Roads In India: भारत के खाते में एक और उपलब्धि जुड़ गयी है. इसके चिर-प्रतिद्वंद्वी चीन से तुलना करें तो यह खबर और भी अधिक सुकून देह हो जाती है. पिछले दिनों भारत ने चीन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाले देश का तमगा हासिल कर लिया था. हालांकि, उस उपलब्धि को लेकर विद्वानों में एक राय नहीं है कि उसे सकारात्मक तौर पर लें या नकारात्मक तौर पर. आबादी के मसले पर मिश्रित प्रतिक्रिया मिली है, लेकिन यह उपलब्धि निश्चित तौर पर गर्व करने लायक ही है. भारत अब सड़क नेटवर्क के मामले में पूरी दुनिया में दूसरे नंबर का देश है और यह स्थान उसने चीन को पछाड़ कर हासिल किया है. भारत से आगे इस मामले में अब केवल संयुक्त राज्य अमेरिका ही है. 


सड़कों का हो गया कायाकल्प


दुनिया में क्षेत्रफल के लिहाज से देखें तो भारत सातवें स्थान पर है और आबादी के लिहाज से पहले. यहां विकास भी हरेक राज्य में एक जैसा नहीं है और इसलिए लोगों को कामकाज से लेकर पर्यटन तक के लिए एक जगह से दूसरी जगह जाना होता है. लोगों को याताायात के लिए बेहतर कनेक्टिविवटी की जरूरत होती ही है. वैसे तो आने-जाने के लिए भारत में लोग रेल मार्ग, हवाई मार्ग और सड़क मार्ग, इन तीनों ही मार्गों का उपयोग करते हैं. अच्छे और सुचारू यातायात के लिए सड़कों का अच्छा नेटवर्क होना अनिवार्य है. कुछ एकाध दशक पहले तक भारत में सड़कों की हालत बेहद खराब थी और इसको लेकर कई तरह के चुटकुले भी थे, लेकिन अब भारत में सड़कों का नेटवर्क बहुत तेजी से बढ़ा है. केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार 27 जून को यह जानकारी देते हुए बताया कि भारत ने रोड नेटवर्क के मामले में चीन को पीछे छोड़ दिया है और अब केवल संयुक्त राज्य अमेरिका से पीछे है. 



उन्होंने जानकारी दी कि पिछले 9 वर्षों में भारत का सड़क नेटवर्क 59 फीसदी बढ़ा है और फिलहाल यह करीबन 1 लाख 45 हजार और 240 किलोमीटर का है. यह उपलब्धि बीते 9 वर्षों की है और वित्त वर्ष 2013-14 में भारत का कुल सड़क नेटवर्क 91,827 किलोमीटर मात्र था. सड़कों के नेटवर्क में दूसरा स्थान पाने की उपलब्धि के दौरान भारत ने कई अलग तरह के रिकॉर्ड भी बनाए हैं. अगर राजस्व की बात करें तो पिछले 9 वर्षों में सड़कों से मिलने वाला टैक्स 4,770 करोड़ रुपए से बढ़कर 41,432 करोड़ रुपए हो चुका है. सरकार का लक्ष्य है कि टोल का यह राज्सव बढ़कर 2030 तक 1.30 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच जाए. फास्टैग सिस्टम के लाने से टोल पर रुकने वाले समय में भी काफी कमी आयी है. पहले जहां औसतन 447 सेकंड रुकना पड़ता था, अब वाहनों के इंतजार करने का समय घटकर 47 सेकंड हो गया है. सरकार ऐसे कदम उठा रही है, जिससे यह समय 30 सेकंड का हो जाए. 



चीन से और भी मामलों में आगे


भारत चीन से डिजिटल पेमेंट के मामले में भी आगे निकल चुका है. 2010 में चीन इस मामले में दुनिया का पहले स्थान का देश होता था. हालांकि, 2022 में भारत सबसे आगे रहा है औऱ देश के डिजिटल पेमेंट में 91 फीसदी की बढ़ोतरी हुी है. भारत के बाद ब्राजील, चीन, थाईलैंड और दक्षिण कोरिया है. मजेदार बात तो यह है कि अगर इन चारों के डिजिटल पेमेंट के आंकड़े एक साथ जोड़ दें, तो भी भारत इनसे काफी आगे रहेगा. इसी तरह भारत ने आबादी के मामले में भी चीन को पीछे छोड़ दिया है और अभी संसार की सबसे युवा आबादी भारत के पास है, यानी मानव संसाधन के मामले में भी हम आगे हैं. आर्थिक मोर्चे की बात करें तो भारत की आर्थिक विकास दर इस वित्तीय वर्ष की तीसरी तिमाही में उम्मीद से कम रही है, लेकिन यह चीन से अधिक है. भारत की जीडीपी इस क्वार्टर में 4.4 फीसदी रही है, हालांकि संभावना थी कि वह 7 फीसदी तक जाएगी. भारत केवल वित्तीय वर्षों के लिए आधिकारिक आंकड़ों की रिपोर्ट करता है. इससे पता चलता है कि इस साल कुल 7 प्रतिशत की औसत वृद्धि होगी, जो चीन द्वारा रिपोर्ट किए गए 3 प्रतिशत से कहीं अधिक है.


आगे की राह


भारत के लिए फिलहाल आर्थिक और राजनीतिक मोर्चे पर माहौल ठीक है. विपक्ष की उठापटक और थोड़े-बहुत प्रदर्शनों को छोड़ दें, तो देश में आम तौर पर राजनीतिक शांति है. धरना-प्रदर्शनों से वैसे भी लोकतंत्र जीवंत रहता है. देश में राजनीतिक स्थिरता है और जब पूरी दुनिया मंदी की चपेट में है तो भारत आर्थिक मोर्चे पर बढ़िया प्रदर्शन कर रहा है. चीन और पाकिस्तान जैसे चिर शत्रुओं से घिरा देश सामरिक मोर्चे पर भी लगातार ठीक प्रदर्शन कर रहा है और मेक इन इंडिया में शस्त्रास्त्र निर्माण से लेकर नए दोस्त बनाने तक में जुटा है. 


दुनिया भर में भारत की साख बढ़ रही है. एससीओ से लेकर जी20 तक की अध्यक्षता भारत के पास है. अभी हाल ही में अमेरिका की अत्यंत सफल यात्रा से पीएम लौटे हैं और अब भारत-अमेरिका का अलग से जी2 भी मुमकिन लग रहा है.