एक बंदरगाह के तौर पर भी ‘मोरमुगाओ’ ने भारत के समुद्री व्यापार की ग्रोथ में अपना अहम योगदान दिया है. आज भी यह देश के सबसे पुराने, और बड़े बंदरगाहों में से एक है. इसके नाम पर आईएनएस "मोरमुगाओ" युद्धपोत भी, मैं समझता हूं अपनी खूबियों और सेवाओं के चलते अपनी विशिष्ट जगह बनाएगा, ऐसा मेरा विश्वास है... ये बातें भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आईएनएस मोरमुगाओ’ की कमीशनिंग के दौरान रविवार 18 दिसंबर को कहीं.
इस युद्धपोत की तारीफ में ये कसीदे रक्षा मंत्री सिंह ने यूं ही नहीं पढ़े. मिसाइल को नेस्तानाबूद कर देने वाला भारत में बना ये घातक युद्धपोत सबसे शक्तिशाली युद्धपोतों में से एक है. ये समुद्र में देश की ताकत का प्रतीक माना जा रहा है. भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिज़ाइन ब्यूरो निदेशालय का डिज़ाइन किया गया ये पी-15 बी (P15B) विध्वंसक नए डिजाइन, आधुनिक क्षमताओं और मारक क्षमता से लैस है. हर तरह से शानदार और जानदार इस जंगी पोत की खासियत पर यहां हम बात करेंगे.
कमिशनिंग का दिन भी ऐतिहासिक
भारतीय नौसेना के बेड़े में 18 दिसंबर को शामिल हुआ 'आईएनएस मोरमुगाओ' अपनी क्षमताओं के साथ ही हर तरह से खास है. इसे जिस दिन भारतीय नौसेना को सौंपा गया है वह दिन भी खास है. इसका नाम 'मोरमुगाओ' बंदरगाह के नाम पर पड़ा है. ये गोवा और भारतीय नौसेना के बीच समुद्री संबंधों के लिए शानदार सम्मान है. जिस दिन नौसेना के बेड़े में शामिल किए जाने के लिए इस जंगी जहाज का ट्रायल हुआ था उस दिन गोवा की आजादी के ऑपरेशन विजय 19 दिसंबर 1961 की 61 वीं वर्षगांठ थी.
गोवा की आजादी के लिए चलाया गया ऑपरेशन विजय 17 से 19 दिसंबर 1961 तक चला था. ये एक ट्राई सर्विस यानी खास सैन्य ऑपरेशन था. इसके जरिए गोवा आजाद हुआ था और भारत से उपनिवेशवाद का खात्मा हो गया था. इस तरह ये ऐतिहासिक महत्व के दिन से भी जुड़ा है. उधर दूसरी तरफ गोवा का समृद्ध इतिहास और विरासत है. साम्राज्यों का उदय और पतन गोवा में हुआ, लेकिन इसके लंबे इतिहास में, गोवा का बंदरगाह शहर और बाद में मोरमुगाओ का बंदरगाह, समय की कसौटी पर खरा उतरा है. इसने हर नई पीढ़ी के साथ अपने संबंधों को पुनर्जीवित किया है.
मोरमुगाओ अपनी भौगोलिक स्थिति और प्रायद्वीपीय भारत के सबसे शानदार प्राकृतिक बंदरगाहों में से एक होने का विशेषाधिकार इसके समृद्ध समुद्री संबंधों सहित ये एक नए युद्धपोत के लिए सटीक नाम है. देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ऐसे ही नहीं कहा, "मोरमुगाओ’ फोर्ट हो या ‘मोरमुगाओ’ पोर्ट, दोनों का ही नाम भारत के इतिहास में बड़ी विशिष्टता के साथ दर्ज़ है. बताते हैं, कि 17वीं शताब्दी में, वीर संभाजी के नेतृत्व में मराठा सेना ने ओल्ड गोवा में पुर्तगालियों पर आक्रमण किया, और उनके विरुद्ध बड़े पैमाने पर अपनी वीरता का प्रदर्शन किया."
उन्होंने आगे कहा, "INS ‘मोरमुगाओ’ की कमिशनिंग के लिए आज हम सभी जिस जगह एकत्र हुए हैं, यह ऐतिहासिक प्रदेश छत्रपति शिवाजी, संभाजी, और कान्होजी जैसे वीरों के पराक्रम का साक्षी रहा है. उनकी कर्मस्थली पर इस वॉरशिप की कमिशनिंग और भी विशिष्ट महत्व रखती है."
क्यों है समंदर की निगहबानी जरूरी?
देश के रक्षा मंत्री ने राजनाथ सिंह ने कहा, "भारत उन देशों में जिसका हित हिंद महासागर से सीधे जुड़ा हुआ है. इस क्षेत्र का एक अहम देश होने की वजह से इसकी सुरक्षा में हमारी नौसेना की भूमिका और अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है. मुझे ख़ुशी है कि भारतीय नौसेना इस उत्तरदायित्व का निर्वहन भली भांति कर रही है. आप लोग, जो हमारे समुद्री तट के साथ-साथ समुद्री क्षेत्र की भी रक्षा करते हैं, हर तरह से हमारे धन-धान्य, संपदा और सुख-समृद्धि की भी रक्षा करते हैं. आप लोग देश को न केवल दुश्मनों से बचाते हैं, बल्कि देश की सामाजिक-आर्थिक प्रगति में भी बराबर योगदान देते हैं."
देश के रक्षा मंत्री सिंह ने आगे कहा," पहले कोविड की, फिर मध्य पूर्व, अफ़ग़ानिस्तान और अब यूक्रेन के हालातों से हम सभी वाकिफ़ हैं. जाहिर है, इनका असर सीधे या परोक्ष तौर पर दुनिया के सभी देशों पर पड़ता है. इस तेज़ी से बदलती दुनिया में अपने आप को किसी भी परिस्थिति के लिए तैयार रखना हमारी सबसे बड़ी जरूरत है. इस बात पर मैंने हमेशा बल दिया है और आज भी यह बात कह रहा हूं. समय के साथ देशों के बीच आर्थिक, राजनीतिक, और व्यापारिक संबंध लगातार बदल रहे हैं. आज हमारा देश लगातार जो नई-नई उपलब्धियां हासिल कर रहा है, उसके पीछे हमारी मज़बूत सुरक्षा व्यवस्था एक अहम वजह है, और उसे बढ़ाने के लिए हम पूरी तरह तत्पर हैं. हाल ही में हमारे देश की अर्थव्यवस्था दुनिया की 5 बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो गई. और दुनिया की एक बड़ी एजेंसी का अनुमान यह बताता है, कि अगले 5 साल में यानी 2027 तक भारत दुनिया की 3 बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो जायेगा."
रक्षा मंत्री सिंह ने कहा कि दुनिया के बड़े देशों के साथ हमारे द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर साइन हो रहे हैं. यह सभी वर्तमान, और समृद्ध भविष्य के भारत की तस्वीर को हमारे सामने रखते हैं. हमारी बढ़ती अर्थव्यवस्था का सीधा अर्थ है लगातार बढ़ता हुआ व्यापार जिसमें से अधिकांश समुद्री मार्ग के जरिए से होता है. उनका कहना है कि आज हम ग्लोबलाइजेशन के दौर में रह रहे है. व्यापार के क्षेत्र में प्रायः सभी देश एक-दूसरे पर निर्भर है. ऐसे में स्थिरता, आर्थिक प्रगति और दुनिया के विकास के लिए नौ परिवहन, समुद्री लेन की नियम आधारित आजादी की रक्षा करना पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गया है.
समुद्र ने एक तरफ हमें प्राकृतिक संसाधन मुहैया कराकर हमें समृद्ध किया है, तो दूसरी ओर इसने हमें दुनिया भर से जोड़ने का भी काम किया है. हमारे देश भारत के तीन तरफ मौजूद समुद्र हमारे लिए किसी वरदान से कम नहीं है. इसकी ये जगह इसे रणनीतिक, व्यापार और संसाधन के नजरिए से अहम बनाती है. प्राचीन काल से ही समुद्र ने हमारे देश को अनेक तरह से समृद्ध करने का काम किया है. एमडीएसएल का तैयार किया गया यह युद्धपोत हमारी स्वदेशी रक्षा उत्पादन क्षमता का बड़ा उदाहरण पेश करता है. इसमें कोई संदेह नहीं रह जाता है, कि आने वाले समय में हम न केवल अपनी जरूरतों के लिए, बल्कि दुनिया भर की जरूरतों के लिए भी शिपबिल्डिंग करेंगे.
आईएनएस "मोरमुगाओ" युद्धपोत कैसे है खास
इसे भारतीय नौसेना के इन-हाउस संगठन वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो ने स्वदेशी तौर से डिज़ाइन किया और इसका निर्माण माज़गांव डॉक शिप बिल्डिंग लिमिटेड (एमडीएल), मुंबई ने किया है. ये जंगी जहाज भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट 15 बी का हिस्सा है. अक्टूबर 2013 में ये प्रोजेक्ट शुरू किया गया था. इसमें विशाखापत्तनम, मोरमुगाओ, इम्फाल और सूरत 4 जंगी जहाज बनाए जाने हैं. साल 2024 तक इन चारों जंगी जहाजों को नौसेना के जंगी जहाजों के बेड़े में शामिल किए जाने की योजना बनाई गई. इन चार में से पहला जंगी जहाज आईएनएस विशाखापट्टनम क्लास को 21 नवंबर 2021 को कमीशन किया गया था.
पूर्व रक्षा मंत्री स्वर्गीय मनोहर पर्रिकर ने सितंबर 2016 में आईएनएस मोरमुगाओ की लॉन्चिंग की थी. आईएनएस ‘विशाखापत्तनम’ युद्धपोत क्लास का यह दूसरा मिसाइल विध्वंसक भारत में निर्मित होने वाले सबसे शक्तिशाली युद्धपोतों में से एक है. यह जंगी जहाज अपनी क्षमताओं से भारतीय समुद्री सीमा को बेहतरीन तरीके से पुख्ता करेगा. बीते साल 19 दिसंबर 2021 को इसे ट्रायल के लिए समंदर में उतारा गया था.
15 बी प्रोजेक्ट का दूसरा जंगी जहाज आईएनएस "मोरमुगाओ" है जिसे 18 दिसंबर रविवार को नौसेना के बेड़े में शामिल कर लिया गया है. आईएनएस "मोरमुगाओ में दुश्मन को चकमा देने वाली खासियतों को इस जहाज की पतवार को खास आकार देने के साथ ही रडार पारदर्शी डेक फिटिंग के जरिए उभारा गया है. इस वजह से इन जहाजों का पता लगाना मुश्किल हो जाता है. महत्वपूर्ण स्वदेशी सामानों के साथ ये जहाज भारत के युद्धपोत डिजाइन और जहाज बनाने की आत्मनिर्भरता की एक सच्ची पहचान हैं और 'मेक इन इंडिया' का एक शानदार उदाहरण हैं.
ये अत्याधुनिक सेंसर पैकेज और हथियारों के साथ दुनिया के सबसे उन्नत मिसाइल कैरियर में से एक है. सेंसर के जरिए ये दुश्मन के हमले का आसानी से पता लगा सकता है. इसकी लंबाई 163 मीटर और चौड़ाई 17 मीटर तक की है. पानी में उतरने पर जहाज के डिप्लेसमेंट क्षमता से मतलब पानी का वह आयतन है जो जहाज के तैरते वक्त खिसकता (विस्थापन) है. इसके हिसाब से आईएनएस "मोरमुगाओ" की डिस्प्लेसमेंट कैपेसिटी 7,400 टन है.
इस जंगी जहाज में जमीन से हवा में मध्यम दूरी तक निशाना लगाने वाली मिसाइलें हैं तो जमीन से जमीन पर मारक क्षमता वाली ब्रह्मोस मिसाइल है. इतना ही नहीं पानी के अंदर दुश्मन की पनडुब्बियों को मार गिराने के लिए स्वदेशी टॉरपीडो ट्यूब लॉन्चर और रॉकेट लॉन्चर इसमें लगे हैं.
भारतीय नौसेना के मुताबिक ये जंगी जहाज किसी भी तरह की जंग का सामना करने के लिए पूरी तरह से मुफीद है. फिर चाहे वो परमाणु, जैविक और रासायनिक हमले वाली ही जंग क्यों न हो. दुश्मन के हमले का सही अनुमान लगाने के लिए ये मॉडर्न सर्विलांस रडार सिस्टम से लैस है. इसकी रफ्तार के लिए इसमें 4 टर्बाइन हैं. ये इतनी ताकतवर है कि इसे 30 नॉट्स यानी 55 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर चला सकती हैं.