भारत ने बीते दो दिनों में दो बार भारतीय राजनयिकों पर हमले को लेकर ब्रिटेन से अपनी चिंता जताई है. गुरुवार 13 अप्रैल को तो पीएम मोदी ने अपने ब्रिटिश समकक्ष ऋषि सुनक से बात की और भारतीय राजनियक प्रतिष्ठानों पर हो रहे विरोध प्रदर्शनों पर चिंता जताई.


मुखर और एग्रेसिव हो रही भारतीय विदेश नीति


भारत की विदेश नीति तेजी से बदल रही है. चाहे वह चीन और पाकिस्तान के लगातार विरोध के बावजूद अरुणाचल प्रदेश और कश्मीर में जी-20 बैठकों का आयोजन करना हो या अपने हितों की सुरक्षा का सवाल हो, भारतीय विदेश नीति अब मुखर और एग्रेसिव है. कुछ दिनों पहले ब्रिटेन में लगातार भारतीय दूतावास के सामने खालिस्तान समर्थकों के प्रदर्शन और हमले हुए. इसमें ब्रिटेन की तरफ से सुरक्षा में ढिलाई के संकेत मिलने पर भारत ने भी दिल्ली स्थित ब्रिटिश उच्चायोग और उच्चायुक्त के सामने से सुरक्षा व्यवस्था की कई परतों को हटा लिया.


पहले यहां बैरिकेड्स के 12 घेरे थे, लेकिन भारतीय दूतावास पर खालिस्तान समर्थकों के चढ़ने के बाद नई दिल्ली ने न केवल ब्रिटिश उच्चायुक्त को तबल किया, बल्कि बैरिकेड्स भी हटा दिए थे. इसके बाद ही ब्रिटेन ने लंदन में भारतीय उच्चायोग के सामने और अधिक पुलिसकर्मी और सुरक्षाबल लगाए थे.


अब, पीएम मोदी ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक से जब बात की तो भारतीय राजनयिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और भारत विरोधी तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का भी आह्वान किया है. साथ ही, दोनों ने भारत-यूके रोडमैप 2030 के विभिन्न आयामों पर भी चर्चा की है.


अब आंख से आंख मिलाकर बात हो रही है


इसी बात को थोड़ा और साफ करते हुए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय राजनीति के असिस्टैंट प्रोफेसर अभिषेक कुमार कहते हैं कि भारत अब असर्टिव हो रहा है. उन्होंने कहा, ‘भारतीय विदेश नीति में बड़ा बदलाव हुआ है. जैसा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कहा भी था कि भारत न किसी से आंख झुका कर बात करेगा, न आंख दिखाकर बात करेगा, तो अब वही हो रहा है. भारत अपने हितों को लेकर मुखर, एग्रेसिव और प्रोटेक्टिव हो रहा है. भारत की मजबूत हो रही अर्थव्यवस्था इसका एक बड़ा कारण है. ब्रिटेन इसके साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट चाह रहा है, तो वह किसी भी कीमत पर भारत को नाराज नहीं करना चाहेगा. इसके अलावा रूस और चीन की गलबंहियां भी एक कारक हैं. यूरोपीय देशों में कई अब भारत को विश्वसनीय पार्टनर की तरह देख रहे हैं और भारत भी उसी तरह बर्ताव कर रहा है. भारत अब मजबूती से अपनी बात रख रहा है.’


भारत को नजरअंदाज करना अब मुश्किल


बदलती भू-राजनैतिक परिस्थितियों में भारत को अब नजरअंदाज करना मुश्किल है. चीन क्योंकि भरोसेमंद नहीं, क्योंकि वह रूस और पाकिस्तान के साथ खड़ा है, तो एशिया में भारत अब नए ध्रुव की तरह उभर रहा है. इसकी अर्थव्यवस्था मजबूती की ओर है, जबकि अमेरिका समेत यूरोप के कई देशों पर मंदी की छाया है. देश की केंद्रीय सत्ता मजबूत और स्थिर है, इसलिए घरेलू हालात भी ऐसे हैं कि विदेश नीति पर पहलकदमी की जाए और बात की जाए. देश में स्थिरता है तो भारत को बाहर की ओर झांकने की फुरसत मिल रही है और अपनी विदेश नीति को नए सिरे से वह तय कर रहा है.


ब्रिटेन से कई मसलों पर भारत को है उम्मीद


पीएम मोदी और सुनक की बातचीत से एक दिन पहले भारत सरकार के गृहमंत्रालय की तरफ से भी ब्रिटेन के होम डिपार्टमेंट को भारतीय चिंताओं से अवगत कराया गया था. ब्रिटेन में खालिस्तानी गतिविधियों के आम होने और ब्रिटेन में भारतीय संस्थानों पर प्रदर्शन या हमले की आशंका को रोकने के लिए सख्त कार्रवाई की मांग की गई थी.


ब्रिटेन में भारत के कई वांछित आर्थिक अपराधी भी रह रहे हैं, तो उनकी वापसी के लिए भी पीएम मोदी ने अपने ब्रिटिश समकक्ष से कहा है. भारत का मानना है कि वे भगोड़े वापस आएं तो उन पर कार्रवाई की जा सके. भारत-ब्रिटेन रोडमैप 2030 भी दोनों देशों के लिए बेहद अहम है. भारत अब विश्व की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था है तो ब्रिटेन उससे मुक्त व्यापार संधि भी चाह रहा है. ऐसे में दोनों देशों के आपसी हितों को ध्यान में रखकर काम करने की जरूरत है.


भारत अब आत्मविश्वास से भरा देश है और उसकी विदेश नीति में भी यह प्रदर्शित हो रहा है.


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