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कनाडा को जैसे का तैसा जवाब दे भारत ने किया साफ, डिप्लोमैसी के नाम पर भारत की संप्रभुता से खिलवाड़ नहीं बर्दाश्त

ट्रूडो को समझना चाहिए कि भारतीय विदेशनीति अब बदल गयी है और भारत अब किसी भी देश की आंखों में आंखें डालकर बात करता है. वह अपने हितों को सबसे ऊपर रखता है.

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो बेतरह घिर गए हैं, फंस गए हैं. उन्होंने अपनी संसद को संबोधित करते हुए भारत को खालिस्तानी आतंकी निज्जर की हत्या के लिए जिम्मेदार ठहरा दिया है. इसके साथ ही उन्होंने भारतीय दूतावास के एक राजनयिक को भी वापस लौटने का आदेश दिया. भारत ने इस पर कड़ी आपत्ति दर्ज की है और कनाडा के एक शीर्ष राजनयिक को पांच दिनों के अंदर देश छोड़ने का आदेश दिया है. इस बीच जस्टिन ट्रूडो ने अपने सहयोगी पश्चिमी देशों से भी गुहार लगाई कि वे उनके बयान का समर्थन करें, लेकिन ब्रिटेन, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने उन्हें खोटे सिक्के की तरह लौटा दिया. बयान को बूमरैंग करता देख 19 सितंबर की ही शाम ट्रूडो ने लीपापोती शुरू कर दी और कहा कि वह भारत को उकसाना नहीं चाहते हैं, लेकिन वह चाहते हैं कि मामले की जांच हो. इस बीत भारत के विदेश मंत्रालय ने तनाव के बीच भारतीय नागरिकों और छात्रों के लिए एडवाइजरी भी जारी कर दी है. कयास लगाए जा रहे हैं कि कनाडा के विदेशी दूतावास को भी हल्का किया जा सकता है, यानी कर्मचारियों की संख्या कम करने से सुरक्षा को भी कम किया जा सकता है. 
 
विदेश मंत्रालय के सख्त कदम और एडवाइजरी 

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के बेतुके बयान के बाद कनाडा में रह रहे भारतीय तनाव में हैं. पहले तो विदेश मंत्रालय ने ट्रूडो के बयान पर कड़ी आपत्ति दर्ज करते हुए 19 सितंबर को उसे खारिज किया और  उनके बयान को निहायत ही बचकाना और तनाव बढ़ानेवाला करार दिया. इसके बाद आज यानी बुधवार 20 सितंबर को विदेश मंत्रालय ने भारतीय नागरिकों और छात्रों के लिए एडवाइजरी जारी की है. विदेश मंत्रालय ने अपनी एडवाइजरी में कहा है कि कनाडा में रह रहे भारतीय नागरिकों और छात्रों को वहां बढ़ती भारत विरोधी गतिविधियों और आपराधिक हिंसा को देखते हुए अत्यधिक सावधानी बरतने का आग्रह किया जाता है. इसके साथ ही भारत ने कनाडा की यात्रा करने वाले अपने नागरिकों को भी सावधानी बरतने की सलाह दी है.

मंत्रालय ने खासतौर पर अपने सिटिजन्स को कनाडा के उन क्षेत्रों और इलाकों की यात्रा से बचने की सलाह दी है, जहां ऐसी घटनाएं देखी गई हैं. बता दें कि जी20 के दौरान भी जस्टिन ट्रूडो को प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की आपत्तियों से अवगत कराया था और खालिस्तानी तत्वों पर नकेल कसने को कहा था. ट्रूडो दो दिनों तक विमान खराब होने के कारण जी20 समिट के बाद भी भारत में ही रुकने को विवश हुए थे. बता दें कि खालिस्तान समर्थक तत्वों ने विशेष रूप से भारतीय राजनयिकों और भारतीय समुदाय के उन वर्गों को लक्षित किया है जो भारत विरोधी एजेंडे का विरोध करते हैं. ट्रूडो निज्जर की हत्या का दोषी भारत को ठहरा कर उनकी सहानुभूति बटोरना चाह रहे हैं. 

भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि उच्चायोग और वाणिज्य दूतावास कनाडा में भारतीय समुदाय की सुरक्षा और भलाई सुनिश्चित करने के लिए कनाडाई अधिकारियों के साथ संपर्क में लगातार रहेगा. कनाडा में बिगड़ते सुरक्षा माहौल को देखते हुए, विशेष रूप से भारतीय छात्रों को ज्यादा सावधानी बरतने और सतर्क रहने की सलाह दी गयी है. कनाडा में भारतीय नागरिकों और छात्रों को ओटावा में भारतीय उच्चायोग या टोरंटो और वैंकूवर में भारत के महावाणिज्य दूतावासों के साथ पंजीकृत (रजिस्टर्ड) होना होगा. 

फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन बनाम आतंकवाद  

कनाडा सरकार से हालांकि, जब भी खालिस्तानी आतंकवाद की बात करते हैं, तो उनका एक रटा रटाया जवाब होता है कि उनके यहाँ Freedom of expression है. उनके यहां शांतिपूर्वक प्रोटेस्ट करने की स्वतंत्रता है. वैसे, दुख की बात है कि कनाडा खुद भी सबसे बड़े आतंकी हमले का शिकार रहा है. कनाडा के इतिहास में सबसे बड़ा आतंकवादी हमला 1985 में एयर इंडिया कनिष्क को बम से उड़ा देना था. इसमें कुल 329 लोग मारे गए थे, जिनमें से 268 कनाडा के ही नागरिक थे, और अधिकांश पंजाबी लोग थे. उस समय भारत में पंजाब भी अलगवाववाद की समस्या से जूझ रहा था, लेकिन कनाडा ने इसके बावजूद खुले या छिपे तौर पर इन खालिस्तानियों को पालना जारी रखा.

इसका एक उदाहरण ऐसे समझिए. कनिष्क पर आतंकवादी घटना का मुख्य षड्यंत्रकर्ता था तलविंदर सिंह परमार, जिसने इस हमले के लिए फंडिंग की, बम की व्यवस्था की, अपहरणकर्ताओं को हायर किया, एयर टिकट खरीदे, आतंकवादियों के रहने खाने की व्यवस्था की थी. यानी, कुल मिलाकर सारा दोष उसी का था. उसे कनाडा की सरकार ने भी जांच के बाद दोषी ठहराया, वहां की जांच एजेंसियों ने भी दोषी ठहराया, वहां के कोर्ट ने दोषी ठहराया. बाद में उसे भारत भी लाया गया और यहां पुलिस के हाथों वह मारा गयाा. दुख की बात है कि कनाडा में आज भी 25 जून को हर साल 'शहीद भाई तलविंदर सिंह परमार' के सम्मान में कार रैली होती है. खुद इतनी बड़ी आतंकी घटना से पीड़ित होने के बाद भी कनाडा का यह व्यवहार समझ के परे हैं. 

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो कहते हैं कि निज्जर एक कनाडाई नागरिक था, जो भारत के द्वारा कनाडा में मारा गया. निज्जर दरअसल एक आतंकी था और इसी साल जून में कुछ अज्ञात तत्वों ने उसकी हत्या कर दी. भारत ने पूरी तरह इस मामले में किसी तरह का हाथ होने से इंकार कर दिया है. हां, इतना जरूर सच है कि यह निज्जर एक दुर्दम्य खालिस्तानी आतंकी था. उसके कई वीडियो में उसे असॉल्ट राइफल लहराते हुए दूसरे आतंकियों को ट्रेन करते हुए देखा जा सकता है. उसके खिलाफ इंटरपोल का रेड कॉर्नर नोटिस भी था और उसके कनाडा के नागरिक बनने के पीछे भी संदेह है, क्योंकि पहले दो बार कनाडा की सरकार ने उसकी नागरिकता की अर्जी ठुकरा भी दी थी. अगर निज्जर को ट्रूडो कनाडा का नागरिक बता रहे हैं तो क्या कनाडा के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समुदाय को कार्रवाई नहीं करनी चाहिए, भारत के खिलाफ वहां की जमीन से आतंकी लड़ाई छेड़ने के लिए. 

भारत अब नहीं झुकेगा

ट्रूडो को समझना चाहिए कि भारतीय विदेशनीति अब बदल गयी है और भारत अब किसी भी देश की आंखों में आंखें डालकर बात करता है. वह अपने हितों को सबसे ऊपर रखता है. एक कनाडाई सिंगर शुभनीत का भी भारत में 22 से 24 सितंबर तक कार्यक्रम होना था, लेकिन अब उसे टाल दिया गया है. उसकी वजह यह थी कि उसने भारत का एक कटा नक्शा सोशल मीडिया पर शेयर किया था. भारत अब अपने हितों को लेकर जब इतनी सतर्कता से काम कर रहा है, तो ट्रूडो को समझना चाहिए कि नए भारत को बिना वजह उकसाना उनके हित में नहीं है. वैसे भी, भारत बहुत वर्षों से आतंक  का शिकार है और वह जानता है कि अपनी रक्षा कैसे करनी है.

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