Indian Navy: भारतीय नौसेना की ताकत लगातार बढ़ रही है. दुनिया की सबसे ताकतवर नौसेनाओं में इंडियन नेवी की गिनती होती है. इंडियन नेवी आत्मनिर्भर बनने की दिशा में तेजी से कदम उठा रही है. भारतीय नौसेना 2047 तक आत्मनिर्भर बन जाएगी.
नौसेना देश की समुद्री सीमा को सुरक्षित रखने के साथ ही प्राकृतिक आपदा आने पर मनावीय सहायता अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. भारत तीन ओर से समुद्र से घिरा हुआ है. भारत की कुल तटीय सीमा 7,516 किलोमीटर है. इस लिहाज से इंडियन नेवी की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है. आंतरिक सुरक्षा और समुद्री व्यापार से जुड़ी चुनौतियों से इसे निपटना होता है.
स्वदेशी पनडुब्बी 'वागीर' नौसेना में शामिल
इंडियन नेवी को आधुनिक बनाने पर भी ज़ोर दिया जा रहा है. इसी कड़ी में 23 जनवरी को भारतीय नौसेना में स्वदेशी पनडुब्बी आईएनएस वागीर (INS Vagir) को शामिल किया गया. ये कलवरी श्रेणी की पांचवीं पनडुब्बी है. इसके साथ ही भारतीय नौसेना ने प्रोजेक्ट 75 और मेक इन इंडिया पहल के तहत एक और मील का पत्थर हासिल कर लिया है. मुंबई के नौसेना डॉकयार्ड पर हुए समारोह में आईएनएस को नेवी में शामिल किया गया. नौसेना अध्यक्ष एडमिरल आर हरि कुमार की मौजूदगी में इसे नौसेना में शामिल किया गया. आईएनएस वागीर पिछले दो साल में नेवी में शामिल की गई चौथी पनडुब्बी है.
हिंद प्रशांत क्षेत्र में बढ़ेगा दबदबा
ये पनडुब्बी ऐसे वक्त में नेवी में शामिल हुई है, जब चीन के साथ सीमा विवाद की घटनाएं बढ़ गई हैं. उसके साथ ही हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन का खतरा भी लगातार बढ़ रहा है. हिंद महासागर में चीनी नौसेना की बढ़ती मौजूदगी के बीच इंडियन नेवी को इतनी बेहतरीन पनडुब्बी मिली है. आईएनएस वागीर इंडियन नेवी के पश्चिमी नौसेना कमान के पनडुब्बी बेड़े का हिस्सा बनेगा.
दुश्मनों को चकमा देने में माहिर
आईएनएस वागीर आधुनिक हथियारों से लैस अत्याधुनिक स्टील्थ तकनीक वाली घातक पनडुब्बी है. इससे इंडियन नेवी की लड़ाकू और जवाबी क्षमता काफी बढ़ जाएगी. ये पनडुब्बी दुनिया के कुछ बेहतरीन सेंसर और हथियारों से लैस है. इसमें 'वायर गाइडेड टॉरपीडो' और सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलें शामिल हैं. पनडुब्बी में ख़ास अभियानों के लिए समुद्री कमांडो को पानी में उतारने की क्षमता है. इसके शक्तिशाली डीज़ल इंजन बैटरी को बहुत जल्दी चार्ज कर सकते हैं. सेल्फ डिफेंस के लिए ये पनडुब्बी अत्याधुनिक 'टॉरपीडो डिकॉय सिस्टम' से लैस है. पनडुब्बी की खासियत है कि ये आधुनिक रडार से बच निकल सकती है. इसमें लंबी दूरी की गाइडेड टॉरपीडो और युद्धपोत रोधी मिसाइलें मौजूद हैं. इस पनडुब्बी में दुश्मन के बड़े बेड़े को बेअसर की क्षमता है.
मेक इन इंडिया पहल के तहत निर्माण
आईएनएस वागीर को‘मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) बनाया गया है. इसका निर्माण फ्रांस के मैसर्स नेवल ग्रुप के सहयोग से किया गया है. 'वागीर' का अर्थ 'सैंड शार्क' (Sand Shark) है, जो गोपनीयता और निडरता के भाव को दर्शाता है. इन दो गुणों के कारण ही पनडुब्बी को वागीर नाम दिया गया है. 'साहस, शौर्य और समर्पण' इस पनडुब्बी का आदर्श-वाक्य ( motto)है. पनडुब्बी INS VAGIR से दुश्मन को रोकने की इंडियन नेवी की क्षमता में इज़ाफा होगा. इससे देश के समुद्री हितों के संरक्षण में मदद मिलेगी. ये पनडुब्बी संकट के समय में निर्णायक वार करने के लिए खुफिया, निगरानी और टोही अभियान के संचालन में भी मददगार साबित होगी.
नौसेना के सुनहरे भविष्य की झलक
खुद नौसेना अध्यक्ष एडमिरल आर हरि कुमार ने इसे बड़ी उपलब्धि बताया है. उनका मानना है कि इससे भारत के जहाज निर्माण उद्योग के सुनहरे भविष्य की झलक मिलती है. साथ ही ये देश के रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र की मजबूती को भी दिखाता है. आईएनएस वागीर को 11 महीने में समुद्री परीक्षण पूरा किया है. अब तक जितने भी पनडुब्बी का निर्माण भारत में किया गया है,आईएनएस वागीर को उसमें सबसे कम वक्त में तैयार होने का गौरव हासिल हुआ है. इसका निर्माण 12 नवंबर 2020 में शुरू हुआ था और 20 दिसंबर 2022 को इसका ट्रायल पूरा हो गया था.
प्रोजेक्ट 75 के तहत 6 पनडुब्बियों का निर्माण
मेड इन इंडिया पहल के तहत आईएनएस वागीर, प्रोजेक्ट 75 का हिस्सा है. Project 75 के तहत छह स्कोर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों को भारत में ही बनाए जाने का लक्ष्य रखा गया था. आईएनएस वागीर से पहले इस प्रोजेक्ट के तहत चार पनडुब्बी (Submarines) नेवी के बेड़े में शामिल हो चुकी हैं. ये आईएनएस कलवरी (Kalvari), आईएनएस खंडेरी (Khanderi), आईएनएस करंज (Karanj) और आईएनएस वेला (Vela) हैं. कलवरी पनडुब्बी को 14 दिसंबर 2017 और खंडेरी को 28 सितंबर 2019 को कमीशन किया गया था. करंज को 10 मार्च 2021 और चौथी पनडुब्बी वेला को 25 नवंबर 2021 को कमीशन किया गया था. पांचवी पनडुब्बी वगीर (Vagir) और छठी स्कॉर्पीन पनडुब्बी वागशीर (Vagsheer) है. कलवरी पनडुब्बियों में से अंतिम आईएनएस 'वागशिर' का निर्माण भी करीब-करीब पूरा हो चुका है. इसे मार्च-अप्रैल में पहली सतही समुद्री यात्रा शुरू करने के लिए तैयार किया जा रहा है. इस साल तक ये पनडुब्बी भी नौसेना के बेड़े में शामिल हो जाएगी.
खरीदार की बजाय निर्माण करने वाली नौसेना
आत्मनिर्भर भारत मुहिम के तहत इंडियन नेवी, खरीदने वाली नौसेना (Buyer’s Navy) से निर्माण करने वाली नौसेना (Builder’s Navy) बनने की ओर तेजी से कदम बढ़ा रही है. आईएनएस वागीर को इंडियन नेवी के आधुनिकीकरण की दिशा में एक और सफल कदम है. ये दिखाता है कि भारतीय नौसेना की स्थिति निर्माता की भूमिका में भी मजबूत होते जा रही है.
हिंद महासागर से जुड़ी चुनौतियां
इंडियन नेवी ने वक्त के साथ अपनी क्षमताओं को काफी विकसित किया है, लेकिन अभी भी कई चुनौतियां हैं, जिससे निपटने की जरुरत है. हिंद महासागर और दक्षिण चीन सागर में पूरी दुनिया की दिलचस्पी बढ़ी है, उस लिहाज से भारतीय नौसेना के लिए चुनौतियां भी भविष्य में बढ़ेंगी.पिछले 15 साल से चीन की नौसेना हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में दबदबा बनाने में जुटी है. जिबूती में चीन बंदरगाह और मिलिट्री बेस तैयार कर रहा है. खुद नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती दखलंदाजी को बड़ी चुनौती बताया है. चीन LAC के बाद अब समुद्री सीमा में भी भारत के लिए बड़ी चुनौती बन रहा है. समुद्री सुरक्षा के लिए हिंद महासगार के पूरे इलाके में भारत से बड़ा देश कोई नहीं है. ऐसे में भारतीय नौसेना को और ज्यादा आधुनिक पनडुब्बी और समुद्री जहाज बनाने की जरूरत है.
स्वदेशी विमानवाहक पोत बढ़ाने की चुनौती
भारत के पास फिलहाल दो ही बड़े एयरक्राफ्ट कैरियर हैं. इनमें से एक रूस में बना आईएनएस विक्रमादित्य है, दूसरा आईएनएस विक्रांत है, जिसे पूरी तरह से ऑपरेशनल होने में अभी कुछ महीने और लग सकते हैं. भारत के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत (IAC-1) को सितंबर 2022 में नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया. इंडियन नेवी का समुद्र में चीन की बढ़ती ताकत और महासागर में उसके बढ़ते दबदबे से निपटने के लिए तीन विमान वाहक पोत हासिल करने पर जोर रहा है. हालांकि, इंडियन नेवी के लिए तीसरे IAC को लेकर अभी स्थिति साफ नहीं है.
पनडुब्बियों की संख्या बढ़ाने की जरुरत
चीन के पास इस वक्त करीब 80 पनडुब्बियां हैं. वहीं भारत के पास 17 पनडुब्बियां हैं. दिसंबर 2017 से पहले डेढ़ दशक से भी ज्यादा समय से भारतीय नौसेना में एक भी नई पनडुब्बी शामिल नहीं हुई थी. दिसंबर 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पनडुब्बी आईएनएस कलवरी राष्ट्र को समर्पित की. देश की पहली स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी INS अरिहंत ने भी नौसेना की ताकत बढ़ी है लेकिन इस मोर्चे पर और तेजी से काम करने की जरूरत है. हिन्द महासागर में चीन के वर्चस्व पर अंकुश लगाने के हिसाब से स्कोर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियां बहुत महत्वपूर्ण हैं. भारतीय नौसेना को ऐसी पनडुब्बियों की संख्या बढ़ाने की जरुरत है, जिनमें लंबे वक्त तक पानी के नीचे रहने की क्षमता हो. भारत जिस तरह इन दिनों पनडुब्बियों को देश में ही बनाने पर जोर दे रहा है, उससे ये उम्मीद बनी है कि आने वाले दिनों में आधुनिक तकनीकों से लैस पनडुब्बियों की संख्या और बढ़ेगी.
इंडिजीनस एयरक्राफ्ट कैरियर बढ़ाने पर ज़ोर
इंडियन नेवी के सामने इंडिजीनस एयरक्राफ्ट कैरियर बढ़ाने की भी चुनौती है. इसके अलावा जहाजों और पनडुब्बियों में बार-बार होने वाले हादसों से निपटने की भी बड़ी चुनौती है. भारत की साढ़े सात हजार किलोमीटर लंबी तटीय सीमा के अलावा हजारों किलोमीटर लंबी समुद्री सीमा भी है और इसकी सुरक्षा के लिए नौसेना की ताकत को लगातार बढ़ाने की जरुरत है.
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