भारत की अर्थव्यवस्था अगले सात साल में होगी नंबर 3, तेज डिजिटलीकरण और बढ़ता मध्यम वर्ग है इसकी वजह
भारत फिलहाल दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. यह 2020 में इंग्लैंड से आगे निकल गया था. पूरी दुनिया में मंदी और कोरोना महामारी के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था बढ़त पर है.
भारत की अर्थव्यवस्था अभी दुनिया में पांचवें नंबर पर है, लेकिन जल्द ही यह तीसरे स्थान पर पहुंच सकती है. बेहद तेज डिजिटलीकरण बढ़ते मध्यम वर्ग से भारत के विकास को गति मिलने की उम्मीद है, जिससे 2030 तक इसकी अर्थव्यवस्था तीसरे स्थान पर पहुंच सकती है. यानी वह, जर्मनी और जापान को पछाड़कर तीसरे स्थान पर काबिज हो जाएगी. यह केवल अमेरिका और चीन से पीछे रह जाएगी. एक फाइनेंशियल इन्फॉर्मेशन सर्विस फर्म के अध्ययन के मुताबिक इसी दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था दोगुनी से भी अधिक बढ़ जाएगी और इसका आकार 7.3 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगा. यह 2022 में 3.5 ट्रिलियन डॉलर का ही था.
तेजी से बढ़ता मध्यम वर्ग
भारत फिलहाल दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. यह 2020 में इंग्लैंड से आगे निकल गया था. पूरी दुनिया में मंदी और कोरोना महामारी के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था बढ़त पर है और यह बेहद सकारात्मक बात है. भारत के लिए एक महत्वपूर्ण सकारात्मक बात इसका बड़ा और तेजी से बढ़ता मध्यम वर्ग है, जो उपभोक्ता खर्च को बढ़ाने में मदद कर रहा है. भारत का तेजी से हो रहा डिजिटलीकरण भी भारतीय अर्थव्यवस्था को तेज बना रहा है. इस डिजिटल क्रांति से ईकॉमर्स के विकास में तेजी आयी है, और अगले दशक तक तो रिटेल कंज्यूमर मार्केट का पूरा दृश्य ही बदल जाएगा. आईएमएफ यानी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की मानें तो भारतीय अर्थव्यवस्था 2026 में जर्मनी से और उसके अगले साल यानी 2027 में जापान से अधिक हो जाएगी, इसके 2028 में 6 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच जाने का अनुमान है, जो अभी के दोगुने से अधिक होगा.
भारत ने वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही में 7.8% की वृद्धि दर्ज की है. अनुमान है कि भारत चालू वित्त वर्ष में 6.6% की वृद्धि दर्ज करेगा, जो कि उम्मीद से कम भले हो, लेकिन वैश्विक परिदृश्य को देखते हुए यह बहुत अधिक है. जहां दुनिया की सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाएं घुटनों पर है, वहीं भारत अगर इतना भी पा लेता है तो वह बहुत है. भारतीय अर्थव्यवस्था में अगले तीन वित्तीय वर्षों में 6.3% की औसत वृद्धि होने का अनुमान है. 2023 के बचे कुछ महीनों और 2024 के लिए भी लगातार तीव्र विस्तार के संकेत हैं, जिसकी वजह घरेलू मांग में मजबूत वृद्धि है.
बढ़ता औद्योगिक उत्पादन और क्रयशक्ति
अगर हम इनडेक्स ऑफ इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन यानी IIP जैसे संकेतकों को भी देखें तो विकास की गति जारी रहने का ही आभास होता है. आंकड़ों से पता चलता है कि अगस्त में IIP में 10.3% की वृद्धि हुई, जो 14 महीनों में सबसे अधिक है. PMI डेटा यानी परचेज मैनेजमेंट इंडेक्स ने सर्विस और मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के बीच मजबूत आशावाद की ओर इशारा किया है. 2023 की शुरुआत से ही मैन्युफैक्चरिंग में माहौल बेहद अच्छा है. मुद्रास्फीति के दबाव में कमी आयी है और सितंबर में भारत की मुद्रास्फीति घटकर 5% हो गई, जो पिछले महीने में 6.8% थी. हमारे देश की जनसांख्यिकीय प्रोफ़ाइल उसे 2030 तक दुनिया की तीसरी और एशिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने में मदद करेगी. पिछले एक दशक में भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में तेजी अनुकूल विकास योजना को दर्शाती है, जिसे युवा जनसांख्यिकीय डेटा और तेजी से बढ़ती शहरी घरेलू आय से मदद मिलती है. वित्त वर्ष 2023 में भारत का शुद्ध $71 बिलियन एफडीआई प्रवाह था. यह वित्त वर्ष 2004 में केवल 4 बिलियन डॉलर था और उससे लगभग 18 गुना अधिक फिलहाल है. भारत के मजबूत एफडीआई प्रवाह को Google और Facebook जैसी ग्लोबल टेक मल्टीनेशनल कंपनियों के बड़े निवेश से बढ़ावा मिला है, जो भारत के तेजी से बढ़ते घरेलू उपभोक्ता बाजार की ओर आकर्षित हैं. इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या 2020 में 500 मिलियन यानी 50 करोड़ से 2030 में लगभग दोगुनी होकर 1.1 बिलियन यानी 1 अरब 10 करोड़ हो जाने की उम्मीद है. इससे यूनिकॉर्न बनाने में मदद मिलेगी, जो बदले में मल्टीनेशनल कंपनियों से निवेश खींचेगी.
सबसे तेज डिजिटल इकोनॉमी
बीते कुछ वर्षों में भारत एक प्रमुख आर्थिक ताकत बनकर उभरा है. दुनिया भर में चल रहे डिजिटल बदलाव के दौर में भी देश काफी आगे है और दुनिया भी हमारे डिजिटलीकरण को देखकर हैरान है. डिजिटल बदलाव की तेज रफ्तार से भारत की अर्थव्यवस्था को खूब फायदा हो रहा है. जीडीपी में डिजिटल इकोनॉमी का योगदान बढ़कर 20 फीसदी पर पहुंचने की बेहद जल्द उम्मीद है. केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने डिजिटल एक्सीलरेशन एंड ट्रांसफॉर्मेशन एक्सपो में दावा किया कि भारत न सिर्फ अभी दुनिया की सबसे तेज बढ़ती अर्थव्यवस्था है, बल्कि हम दुनिया की सबसे तेजी से तरक्की कर रही डिजिटल अर्थव्यवस्था भी हैं. फिलहाल डिजिटल इकोनॉमी देश के कुल सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी में करीब 11 फीसदी का योगदान दे रही है.
यह बढ़कर जल्दी ही 20 फीसदी यानी पांचवें हिस्से के बराबर हो सकता है. 2014 में जीडीपी में डिजिटल इकोनॉमी का योगदान महज 4.5 फीसदी था, जो अभी करीब 11 फीसदी हो चुका है, यानी लगभग तीन गुणा बढ़ चुका है. डिजिटल इकोनॉमी इन दिनों नॉर्मल इकोनॉमी की तुलना में कई गुना ज्यादा रफ्तार से तरक्की कर रही है. खास तौर पर इनोवेशन इकोनॉमी की ग्रोथ रेट रेगुलर इकोनॉमी की तुलना में लगभग 3 गुणा अधिक है. भारत को 2027 तक 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य सरकार ने रखा है. साथ ही भारत को 2026 तक दुनिया की ट्रिलियन डॉलर डिजिटल इकोनॉमी में से एक बनाने का भी लक्ष्य लेकर सरकार चल रही है. हमने अगर ये लक्ष्य पा लिए तो हमें 2030 तक फिर कोई ताकत रोक नहीं सकती है.