5F फार्मूला से 2030 तक भारतीय टेक्सटाइल प्रोडक्ट्स का निर्यात 100 अरब डॉलर तक करने का है लक्ष्य
भारत में कपड़ा और परिधान उद्योग के पास फाइबर, यार्न, कपड़े से परिधान तक पूरी वैल्यू चेन में ताकत है. भारत दुनिया में कपास का सबसे बड़े उपभोक्ता और उत्पादक देशों में से एक है.
भारत पर्याप्त कच्चे माल और एक बड़े कार्यबल के साथ वैश्विक रेडीमेड गारमेंट्स बाजार में अपना एकाधिपत्य जमाने को तैयार है. रेटिंग एजेंसी केयरएज ने एक रिपोर्ट में कहा है कि भारतीय रेडिमेड कपड़ों का निर्यात 2027 तक 30 बिलियन अमरीकी डालर के स्तर को पार करने की उम्मीद है. इस तरह, विश्व निर्यात में 5% की हिस्सेदारी है. फाइबर से फैब्रिक तक, सूती कपड़ा मूल्य श्रृंखला में भारत की उपस्थिति बेहतर है. जबकि, मानव निर्मित फाइबर में हम थोड़ा पीछे हैं. हालांकि यूके के साथ होने वाले एफटीए और उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (PLI Scheme) से इसे बढ़ावा मिलने की उम्मीद है. भारत में घरेलू परिधान और कपड़ा उद्योग देश के सकल घरेलू उत्पाद में 2% का योगदान देता है और मूल्य के संदर्भ में उद्योग उत्पादन का 7% योगदान करता है.
क्या है प्रधानमंत्री मोदी का 5F का फार्मूला
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत को समृद्ध बनाना चाहते हैं. उन्होंने इसके लिए फार्म, फाइबर, फैक्ट्री, फैशन से फॉरेन तक के फाइव F का फार्मूला दिया है. पीएम मोदी ने आधुनिक प्लग एंड प्ले एकीकृत बुनियादी ढांचे की आधुनिक अवधारणा पेश की है, जो कपड़ा क्षेत्र को बढ़ावा देगा और भारत में कपड़ा क्षेत्र को दोगुना करने और निर्यात को तीन गुना करने में मदद करेगा. 2 साल पहले तक टेक्सटाइल सेक्टर का निर्यात 33 बिलियन डॉलर तक था, जिसे अब 2030 तक 100 अरब डॉलर तक करने का लक्ष्य रखा गया है. घरेलू कपड़ा और परिधान उद्योग 2021 में $152 बिलियन का था, जो 12% की सीएजीआर (CAGR) से बढ़कर 2025 तक $225 बिलियन तक हो जाएगा.
कृषि क्षेत्र के बाद सबसे ज्यादा रोजगार प्रदाता क्षेत्र
भारत में कपड़ा और परिधान उद्योग के पास फाइबर, यार्न, कपड़े से परिधान तक पूरी वैल्यू चेन में ताकत है. भारत दुनिया में कपास का सबसे बड़े उपभोक्ताओं और उत्पादक देशों में से एक है. हम पॉलिएस्टर, रेशम और फाइबर में दूसरा सबसे बड़ा निर्माता हैं. कृषि के बाद दूसरा सबसे बड़ा रोजगार देने वाला क्षेत्र है. जो संबद्ध उद्योगों में 45 मिलियन लोगों और 100 मिलियन लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करता है. भारतीय कपड़ा और परिधान उद्योग पारंपरिक हस्तकरघा, हस्तशिल्प, ऊन और रेशम उत्पादों के उत्पादों से लेकर भारत में संगठित कपड़ा उद्योग तक के क्षेत्रों की एक विस्तृत श्रृंखला के साथ अत्यधिक विविधतापूर्ण है. भारत में संगठित कपड़ा उद्योग की विशेषता कपड़ा उत्पादों के बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए पूंजी और प्रौद्योगिकी के उपयोग से है. इसमें कताई, बुनाई, प्रसंस्करण और परिधान निर्माण शामिल हैं. भारत दुनिया में कपास और जूट के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है. भारत दुनिया में रेशम का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक भी है और दुनिया का 95% हाथ से बुने हुए कपड़े भारत से आते हैं.
FDI में सबसे अधिक योगदान जापान, मॉरीशस, इटली का
भारत का रेडीमेड परिधान का निर्यात 12-13% का सीएजीआर के साथ चलता रहा तो 2027 तक $ 30 बिलियन को पार कर जाएगा. 2019-20 में घरेलू कपड़ा और परिधान उद्योग का कारोबार $150.5 बिलियन का रहा है. अप्रैल 2016 से मार्च 2021 तक भारत के कपड़ा क्षेत्र में (रंगे, मुद्रित सहित) में FDI में सबसे अधिक योगदान जापान, मॉरीशस, इटली और बेल्जियम का रहा है. भारत ने वित्त वर्ष 2021-22 में हस्तशिल्प सहित कपड़ा और परिधान (टी एंड ए) में अब तक के अपने उच्चतम निर्यात स्तर को $ 44.4 बिलियन तक बढ़ाया है जो वित्त वर्ष 2020-21 और वित्त वर्ष 2019-20 में इसी आंकड़ों की तुलना में 41% और 26% की पर्याप्त वृद्धि को दर्शाता है.
निर्यात के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका सबसे पसंदीदा जगह
भारतीय टेक्सटाइल प्रोडक्ट्स के निर्यात के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका 27% हिस्सेदारी के साथ सबसे पसंदीदा गंतव्य है. इसके बाद यूरोपीय संघ (18%), बांग्लादेश (12%) और संयुक्त अरब अमीरात (6%) निर्यात किए जाते हैं. अगर हस्तशिल्प के निर्यात को छोड़ दिया जाए तो अक्टूबर 2022 में सभी कपड़ा मूल्यों के आरएमजी का निर्यात $ 988.72 मिलियन और इसी अवधि में हस्तनिर्मित कालीन की कीमत 98.05 मिलियन डॉलर का रहा है. अक्टूबर 2022 में कॉटन यार्न/फैब्स/मेडअप्स, हैंडलूम उत्पादों आदि का निर्यात मूल्य $719.03 मिलियन रहा. भारत में कपड़ा और परिधान उद्योग से जुड़े कुल 1,77,825 बुनकर और कारीगर गवर्नमेंट-ई-मार्केटप्लेस (GeM) पर पंजीकृत हैं.
क्या है पीएलआई योजना
सरकार ने देश में MMF परिधान, MMF कपड़े और तकनीकी वस्त्रों के उत्पादों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 10,683 करोड़ रुपये के स्वीकृत परिव्यय के साथ उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना शुरू की है ताकि कपड़ा उद्योग को आकार और पैमाना हासिल करने और प्रतिस्पर्धी बनने में सक्षम बनाया जा सके. इसके अलावा महाराष्ट्र, अहमदाबाद, दिल्ली और चेन्नई जैसे महनगरों में सेंटर ऑफ एक्सिलेंस का संचालन किया जा रहा है.