुई. इनमें से 2,66,000 पेटेंट फाइलिंग प्रौद्योगिकी डोमेन से थे. इन प्रौद्योगिकी डोमेन से जुड़े मामलों में 1,60,000 उभरती प्रौद्योगिकी जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस(AI), IoT, Big Data, साइबर सिक्योरिटी और ब्लॉकचेन से जुड़े थे. अगर टेलीकम्युनिकेशन सेक्टर की बात करें तो दूरसंचार क्षेत्र में दाखिल किए गए कुल पेटेंट में से करीब 2.4% 5G और 6G जैसे उभरते क्षेत्रों से संबंधित थे. नैसकॉम की रिपोर्ट से ये भी पता चलता है कि 2010 से 2022  के बीच बिल्डिंग ऑटोमेशन, स्मार्ट वियरेबल्स जैसे उभरते तकनीक के लिए AI और IoT  (Internet of things) से संबंधित भारत के पेटेंट फाइलिंग में हिस्सेदारी 50 फीसदी से ज्यादा रही है. पेटेंट फाइलिंग में इस रुझान पर नैसकॉम के अध्यक्ष देबजानी घोष का कहना है कि भारत द्वारा उभरती प्रौद्योगिकियों को अपनाने से नवाचार (innovation) में वृद्धि हुई है. 


पेटेंट फाइलिंग में जबरदस्त उछाल के मायने


पेटेंट फाइलिंग के ताजा रुझान से हम कह सकते हैं कि नई तकनीकों का तेजी से विकास नवाचार को बढ़ावा दे रहा है और कई अलग-अलग क्षेत्रों में नए दृष्टिकोणों की शुरुआत  हो रही है. देश में लोग और संस्थाएं इन नए क्षेत्रों में अपार संभावनाएं देख रहे हैं. आम शब्दों में कहें तो बीते एक दशक में देश में रिसर्च और नई खोज का काम खूब हो रहा है, इसमें 2022 में तेजी आई है. जिस देश में पेटेंट की फाइलिंग ज्यादा होती है, उसमें इनोवेशन और नए-नए विचारों पर रिसर्च जाता होता है. अगर भारत में पेटेंट फाइलिंग में हाल के वर्षों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है, तो इसका साफ मतलब है कि यहां रिसर्च और नई खोज को बढ़ावा मिल रहा है. इसके लिए संस्थागत के साथ ही वित्तीय मदद भी बढ़ाई जा रही है.  


नेशनल आईपीआर अवेयरनेस मिशन का फायदा


भारत में पेटेंट फाइलिंग के मामले को बढ़ाने में नेशनल आईपीआर अवेयरनेस मिशन से भी फायदा मिल रहा है. National Intellectual Property Awareness Mission (NIPAM) 8 दिसंबर 2021 को शुरू किया गया था. ये एक पैन इंडिया मिशन है. इसका मकसद साल भर के भीतर देश के 10 लाख छात्रों में  बौद्धिक संपदा यानी intellectual property और उसके अधिकारों को लेकर जागरूकता लाना था. इसका उद्देश्य उच्च शिक्षा (कक्षा 8 से 12) के छात्रों में रचनात्मकता और नवाचार की भावना पैदा करना है. साथ ही  कॉलेज/विश्वविद्यालयों के छात्रों को नवाचार करने और उनके इनोवेशन की रक्षा करने के लिए प्रेरित करना है. इस मिशन के जरिए भारत सरकार चाहती है कि देश में बौद्धिक संपदा अधिकारों (IPR) को लेकर एक मजबूत इकोसिस्टम बने. इस मिशन से पेटेंट के महत्व को लेकर लोगों में रुचि बढ़ी है और इससे संबंधित सभी स्टेकहोल्डर को फायदा पहुंचा है.


पेटेंट फाइलिंग को बढ़ावा देने के लिए कदम


भारत सरकार लगातार कोशिश कर रही है कि देश में पेटेंट फाइलिंग को लेकर लोग जागरूक हों और अपने-अपने आइडिया और इनोवेशन को पेटेंट कराने के लिए आवेदन करें. इसके लिए सरकार ने 26 अप्रैल को वर्ल्ड इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी डे के मौके पर  19 नए IP चेयर्स की घोषणा की है. इससे अब इनकी संख्या 14 से बढ़कर 33 हो गई है. निजी तौर से और संस्थागत स्तर पर भी बौद्धिक संपदा अधिकारों की रक्षा हो, इसके लिए सरकार की ओर से 22 नए टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन सपोर्ट सेंटर (TISC) की घोषणा की गई है. इससे व्यक्तिगत पेटेंट फाइलर, एसएमई और स्टार्टअप को पेटेंट फाइलिंग में मदद मिलेगी. केंद्र सरकार ने 12 मई 2016 में राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) नीति को अपनाई थी. उसके बाद से देश में पेटेंट फाइलिंग को लेकर धीरे-धीरे जागरूकता बढ़ी है. इस नीति का मकसद देश में बौद्धिक संपदा अधिकारों का संरक्षण करना और पेटेंट फाइलिंग की संख्या में इजाफा करना है.


भारत सरकार की कोशिशों का ही नतीजा था कि पेटेंट फाइल करने की संख्या वित्त वर्ष 2014-15 के 42,763 से बढ़ कर वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 66,440 तक पहुंच गई थी. ये  सात वर्षों की अवधि में 50 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि थी.  पेटेंट देने के मामलों में भी तेजी से इजाफा हुआ है. वित्त वर्ष 2014-15 में 5,978 पेटेंट प्रदान किए गए, वहीं  2021-22 में 30,074 पेटेंट प्रदान किए गए. ये लगभग पांच गुना बढ़ोतरी है.


बौद्धिक संपदा संरक्षण के लिए वित्तीय मदद


रिसर्च करने वालों को वित्तीय मदद की पेशकश की जा रही है. सरकार की ओर से बौद्धिक संपदा या पेटेंट फाइलिंग में मदद के लिए आईपी फैसिलिटेटर्स भी बनाए गए हैं. इन्हें IP मित्र के नाम से भी जाना जाता है. सरकार ने ऐसे  IP मित्रों की संख्या 465 से बढ़ाकर 2000 कर दिया है. स्टार्ट-अप बौद्धिक संपदा संरक्षण (SIPP) योजना के तहत सरकार वित्तीय मदद भी करती है.  


हम सब जानते हैं कि भारत 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रहा है. इसके लिए भारत के विकास की दिशा को बौद्धिक संपदा (IP) संचालित रखा जा रहा है. यानी विकास उस दिशा में हो जिसमें स्वदेशी आविष्कार और इनोवेशन को ज्यादा महत्व मिले और उन स्वदेशी इनोवेशन का पेटेंट भी सुनिश्चित किया जा सके. जब पेटेंट के लिए आवेदन किया जाता है तो पहले वो देश खुद ही फर्स्ट एग्जामिनेशन रिपोर्ट (FERs) जारी करता है. भारत ये रिपोर्ट अब 4.8 महीने में जारी कर रहा है, वहीं विकसित देशों में इसमें 6 महीने लग रहे हैं.


पेटेंट आवेदनों को मंजूरी देने के समय में कमी
 
इस तरह से हम कह सकते हैं कि भारत सरकार पेटेंट के लिए दाखिल आवेदनों को मंजूरी देने के लिए समय को लगातार कम करने की दिशा में कदम उठा रही है. पेटेंट के लिए दाखिल आवेदनों को मंजूरी देने में लगने वाले समय को पहली ही 72 महीनों से घटाकर 12 से 24 महीने किया जा चुका है. 2016 में पेटेंट को मंजूरी देने का समय 72 महीने था. आने वाले वक्त में इस समय में भी कमी की जाएगी.


क्या होता है पेटेंट और बौद्धिक संपदा से संबंध


पेटेंट एक प्रकार का विशेष अधिकार यानी exclusive right है जो एक आविष्कार के लिए दिया जाता है. असल में ये एक तरह का बौद्धिक संपदा अधिकार है. ये आविष्कार (invention) एक उत्पाद से भी जुड़ा हो सकता है या फिर एक प्रक्रिया (process) से भी जुड़ा हो सकता है. पेटेंट के संदर्भ में उत्पाद या प्रक्रिया से मतलब है, जो सामान्य रूप से कुछ करने का एक नया तरीका प्रदान करता है या किसी समस्या का एक नया तकनीकी समाधान प्रदान करता है. वर्ल्ड इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी ऑर्गेनाइजेशन (WIPO) के मुताबिक पेटेंट की यही परिभाषा है. जब कोई आविष्कार करता है, या संगीत, साहित्य, नाम, डिजाइन या फिर किसी कला की खोज करता है तो उसका कॉपीराइट, ट्रेडमार्क या पेटेंट कराता है और ये सब बौद्धिक संपदा (Intellectual Property) के दायरे में आते हैं. ये पेटेंट या कॉपीराइट मिलने पर उन खोज पर उस व्यक्ति या संस्था का अधिकार होता है और उसके इजाजत के बिना उन खोज का इस्तेमाल कोई दूसरा अपे लाभ के लिए नहीं कर सकता है.


विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO)


पूरी दुनिया में बौद्धिक संपदा अधिकारों के संरक्षण के संरक्षण के लिए विश्व बौद्धिक संपदा संगठन करता है. WIPO संयुक्त राष्ट्र की सबसे पुरानी एजेंसियों में से एक है. इसका गठन दुनिया में बौद्धिक संपदा संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए किया गया था. इसके तहत 25 से भी ज्यादा अंतरराष्ट्रीय संधियां आती हैं. 190 से ज्यादा देश इसके सदस्य हैं. भारत 1975 में WIPO का सदस्य बना था. इसकी स्थापना तो पहले ही हो गई थी, लेकिन 1974 से इसने संयुक्त राष्ट्र की एक एजेंसी के तौर पर काम करना शुरू किया. हम कह सकते हैं कि दुनिया में संतुलित अंतरराष्ट्रीय बौद्धिक संपदा नियमों को बनाने के लिए ये एक वैश्विक नीतिगत मंच है.  


ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में सुधरता रैंकिंग


वित्त वर्ष 2015-16 में ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में भारत  81वें पायदान पर था, जो 2021 में सुधरकर 46वां हो गया. वहीं ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स 2022 में भारत 40वें स्थान पर पहुंच गया. ये रैंकिग दिखाता है कि पिछले 7-8 साल में भारत में इनोवेशन को बढ़ाने और नए रिसर्च को लेकर बहुत ज्यादा ध्यान दिया गया है  और इन सबका ही नतीजा है कि देश में पेटेंट फाइल करने की संख्या में भी तेजी से वृद्धि हो रही है.


'नवाचार का पावरहाउस' बनने की राह पर


अगर भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनना है तो उसमें बौद्धिक संपदा की बड़ी भूमिका रहने वाली है क्योंकि बौद्धिक संपदा से मजबूत बनकर ही भारत दुनिया में 'नवाचार का पावरहाउस' बन सकता है. भारत को विश्व का डिजाइन हब बनाने के लिए भी जरूरी है कि देश में बौद्धिक संपदा अधिकारों का संरक्षण किया जाए, जिससे पेटेंट फाइलिंग की संख्या और प्रक्रिया दोनों ही तेज़ गति से बढ़े. इस बात को समझना होगा कि बौद्धिक संपदा देश की संभावनाओं का संरक्षण करती है. ये देश की प्रगति का आधारशिला है और इसके जरिए युवाओं की प्रतिभा में ज्यादा निखार आता है.


बौद्धिक संपदा अधिकारों का संरक्षण स्टार्ट-अप इंडिया, मेक इन इंडिया और डिजाइन इन इंडिया की सफलता के लिए बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है. भारत ने नवाचार को बढ़ावा देने के लिए एक मजबूत आईपीआर व्यवस्था और एक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करने में बहुत हद तक प्रगति की है, लेकिन चीन और अमेरिका की तुलना में अभी भी बहुत लंबा सफर तय करना बाकी है.


पेटेंट के मामले में लंबा सफर तय करना बाकी


ये तो हम जानते हैं कि 2010 से 2022 के बीच भारत में 5,84,000 पेटेंट फाइलिंग हुई.अगर वैश्विक स्तर पर बात करें तो 2021 में 3.4 मिलियन डॉक्यूमेंट पेटेंट के लिए फाइल हुए थे. चीन के पेटेंट ऑफिस को 2021 में 1.59 मिलियन आवेदन मिले थे जो अमेरिकी पेटेंट ऑफिस को मिले आवेदन से  दोगुने से भी ज्यादा है. भारत में ब्लॉकचैन से संबंधित पेटेंट 2010 और 2022 के बीच सबसे तेज दर से बढ़ रहे हैं, जिसमें AI 17% और IoT 15% से अधिक बढ़ रहा है. 2021 में दायर 61,573 आवेदनों के साथ भारत पेटेंट आवेदनों में 6वें स्थान पर रहा, जो 2021 में दुनिया भर में दायर कुल पेटेंट आवेदनों का 1.8% है.  इन आंकड़ों को देखते हुए ये कहा जा सकता है कि पेटेंट के मामले में भारत को चीन और अमेरिका की तुलना अभी लंबा सफर तय करना है.