भारत बने डिफेंस में ताकतवर, इसके लिए अंतरिम बजट में पिछले साल के मुकाबले 4.72 फीसदी की बढ़ोतरी
1 फरवरी 2024 को अमरीकी विदेश विभाग द्वारा भारत को लगभग 4 अरब डॉलर में 31 एमक्यू-9बी स्काईगार्डियन ड्रोन, संबंधित मिसाइलों और उपकरणों की बिक्री को मंजूरी दी गई है.
बीते गुरुवार यानि 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा भारत का 2024 का अंतरिम बजट पेश किया गया. यह अंतरिम बजट भारत के लिए बेहद खास रहा क्योंकि इस बजट में गरीब, युवा, अन्नदाता और नारी के लिए विभिन्न योजनाएं शुरू की गई. इसके अलावा बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए भी बहुत कुछ कहा गया, लेकिन जिस तरह के पड़ोसियों से हम घिरे हैं, खासकर पाकिस्तान और चीन से हमें जिस तरह लगातार सावधान रहना पड़ता है, उसे देखते हुए इस बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए जो भी आवंटन हुआ है, उसे कम ही कहा जाएगा. हालांकि, अंतरिम केंद्रीय बजट में रक्षा मंत्रालय को 6.21 लाख करोड़ रुपए का आवंटन हुआ, जो एक रिकॉर्ड है. यह पिछले वित्तीय वर्ष 2023-24 से 4.72 प्रतिशत ज्यादा है.
पेंशन से लेकर नए हथियारों तक पर है नजर
भारत के अंतरिम बजट में रक्षा क्षेत्र में खर्च करने के लिए 6.21 लाख करोड़ रुपये आवंटित किया गया है, जो कि पिछले साल के बजट के मुकाबले 27,000 करोड़ अधिक है. पिछले वर्ष रक्षा क्षेत्र में खर्च करने के लिए 5.94 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे. इसके साथ ही निर्मला सीतारमण द्वारा रक्षा उद्देश्यों के लिए गहन तकनीक प्रौद्यौगिकी को बढ़ावा देने के लिए और आत्मनिर्भरता में तेजी लाने के लिए एक नई योजना डीप नेक शुरू करने की घोषणा की गई है. पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, अंतरिम बजट में राजस्व व्यय कुल 4,39,300 करोड़ रुपये आवंटित किया गया है, जिसमें से रक्षा पेंशन के लिए 1,41,205 करोड़ रुपये तय किया गया है, वहीं रक्षा सेवाओं और रक्षा मंत्रालय के लिए 2,82,772 करोड़ रुपये और 15,322 करोड़ रुपये तय किया गया है. रक्षा सेवाओं के लिए पूंजीगत व्यय में विमान और एयरो इंजन के लिए 40,777 करोड़ रुपये अलग रखा गया है. इसके साथ ही अन्य उपकरणों के लिए 62,343 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है. 2023-24 के बजट में, भारतीय वायुसेना के लिए 57,137.09 करोड़ आवंटित किया गया था, जिसमें विमान और एयरो इंजन की खरीद के लिए 15,721 करोड़ और अन्य उपकरणों की खरीद के लिए 36,223.13 करोड़ रुपये थे. वहीं 2024-25 के लिए सेना के राजस्व व्यय में 1,92,680 करोड़ रुपये का अनुमान लगाया गया है. वहीं भारतीय नौसेना 32,778 करोड़ और भारतीय वायु सेना को 46,223 करोड़ आवंटित किया गया है. रक्षा मंत्रालय को वैसे भी सबसे अधिक आवंटन मंत्रालयों में मिलता है.
अमेरिका-भारत ड्रोन डील से बदलेगी सूरत
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल जून में अमेरिका की यात्रा की थी. यात्रा के दौरान ही MQ-9बी प्रीडेटर ड्रोन सौदे की घोषणा की गई थी. 1 फरवरी 2024 को अमरीकी विदेश विभाग द्वारा भारत को लगभग 4 अरब डॉलर में 31 सशस्त्र एमक्यू-9बी स्काईगार्डियन ड्रोन, संबंधित मिसाइलों और उपकरणों की संभावित बिक्री को मंजूरी दी गई है. ड्रोन के माध्यम से समुद्री मार्गो की निगरानी और भविष्य में खतरों से निपटने के लिए भारत की क्षमता में बढ़ोतरी होगी. पेंटागन ने कहा है कि इसमें सशश्त्र एमक्यू 9बी स्काईगार्डियन ड्रोन, 170 एजीएम- 114आर हेलफायर मिसाइलें और 310 लेजर छोटे व्यास वाले बम, संचार और निगरानी उपकरण और एक सटीक ग्लाइट बम की बिक्री शामिल है. इस सौदे का प्रमुख ठेकेदार जनरल एटॉमिक्स एयरोनॉटिकल सिस्टम्स होगा. पीटीआई के मुताबिक अमेरिका ने इस सौदे की मंजूरी दोनों देशों के बीच बढ़ते सामरिक और रणनीतिक साझीदारी के तौर पर दी है. इन MQ-9बी प्रीडेटर लॉन्ग एंड्योरेंस ड्रोन्स से भारत को ज़बरदस्त फायदा मिलेगा. ये ड्रोन 40 हज़ार फीट से ज़्यादा ऊंचाई पर करीब 40 घंटे तक उड़ान भर सकता है. MQ-9बी प्रीडेटर वहीं ड्रोन है जिसका इस्तेमाल 2011 में अल-कायदा नेता ओसामा बिन लादेन और उसके बाद जुलाई 2022 में काबुल में अयमान अल-जवाहिरी को मारने के लिए किया गया था. यह ड्रोन समुद्री निगरानी, पनडुब्बी युद्ध और टारगेट सेट करने जैसे कई तरह के और कई प्रकार की सामरिक-युद्धक भूमिकाएं निभा सकता है. यह ड्रोन सर्विलांस और हमले के लिहाज से बेहतरीन है और आसमान से न सिर्फ आसमान में, बल्कि से ज़मीन पर भी सटीक हमले कर सकता है.
अभी है और भी जरूरतें
इस प्रीडेटर ड्रोन्स के माध्यम से बॉर्डर के साथ ही समुद्री मार्गों की भी निगरानी संभव है जिससे सुरक्षा मज़बूत होगी. इन ड्रोन्स से भारत को मानवीय सहायता याआपदा राहत, लोगों की खोज और उनका बचाव, लंबे डिस्टेंस को टारगेट करना, ग्राउंड और एयर लेवल पर युद्ध और, पानी के नीचे पनडुब्बी रोधी युद्ध, हवा में युद्ध और हवा में ही लक्ष्य गिरा देने जैसी चीज़ों में भी मदद मिलेगी. भारत को ये ड्रोन्स मिलने से चीन और पाकिस्तान की चिंता भी बढ़ेगी, जो दो पड़ोसी भारत के लिए हमेशा ही चिंता का सबब बने रहते हैं. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि अगर 2047 तक हमें विकसित राष्ट्रों की श्रेणी में आना है तो एक सशक्त सेना भी होनी चाहिए. अभी भारत की सेना दुनिया में चौथे स्थान पर है. अभी रूस चूंकि यूक्रेन युद्ध में फंसा हुआ है, इसलिए हमारी बहुतेरी जरूरतें वह पूरा नहीं कर पा रहा है. मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के जरिए डीआरडीओ को और सेना के तीनों अंगों को आत्मनिर्भर बनाने की तैयारी है. इसीलिए, पनडुब्बी से लेकर देश-निर्मित टैंकों तक डीआरडीओ, भारत की रक्षा संबंधी जरूरतों को पूरा करने में लगा है, लेकिन अभी बहुत कुछ करना बाकी है.