CDRI Disaster Resilient Infrastructure: दुनिया भर में आपदा से निपटने में भारत अगुवाई कर रहा है. 'कोएलिशन फॉर डिजास्टर रेजिलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर’ (CDRI)इसका जीता-जागता उदाहरण है. कुछ ही वर्षों में 40 से ज्यादा देश और संगठन भारत की पहल पर बने इस गठबंधन का हिस्सा बन गए हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी मानना है कि आपदा से निपटने के लिए सबका सहयोग जरूरी है, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण एकीकृत प्रतिक्रिया है. प्रधानमंत्री मोदी का कहना है कि एक क्षेत्र में कोई आपदा आती है, उससे सिर्फ वहीं क्षेत्र प्रभावित नहीं होता, बल्कि दूसरे क्षेत्र पर भी उसका बड़ा प्रभाव पड़ता है.
आपदा से निपटने में एकीकृत प्रतिक्रिया जरूरी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 4 अप्रैल को 'कोएलिशन फॉर डिजास्टर रेजिलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर' की ओर से आयोजित पांचवें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में वीडियो संदेश के जरिए अपनी बात रखी. पीएम मोदी ने अपनी बातों के जरिए ये संदेश देने की कोशिश कि पूरी दुनिया अब आपस में जुड़ी हुई है और अगर किसी एक देश में आपदा आता है, तो उससे दूसरे देशों पर भी व्यापक असर पड़ता है. इस वजह से किसी भी आपदा से निपटने में सिर्फ उस देश की प्रतिक्रिया काफी नहीं है, बल्कि किसी भी आपदा से निपटने में दुनिया के बाकी देशों के बीच भी सामूहिक सहयोग बहुत कारगर साबित होते हैं. पीएम मोदी का आशय है कि अगर हम अलग-थलग होकर किसी भी आपदा से निपटने की कोशिश करेंगे तो उसके नतीजे उतने सकारात्मक नहीं रह जाएंगे.
भारत का वैश्विक सहयोग बढ़ाने पर ज़ोर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इन बयानों से साफ है कि भारत आपदा से निपटने में वैश्विक सहयोग का हिमायती है. प्रधानमंत्री मोदी ने Coalition for Disaster Resilient Infrastructure को वैश्विक नजरिए से उभरा हुआ गठबंधन बताया. उन्होंने कहा कि कुछ ही वर्षों में, 40 से अधिक देश सीडीआरआई का हिस्सा बन गए हैं. इस गठबंधन के तहत विकसित देशों के साथ ही विकासशील देश एक साथ एक मंच पर आ गए हैं. इनमें अल्पविकसित और गरीब देशों की भी भूमिका उतनी ही निर्णायक है. बड़े और छोटे देश यानी ग्लोबल नॉर्थ और ग्लोबल साउथ, इस मंच पर एक साथ आ रहे हैं. सबसे खास बात है कि इस पहल से आपदा प्रबंधन में सरकारों के साथ ही वैश्विक संस्थान, विशेषज्ञ और निजी क्षेत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं.
सामाजिक और डिजिटल बुनियादी ढांचे पर फोकस
प्रधानमंत्री मोदी ने माना कि आपदा से निपटने में बुनियादी ढांचा का ख़ास महत्व है. उनका मानना है कि बुनियादी ढांचे को लेकर भी सभी देशों को समग्र नजरिया अपनाने की जरूरत है. इसमें भी किसी को पीछे नहीं छोड़ा जाना चाहिए. इसके साथ ही पीएम मोदी ने आपदा से निपटने में सामाजिक और डिजिटल बुनियादी ढांचे को भी उतना ही महत्वपूर्ण बताया, जितना परिवहन बुनियादी ढांचा होता है. अपने वीडियो संदेश में पीएम मोदी ने भारत और यूरोप में लू, चक्रवात और तुर्किए-सीरिया में हाल में आए भूकंप की घटनाओं का भी जिक्र किया और कहा कि ये आपदाएं दुनिया के सामने मौजूद चुनौतियों की याद दिलाती हैं.
भारत आपदा से निपटने में बाकी देशों के साथ सहयोग बढ़ा रहा है और इसके लिए भारत अपनी मौजूदा जी-20 अध्यक्षता के माध्यम से इस साल दुनिया को एक साथ ला रहा है. इस मकसद को ध्यान में रखकर सीडीआरआई को G20 के कई कार्य समूहों में शामिल किया गया है. पीएम मोदी ने जानकारी दी कि 50 मिलियन डॉलर के इंफ्रास्ट्रक्चर रेसिलिएंस एक्सेलेरेटर फंड से विकासशील देशों के बीच आपदा सहयोग को लेकर काफी रुचि पैदा हुई है.
दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन
भारत की अगुवाई वाले सीडीआरआई ने दिल्ली में आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया है. इस सालाना सम्मेलन में 20 से ज्यादा देशों से 50 वैश्विक संगठनों, निजी क्षेत्र और शिक्षण संस्थानों के प्रतिनिधि के तौर पर 90 विशेषज्ञ शामिल हैं. भारत चाहता है कि आपदा से निपटने के लिए जलवायु अनुकूल सुविधा पर ध्यान केंद्रित करते हुए वैश्विक सहयोग बढ़े और उस नजरिए से इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की महत्वपूर्ण भूमिका है.
अमेरिका ने भी भारत की तारीफ की
आपदा से निपटने में वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देने में अमेरिका ने भी भारत की भूमिका को महत्वपूर्ण माना है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन प्रशासन की एक शीर्ष अधिकारी सामंथा पावर ने कहा है कि भारत कई क्षेत्रों में तेजी से आगे बढ़ रहा है और विकसित हो रहा है. उन्होंने ‘कोएलिशन फॉर डिजास्टर रेजिलिएंट इन्फ्रास्ट्रक्चर’ के प्रस्ताव में भारत की नेतृत्वकारी भूमिका की तारीफ की. सामंथा पावर ‘यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट’ (USAID) की प्रशासक हैं. उन्होंने माना कि भारत दुनिया भर में आपदा की स्थिति से निपटने में सतत प्रतिबद्ध रहा है. उन्होंने आगे कहा कि यह भारत सरकार का नेतृत्व था जिसने सीडीआरआई को इस मजबूत विश्वास से तैयार करने में मदद की कि आपदा से निपटने के प्रयास तभी सफल होंगे जब सिर्फ़ सरकार नहीं बल्कि सभी की ओर से इसमें योगदान दिया जाएगा.
कोएलिशन फॉर डिजास्टर रेजिलिएंट इन्फ्रास्ट्रक्चर
कोएलिशन फॉर डिजास्टर रेजिलिएंट इन्फ्रास्ट्रक्चर को हम आपदा प्रतिरोधी अवसंरचना गठबंधन के नाम से भी जानते हैं. ये भारत की पहल है. सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2017 में G20 की बैठक में इस गठबंधन के लिए प्रस्ताव रखा था. उसके बाद 23 सितंबर 2019 को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र क्लाइमेट एक्शन समिट में प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण के दौरान इसे लॉन्च किया. इसका मकसद यही है कि आपदा से निपटने में वैश्विक साझेदारी बढ़ाकर आपदा प्रबंधन के लिहाज से बुनियादी ढांचे को विकसित किया जाए. फिलहाल इस गठबंधन में भारत समेत 31 देश और कई वैश्विक संगठन शामिल है. इसकी खासियत ये हैं कि गठबंधन में अमेरिका, जापान, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, जर्मनी, इटली, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और नीदरलैंड्स जैसे विकसित देश तो हैं ही, इनके अलावा दक्षिण सूडान, नेपाल, हैती, घाना, भूटान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश जैसे देश भी शामिल है.
CDRI एक तरह से ऐसा गठबंधन है, जिसमें सरकारों के साथ ही यूएन एजेंसियां, बहुपक्षीय विकास बैंकों के साथ ही निजी क्षेत्र और शैक्षणिक व अनुसंधान संस्थानों की भी भागीदारी है. ये अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन के बाद भारत सरकार की दूसरी प्रमुख वैश्विक पहल है. यह अलग-अलग देशों को उनकी आपदा और जलवायु जोखिम से निपटने के लिए बेहतर बुनियादी ढांचे को विकसित करने में सहायता के लिए तकनीकी विशेषज्ञता मुहैया कराता है.