भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अंतरिक्ष की दुनिया में एक और नया कीर्तिमान स्थापित किया है. इसरो ने रविवार को श्रीहरिकोटा सतीश धवन अंतरिक्ष स्टेशन से 36 उपग्रहों को ले जाने वाला भारत का सबसे बड़ा LVM3 रॉकेट को लॉन्च कर दिया. इसरो ने ब्रिटेन के वनवेब के लिए 36 उपग्रहों के इस दूसरे बैच का अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया है. यह कंपनी की फर्स्ट जेनरेशन के लोअर अर्थ ऑर्बिट (LEO) तारामंडल समूह को भी पूरा करेगा, जिससे कंपनी 2023 में वैश्विक कवरेज शुरू कर सकेगी. इसरो के कमर्शियल सैटेलाइट लॉन्चिंग के क्षेत्र में इससे उसकी सफलता को और मजबूती मिलेगी.


पिछले एक दशक में इसरो ने कई ऐसे मुकाम हासिल किया है, जिससे कि दुनिया के विकसित देश भी अपने उपग्रहों की सफलतापूर्वक लॉन्चिंग के लिए भारत के साथ साझेदारी करने को तैयार हुए. उन देशों में फ्रांस, आस्ट्रेलिया, जापान और यूएस भी शामिल हैं. इसरो की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह दुनिया भर के अन्य देशों के अंतरिक्ष परियोजनाओं की तुलना में सस्ती कीमत पर सैटेलाइट की लॉन्चिंग करता है. इसरो खर्च में गुणवत्तापूर्ण और विश्वस्त प्रक्षेपण के लिए दुनिया भर में जाना जाता है.


16 फरवरी को ये 36 सैटेलाइट लॉन्च के लिए अमेरिका से भारत लाए गए थे. 15 मार्च को इन उपग्रहों को एनकैप्सूलेट किया गया था. इस संचार उपग्रहों को इसरो के प्रक्षेपण यान मार्क-III (एलवीएम3) ले प्रक्षेपित किया गया है. इससे पहले 2023 के अक्टूबर में इसरो ने श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से वनवेब के पहले 36 उपग्रहों के सेट को भी सफलतापूर्वक लॉन्च किया था जिससे कि वैश्विक वाणिज्यिक लॉन्च सेवा बाजार में रॉकेट की एंट्री हुई थी. उसके एक हफ्ते के बाद ही इसरो ने तमिलनाडु के महेंद्रगिरि में हाई एल्टीट्यूट परीक्षण किया था जिसमें उड़ान भरने के लिए CE-20 इंजन का इस्तेमाल किया गया था. इस परीक्षण में उपग्रहों के इस दूसरे बैच को लोअर अर्थ ऑर्बिट में सफलतापूर्वक प्रक्षेपण को लेकर 25 सेकंड के लिए किया गया था. अपने पहले 36 सेटेलाइट की लॉन्चिंग के बाद, ब्रिटिश वनवेब ने कहा था कि (न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड ) NSIL और ISRO के साथ उसकी साझेदारी ने 2023 तक भारत में कनेक्टिविटी प्रदान करने की अपनी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया है. यह न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड द्वारा अपने ग्राहक, नेटवर्क एक्सेस एसोसिएट्स लिमिटेड (वनवेब), यूके के लिए अंतरिक्ष विभाग के तहत किया गया दूसरा वाणिज्यिक उपग्रह मिशन है.


क्या है LVM3 रॉकेट की खासियत


इसरो का LVM3 रॉकेट चार टन वर्ग के उपग्रहों को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में लॉन्च करने में सक्षम है. यह तीन स्तरीय व्हीकल है जिसमें दो सॉलिड मोटर स्ट्रैपन, एक लिक्विड प्रोप्लेंट कोर स्टेज और एक क्रायोजेनिक स्टेज वाला वाला वाहक है. यह वनवेब के उपग्रहों को पृथ्वी की सतह से 1,200 किलोमीटर तक की ऊंचाई पर लोअर अर्थ ऑर्बिट की कक्षा में स्थापित करने में सक्षम है. LVM3 रॉकेट ने चंद्रयान-2 सहित अपनी लगातार छठी सफल उड़ान भरने में सक्षम रहा है. इस बार 5,805 किलोग्राम पेलोड को लो अर्थ ऑर्बिट में पहुंचाया है. पहले इसका नाम GSLV मार्क- 3 था. LVM3 की कुल लंबाई 43.5 मीटर है और इसका वजन 644 टन है. यह अपने साथ 8 हजार किलो यानी 8 टन तक पेलोड ले जाने में सक्षम है.


वनवेब लिमिटेड एक ग्लोबल कम्युनिकेशन नेटवर्क है


यह मिशन यूके और भारतीय अंतरिक्ष उद्योगों के बीच बढ़ते सहयोग को दिखाता है. भारत की तरफ से भारती एंटरप्राइजेज वनवेब में एक प्रमुख निवेशक और शेयरधारक है. ब्रिटिश अंतरिक्ष वनबेव कंपनी का कहना है कि यह सैटेलाइट पूरे भारत में, वनवेब न केवल उद्यमों के लिए बल्कि कस्बों, गांवों, नगर पालिकाओं और स्कूलों के लिए भी सुरक्षित समाधान ढूंढनें में मददगार है और देश भर के सबसे कठिन पहुंच वाले क्षेत्रों के लिए भी मददगार साबित होगा. बता दें कि वनवेब लिमिटेड एक ग्लोबल कम्युनिकेशन नेटवर्क है, जिसका उद्देश्य सरकारों और व्यवसायों को इंटरनेट कनेक्टिविटी की सुविधा देना है.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में कहा था कि हम अंतरिक्ष की दुनिया में खुद को अत्यधिक शक्तिशाली बनाने को लेकर कृत संकल्पित हैं. उन्होंने इसे आगे बढ़ाते हुए अहमदाबाद में भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe) के मुख्यालय का उद्घाटन किया था. IN-SPACe का  उद्देश्य अंतरिक्ष की दुनिया में नई तकनीक और रिसर्च को बढ़ावा देना है और भारत की एक अलग छवि तैयार करना है.