पेरोव्स्काइट सेल से भारत बनाएगा सोलर पैनल, आत्मनिर्भरता के साथ चीन को भी मिलेगी टक्कर
दरअसल कोयले के मदद से एनटीपीसी और अन्य कंपनियों के माध्यम से बिजली की उत्पादन होता है. इससे निकलने वाला धुआं कहीं न कहीं पर्यावरण को भी प्रदूषित करता है.
भारत भी अब सोलर पैनल बनाने में काफी सशक्त होगा. आईआईटी कानपुर ने पेरोव्स्काइट सेल के माध्यम से सोलर पैनल बनाने का काम किया है. यह कदम भारत को आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने वाला होगा. भारत आजादी के 100 साल होने तक हर क्षेत्र में विकास चाहता है. जहां भारत को विकसित बनाने की बात हो रही है. इस कदम से कहीं न कहीं चीन को एक झटका लगेगा. क्योंकि चीन इससे पूर्व भी सोलर पैनल बनाने में कारगर था. एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में 60 प्रतिशत सोलर पैनल चीन से ही सप्लाई की जाती है. अब भारत भी इस मामले में पीछे नहीं रहेगा. आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों के द्वारा सोलर पैनल बनाने का कदम सार्थक साबित हुआ तो भारत भी अपने यहां सोलर पैनल बना सकेगा और मेड इन इंडिया के तहत यह एक भारत के लिए विकासात्मक कदम साबित होगा. इससे तकनीक के क्षेत्र में एक क्रांति आएगी. अभी तक सिलिकॉन सेल के माध्यम से सोलर पैनल बनाए जाते थे.
300 यूनिट बिजली फ्री देने स्कीम को भी मिलेगी गति
हाल में ही सरकार ने बजट में बताया कि सरकार की 300 यूनिट बिजली फ्री देने की योजना है. इसके लिए खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना की शुरुआत की है. इसके अंतर्गत लोगों की घरों के छतों पर सोलर पैनल लगाए जाएंगे और इसके लिए सरकार सब्सिडी देगी. इसके अंतर्गत लोगों को मुफ्त में बिजली मिल सकेगी. अगर भारत में सोलर पैनल बनते हैं तो यकीनन इस योजना को भी काफी हद तक मदद मिलेगी.और कहीं न कहीं भारत एक स्वच्छ उर्जा देने में कारगर साबित होगा. बिजली पर से लोगों की निर्भरता कम होगी.
देश में बिजली का उत्पादन पानी और कोयले से किया जाता है. जरूरत है कि बिजली की निर्भरता की ओर से हट हम ग्रीन एनर्जी की ओर जाएं. इसके लिए सूर्य उर्जा का इस्तेमाल करना एक बेहतर कदम साबित हो सकता है. दिन प्रतिदिन बिजली के उपकरण बढ़ते जा रहे हैं. बिजली की खपत बढ़ती जा ही है. कहीं न कहीं उर्जा की कमी भी महसूस की जाती रही है. तो इन कई मुद्दों को ध्यान में रखा जाए तो यकीनन सूर्य उर्जा की ओर जाने का कदम बेहतर होगा.
प्रदूषण से भी मिलेगी मुक्ति
दरअसल कोयले के मदद से एनटीपीसी और अन्य कंपनियों के माध्यम से बिजली की उत्पादन होता है. इससे निकलने वाला धुआं कहीं न कहीं पर्यावरण को भी प्रदूषित करता है. ऐसे में सोलर पैनल जब लोग उपयोग करते हैं तो बिजली से निर्भरता में कमी आती है और कंपनियों के उपर से अधिक बिजली उत्पादन का भार कम होता है. ऐसे में भार कम होगा तो लोग सोलर पैनल की ओर बढ़ेंगे और इसकी खपत बढेगी. भारत भी नवीकरणीय उर्जा की ओर आगे बढ़ता जा रहा है. अगर भारत ने सोलर पैनल बनाई तो यकीनन वो टिकाऊ होगा. चीन के वस्तुओं को लेकर एक संशय टिकाऊपन का होता है.
अगर भारत में पेरोव्स्काइट सेल से सोलर पैनल बनता है तो यह एक अलग ऑपशन की तरह हो जाएगा. क्योंकि इससे पहले सिर्फ सिलिकॉन के सेल से ही बनता रहा है. सूर्य से आने वाली किरणों को हासिल कर उर्जा में कनवर्ट करने की प्रक्रिया को ही तो सौर उर्जा कहा जाता है. आज के समय में कई आधुनिक तकनीक आ गई है. अगर उन आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर के सौर उर्जा का उत्पादन बढ़ाया जाता है तो यह भारत के लिए काफी मददगार कदम साबित भी होगा और कहीं न कहीं सौर उर्जा के उत्पादन से बिजली की निर्भरता से हम दूर हो पाएंगे.