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इजरायल चाहता है भारत के साथ रणनीतिक संबंधों को और मजबूत करना, इजरायली विदेश मंत्री ने बताया पूरक, क्या हैं इसके मायने

India Israel relations: भारत ने सितंबर, 1950 को इजरायल को मान्यता देने की घोषणा की थी. दोनों देशों के बीच जनवरी, 1992 में पूर्ण राजनयिक संबंध स्थापित हुए और एक-दूसरे देशों में दूतावास खोले गए.

Israeli FM India Visit: राजनयिक संबंध बनने के बाद से भारत का इजरायल के साथ संबंध लगातार मजबूत ही हुए हैं. दोनों देशों के बीच पूर्ण कूटनीतिक संबंधों के 30 साल 2022 में ही पूरे हो गए थे.

इजरायल, भारत के साथ दोस्ती को नया आयाम देना चाहता है. भारत के दौरे पर पहुंचे इजरायली विदेश मंत्री एली कोहेन (Eli Cohen) ने इस बात पर ज़ोर देते हुए कहा है कि समय आ गया है दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी मजबूत की जाए और इसके लिए अनेक क्षेत्रों में संबंधों को नयी गति प्रदान करने की जरूरत है. 

एली कोहेन और एस जयशंकर के बीच बातचीत

इजरायल के विदेश मंत्री एली कोहेन 9 मई को सुबह तीन दिवसीय यात्रा पर नई दिल्ली पहुंचे थे. कोहेन के साथ एक कारोबारी शिष्टमंडल भी आया  था. नयी दिल्ली पहुंचने के बाद इजरायल के विदेश मंत्री ने भारतीय समकक्ष एस जयशंकर के साथ कारोबार, निवेश, रक्षा, कृषि समेत अलग-अलग क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों को विस्तार देने के बारे में विस्तार से चर्चा की. इसके साथ ही मोबिलिटी के क्षेत्र में समझौते पर हस्ताक्षर किए गए.

संबंधों को नया आयाम देने पर चर्चा

एली कोहेन से बातचीत के बाद भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ट्वीट किया कि इजरायल के विदेश मंत्री के साथ दोपहर को सार्थक और विस्तृत चर्चा हुई. हमारे सामरिक संबंधों का मुख्य स्तंभ- कृषि, जल, रक्षा और सुरक्षा है. यह हमारे रिश्तों को आगे ले जा रहा है. एस जयशंकर ने कहा कि जल और कृषि के क्षेत्र में आज हुए नए समझौते और अधिक कार्य की क्षमता को रेखांकित करते हैं. एस जयशंकर ने जानकारी दी कि उच्च प्रौद्योगिकी, डिजिटल एवं नवाचार क्षेत्र, सम्पर्क, पर्यटन आवागमन, वित्त और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में सहयोग के बारे में चर्चा करने के साथ आई2यू2 जैसे बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग में प्रगति की समीक्षा की गई. साथ ही यूक्रेन, हिन्द प्रशांत और अपने-अपने क्षेत्रों में विचारों का आदान प्रदान किया गया.

दोनों देश एक-दूसरे के हैं पूरक

यहां पहुंचने के बाद भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) की ओर से आयोजित भारत-इजरायल कारोबारी मंच के कार्यक्रम में इजरायल के विदेश मंत्री एली कोहेन ने कहा कि भारत और इजरायल एक-दूसरे के प्रतिस्पर्धी नहीं है बल्कि एक दूसरे के पूरक हैं. इजरायल चाहता है कि भारत के साथ उसके रिश्ते और प्रगाढ़ हो.  इजरायल के विदेश मंत्री की ये यात्रा द्विपक्षीय संबंधों को विस्तार देने के लिए नए रास्ते तलाशने के लिहाज से बेहद अहम है. वहीं इस साल इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू भी भारत आने वाले हैं. इजरायली प्रधानमंत्री की यात्रा के लिए आधार तैयार करना भी एली कोहेन की यात्रा का मकसद है.

व्यापार 20 अरब डॉलर पहुंचाने का लक्ष्य

सीआईआई के कार्यक्रम में एली कोहेन ने आर्थिक पहलू पर ज़ोर देते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच व्यापार 20 अरब डॉलर को पार कर जाएगा. इजरायल भारत को पूरब से पश्चिम का द्वार मानता है और इसी बात को रेखांकित करते हुए इजरायली विदेश मंत्री ने कहा कि भारत से व्यापार सभी को फायदा पहुंचाएगा. इजरायल चाहता है कि ज्यादा से ज्यादा भारतीय छात्र वहां जाएं. इसके लिए भी एली कोहेन की यात्रा के एजेंडे में  दोनों देशों के बीच समझौता शामिल था. एली कोहेन ने साफ कहा कि दोनों देशों के बीच कई चीजों को लेकर समानता है. दोनों ही देशों में विविधतापूर्ण लोकतंत्र हैं. यहूदी और भारतीय लोग 2000 वर्षों से अधिक समय से मिलकर काम कर रहे हैं.  इसके साथ ही एली कोहेन ने भरोसा जताया कि आने वाले 2000 वर्षों तक दोनों देश मिलकर काफी ज्यादा काम कर सकते हैं.

संबंधों का सामरिक महत्व बढ़ गया है

भारत का भी मानना है कि बदलते हालात में दोनों देशों के बीच संबंधों का सामरिक महत्व काफी बढ़ गया है. इस कार्यक्रम में जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि दोनों देशों के संबंधों का आधार काफी गहरा और लम्बे इतिहास में निहित है. उन्होंने कहा कि हम भारत-इजरायल-यूएई-अमेरिका नेटवर्क के माध्यम से जल, ऊर्जा, परिवहन, अंतरिक्ष एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में संयुक्त निवेश  और नयी पहल के जरिए दुनिया की बड़ी चुनौतियों से निपटने को प्रतिबद्ध हैं. जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने माना कि भारत और इजरायल के बीच रक्षा क्षेत्र सहयोग का एक महत्वपूर्ण आयाम है और दोनों देशों ने इस क्षेत्र में काफी प्रगति की है. उन्होंने जानकारी दी कि आईआईटी रुड़की में भारत-इजरायल केंद्रीय जल प्रौद्योगिकी स्थापित करने को लेकर संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर होना है. 

बेंजामिन नेतन्याहू साल के आखिर में आएंगे भारत

इससे पहले इजरायली विदेश मंत्री एली कोहेन ने दोनों देशों के बीच पूर्ण कूटनीतिक संबंधों के 30 साल पूरा होने पर संतोष जताया था. भारत यात्रा से पहले पीटीआई को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2017 में हुई इजरायल यात्रा और उनके इजरायली समकक्ष बेंजामिन नेतन्याहू की 2018 में हुई भारत यात्रा से द्विपक्षीय संबंधों को सहयोग और समझ की नयी ऊंचाइयों पर पहुंचाने में मदद मिली है और न केवल सरकारों के बीच बल्कि जनता के बीच भी मित्रता गहरी हुई है. इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू इस साल के आखिर में भारत की यात्रा करेंगे. इस बात की जानकारी देते हुए एली कोहेन ने कहा कि बेंजामिन नेतन्याहू की यात्रा उन क्षेत्रों में संबंधों को गति प्रदान करेगी जिन पर मेरी यात्रा के दौरान बातचीत होगी और साथ ही अन्य क्षेत्रों में भी इन्हें गति मिलेगी.

रणनीतिक संबंधों को और मजबूत करने का समय

पीटीआई से एली कोहेन ने कहा कि हम निश्चित रूप से उस स्तर पर हैं जहां हम कोविड महामारी के दौरान कुछ विलंब के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों को फिर से गति प्रदान कर रहे हैं. पिछले साल हमने अपने कूटनीतिक संबंधों की स्थापना की 30वीं वर्षगांठ मनाई थी. हम इस अवधि में हासिल अनेक उपलब्धियों से बहुत संतुष्ट हैं. अब समय आगे देखने और देशों के बीच रणनीतिक संबंधों को और मजबूत करने का है.

पिछले दो महीने में इजरायल से लगातार उच्चस्तरीय टीम भारत आ रही है. इजरायल की संसद 'नेसेट' (Knesset) के अध्यक्ष अमीर ओहाना (Amir Ohana) ने मार्च के आखिर में भारत की यात्रा की थी. उसके बाद वहां के अर्थव्यवस्था मंत्री निर बरकत (Nir Barkat) अप्रैल में भारत आये थे. अब मई महीने में इजरायल के विदेश मंत्री एली कोहेन ने भारत की यात्रा की. साल के आखिर में वहां के प्रधानमंत्री भी भारत आएंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनवरी में बेंजामिन नेतन्याहू को भारत आने के लिए आमंत्रित किया था. इन यात्राओं से जाहिर है कि इजरायल अब भारत के साथ संबंधों को नए स्तर पर ले जाना चाहता है. एली कोहेन ने अपनी यात्रा को आर्थिक और सांस्कृतिक मुद्दों को बढ़ावा देने का एक मौका बताया.

इजरायल तकनीक और इनोवेशन में अव्वल देश

हम सब जानते हैं कि इजरायल छोटा देश होते हुए भी तकनीक और इनोवेशन में दुनिया के शीर्ष देशों में शामिल है. भारत में भी इनोवेशन को काफी महत्व दिया जा रहा है. इसके महत्व को समझते हुए इजरायल चाहता है कि इनोवेशन के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच में सहयोग बढ़े. इजरायली विदेश मंत्री ने कहा है कि इजरायल और भारत के बीच इनोवेशन के क्षेत्र में वृद्धि की अपार क्षमता है. द्विपक्षीय स्तर पर और आई2यू2 जैसे बहुपक्षीय मंचों पर स्वच्छता प्रौद्योगिकियों और अक्षय ऊर्जा पर सहयोग की भी काफी क्षमता है.

इजरायल ने उत्कृष्टता केंद्र खोलकर भारत के कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और दिल्ली में पिछले दिनों अपने मिशन में एक विशेष 'जल अटाचे' की नियुक्ति की है. दोनों देश द्विपक्षीय सहयोग से परे आई2यू2 समूह में संयुक्त अरब अमीरात और अमेरिका के साथ भी काम कर रहे हैं. इजरायल के विदेश मंत्री का मानना है कि भारत ने इस महत्वपूर्ण मंच पर विशेष योगदान दिया है जो क्षेत्र में शांति और स्थिरता का समर्थन करता है. 

इजरायल, भारत और यूएई के बीच सहयोग

आई2यू2 क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए केंद्रीय मंच है और इजरायल का मानना है कि अंतरिक्ष, खाद्य सुरक्षा, जल प्रबंधन तथा शोधन के साथ ही कृषि के क्षेत्रों में इजरायल और भारत का साझा ज्ञान आई2यू2 की अनेक परियोजनाओं को आगे बढ़ा सकता है. एली कोहेन का कहना है कि इजरायल, भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच संपर्क एशिया और यूरोप को जोड़ता है और इजरायल-भारत के बीच संबंधों को मजबूत करने का अवसर देता है.  एक तरह से ये सभी साझेदारों की अर्थव्यवस्था को लाभ पहुंचाता है.

लंबित मुक्त व्यापार समझौते पर जल्द हल

भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था को लेकर भी इजरायल काफी सकारात्मक है. एली कोहेन का मानना है कि जैसा कि अनुमान है कि भारत आने वाले समय में दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से तीसरे स्थान पर पहुंच सकता है और इसलिए इजरायल दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को ज्यादा महत्व दे रहा है. यहीं वजह कि दोनों देश चाहते हैं कि लंबित मुक्त व्यापार समझौते पर चर्चा के जरिए जल्द से हल निकाला जा सके. इस साल इजरायली प्रधानमंत्री के भारत दौरे को देखते हुए ये काफी महत्वपूर्ण है.

कोहेन की भारत यात्रा की अवधि में कटौती

ऐसे तो इजरायल के विदेश मंत्री तीन दिवसीय दौरे पर भारत आए थे, लेकिन इजरायल में मौजूदा सुरक्षा हालात को देखते हुए उनकी यात्रा की अवधि में कटौती करने का फैसला किया गया. इजरायल की सेना ने 9 मई को तड़के गाजा पट्टी में 'इस्लामिक जिहाद'  संगठन के ठिकानों पर हमले किए. इस हमले में आतंकी समूह के तीन वरिष्ठ कमांडर सहित 12 फलस्तीनी मारे गए हैं.  इजरायल के विदेश मंत्रालय की ओर से जानकारी दी गई कि इजरायल में मौजूदा सुरक्षा स्थिति को देखते हुए 9 मई को ही नयी दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भेंट करने के बाद कोहेन तेल अबीब लौट जाएंगे.

पिछले कुछ वर्षों में भारत और इजरायल के बीच संबंधों में काफी मजबूती आई है. इसमें रक्षा, कृषि, जल प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में सहयोग ख़ासतौर से ज्यादा बढ़ा है. इस साल जनवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से टेलीफोन पर द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की थी, इस दौरान दोनों देशों ने द्विपक्षीय सामरिक सहयोग को ज्यादा प्रगाढ़ बनाने पर सहमति जताई थी. प्रधानमंत्री मोदी ने नेतन्याहू को भारत आने का न्योता भी दिया था.

दोनों देशों के बीच पूर्ण राजनयिक संबंध के 30 साल

भारत ने 17 सितंबर, 1950 को इजरायल को देश के तौर पर मान्यता देने की घोषणा की थी.  इसके तुरंत बाद, यहूदी एजेंसी ने बॉम्बे में एक आव्रजन कार्यालय (immigration office) की स्थापना की.  इसे बाद में व्यापार कार्यालय और फिर वाणिज्य दूतावास में बदल दिया गया. दोनों देशों के बीच 29 जनवरी, 1992 को पूर्ण राजनयिक संबंध स्थापित हुए और दोनों देशों में एक-दूसरे के दूतावास खोले गए.

राजनयिक संबंध स्थापित होने के बाद रक्षा और कृषि द्विपक्षीय संबंधों के मुख्य स्तंभ बने. हाल के वर्षों में दूसरे क्षेत्रों में भी तेजी से सहयोग बढ़ा है. भारत-इजरायल के बीच का संबंध दो ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्थाओं के बीच का संबंध है, जो अब हाईटेक साझेदारी में बदल गई है. भारत और इजरायल के पास जल, कृषि, आतंकवाद का मुकाबला और रक्षा समेत सभी क्षेत्रों में सहयोग के लिए द्विपक्षीय परामर्श तंत्र है. खासतौर से रक्षा इजरायल के साथ सहयोग की प्राथमिकता रही है. नवंबर 2021 में दोहरे उपयोग वाली तकनीकों के विकास के लिए दोनों देशों के स्टार्टअप और एमएसएमई में नवाचार को बढ़ावा देने और अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने के लिए एक द्विपक्षीय नवाचार समझौते  पर हस्ताक्षर किए थे.

भारत और इजरायल ने इनोवेशन और स्टार्टअप जैसे क्षेत्रों में साझेदारी बढ़ाने और गहन द्विपक्षीय सहयोग के एक नए चरण की शुरुआत करने का फैसला किया है. इस महीने दो मई को ही दोनों देशों ने भारत और इजरायल ने औद्योगिक अनुसंधान और विकास सहयोग पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे. इसके तहत एयरोस्पेस, इलेक्ट्रॉनिक्स इंस्ट्रूमेंटेशन, सिविल, इंफ्रास्ट्रक्चर और इंजीनियरिंग, इकोसिस्टम, पर्यावरण, पृथ्वी और महासागर विज्ञान और जल, खनन, खनिज, धातु और सामग्री, रसायन और पेट्रोकेमिकल्स, ऊर्जा (पारंपरिक और गैर-पारंपरिक) और ऊर्जा उपकरण, कृषि, पोषण और बायोटेक और हेल्थकेयर जैसे प्रौद्योगिकी से जुड़े क्षेत्रों पर सहयोग बढ़ाया जाएगा. हेल्थकेयर में संयुक्त गतिविधियां पहले ही शुरू हो चुकी हैं. दोनों देश एयरोस्पेस, क्वांटम टेक्नोलॉजी, लेजर, ग्रीन हाइड्रोजन, इंस्ट्रुमेंटेशन जैसे अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए सहयोग से जुड़ी योजनाओं पर काम कर रहे हैं.

भारत-इजरायल के बीच बढ़ता द्विपक्षीय व्यापार

एशिया में इजरायल का तीसरा सबसे बड़ा व्यापार साझेदार भारत है. वहीं वैश्विक स्तर पर भारत, इजरायल का सातवां सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है. 1992 में द्विपक्षीय व्यापार द्विपक्षीय व्यापार 200 मिलियन डॉलर था, जो बढ़कर 2021-22 में बढ़कर 7.86 अरब डॉलर पहुंच गया. इसमें रक्षा से जुड़े आंकड़े शामिल नहीं हैं. भविष्य में इसके 20 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है. इजरायल के साथ आर्थिक संबंधों में व्यापार संतुलन भारत के पक्ष में है. इसका मतलब है कि हम इजरायल से आयात से ज्यादा निर्यात करते हैं. इजरायल के साथ व्यापार में हीरा और केमिकल प्रमुख वस्तुएं हैं. इजरायल की करीब 300 कंपनियों का भारत में निवेश है.

भारत और इजरायल के बीच सामरिक संबंध है. दोनों देशों के बीच एक मुक्त व्यापार समझौता पर बातचीत जारी है. इसके होने से सहयोग को और बढ़ावा मिलेगा. ऐसी उम्मीद है कि इस साल तक ये समझौता हो जाएगा. इससे दोनों देशों के बीच सहयोग के नए क्षेत्रों को विस्तार मिलेगा.

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