भारत के जवान मौसम की बिना परवाह किए जवान साल भर और 24 घंटे सीमा पर तैनात रहते हैं. ताकि दुश्मन देश की ओर से कोई देश को खतरा ना हो सके. सीमा पर तैनात जवानों के लिए सरकार ने भी काफी मदद और व्यवस्था की है. इसी क्रम में अब डीएमएसआरडीई, कानपुर ने बीआईएस के उच्चतम खतरे स्तर 6 के खिलाफ सुरक्षा के लिए स्वदेशी हल्के वजन वाले बुलेट प्रूफ जैकेट (बीपीजे) को सफलतापूर्वक विकसित किया है. यह मोनोलिथिक सिरेमिक में अपनी तरह का पहला बुलेट प्रुफ जैकेट है, जो 6 7.62 x 54 एपीआई गोलियों को रोक सकता है. ये जैकेट जवानों को उपलब्ध होने के बाद वे गलत मंसूबे से आए आतंकियों की गोलियां का शिकार नहीं हो पाएंगे. ये हल्के वजन वाले बुलेट प्रूफ जैकेट जवान के लिए एक सुरक्षा कवच बनकर खड़े हो जाएंगे. डीआरडीओ ने उच्चतम खतरे के स्तर से सुरक्षा के लिए इस सबसे हल्की बुलेटप्रूफ जैकेट को काफी सराहा है.


जैकेट से बचेगी जान 


अगर जवानों के लिए ये जैकेट उपलब्ध हो पाता है तो जवानों के लिए बड़ी मदद होगी. आतंकियों के वार से बचने के साथ साथ सर्च ऑपरेशन में भी ये जैकेट एक महत्वपूर्ण साबित हो सकती है. हल्के वजन वाले बुलेट प्रूफ जैकेट  जवानों को और अधिक सुरक्षित बनाएंगे. ये जैकेट बुलेट्स और गोलियों से जवानों को सुरक्षित रखने के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किये गए हैं. इस नई जैकेट का मुख्य फीचर है उसका हल्का वजन और बुलेटप्रूफ होना. यह जैकेट जवानों को सुरक्षित रखने के साथ-साथ, उन्हें मुकाबले के समय में अधिक लचीलापन भी प्रदान करेगा.


इस सुरक्षा कवच के निर्माण में खास ध्यान दिया गया है कि ये जैकेट जवानों को किसी भी तरह की असुविधा के बिना सुरक्षा देगा. इसके अलावा, यह जैकेट बड़ी ही आसानी से पहना जा सकेगा. ये नया सुरक्षा कवच जवानों की मोटिवेशन को भी बढ़ाएगा और उन्हें आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने में और अधिक उत्साहित करेगा. ये जैकेट उनको एक अत्यधिक प्रभावी तरीके से सुरक्षित रखेगा, जिससे उनका युद्ध करने का साहस और उत्साह भी बढ़ेगा. उनके मन से भय भी काफी कम होगा. जवान खुद को और भी अधिक समर्थ और विश्वसनीय महसूस होगा.



जैकेट की खासियत 


उच्चतम खतरे के स्तर 6 से सुरक्षा के लिए देश में सबसे हल्की बुलेटप्रूफ जैकेट सफलतापूर्वक विकसित की गई है. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक  ये जैकेट एक नए डिजाइन दृष्टिकोण पर आधारित है जहां नई प्रक्रियाओं के साथ नवीनतम सामग्री का उपयोग इसमें किया गया है. डीआरडीओ के रक्षा सामग्री और भंडार अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान यानी की डीएमएसआरडीई. कानपुर ने 7.62 x 54 आर एपीआई (बीआईएस 17051 के स्तर 6) गोला-बारूद के खिलाफ सुरक्षा के लिए भारत देश का सबसे हल्का बुलेटप्रूफ जैकेट सफलतापूर्वक विकसित किया है.


अभी हाल ही में, इस बुलेटप्रूफ जैकेट का बीआईएस 17051-2018 के अनुसार टीबीआरएल, चंडीगढ़ में सफलतापूर्वक परीक्षण भी  किया गया है. इस जैकेट का फ्रंट हार्ड आर्मर पैनल (एचएपी) आईसीडब्ल्यू (इन-कंजक्शन) और स्टैंडअलोन डिज़ाइन दोनों में 7.62×54 आर एपीआई (स्नाइपर राउंड) के कई हिट (छह शॉट) को हरा देता है. डीएमएसआरडीई की ओर से एर्गोनॉमिक रूप से डिज़ाइन किया गया फ्रंट एचएपी पॉलिमर बैकिंग के साथ एक मोनोलिथिक सिरेमिक प्लेट से बना है जो ऑपरेशन के दौरान पहनने की क्षमता और आराम को बढ़ाता है. आईसीडब्ल्यू हार्ड आर्मर पैनल (एचएपी) और स्टैंडअलोन एचएपी का क्षेत्रफल घनत्व क्रमशः 40 किग्रा/एम2 और 43 किग्रा/एम2 से भी कम है.


सेना हो रही मजबूत  


भारत की सेना दिन प्रतिदिन मजबूत होती जा रही है. बुलेट प्रुफ जैकेट के साथ साथ मार्च से लेकर अप्रैल माह तक डीआरडीओ ने ऐतिहासिक कदम बढ़ाते हुए तीन से चार मिसाइलों का भी परीक्षण किया है. हाल में लड़ाकू हेलिकाप्टर आदि भी सेना में शामिल किए गए है. दुनिया भर में मजबूत सेना में भारत चौथा स्थान रखता है. अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत की सैन्य व्यवस्था आती है. लगातार सैन्य रक्षा प्रणाली की मजबूती होने के कारण आगामी कुछ सालों में भारत चीन को भी पीछे छोड़ सकता है. थल और वायु  के साथ साथ भारत की सेना जल में भी काफी सशक्त हो गई है.


पिछले कई सालों में भारत ने अपनी रक्षा प्रणाली को काफी मजबूत किया है.  भारत ने अग्नि-प्राइम मिसाइल का परीक्षण किया, जो लक्ष्य पर दूर से भी निशाना लगा सकती है. हाल में ही परीक्षण के बाद भारतीय सेना में बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-प्राइम को शामिल किया गया है. देश में रक्षा प्रणाली को मजबूत करने में डीआरडीओ काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.  कई देशों से भारत ने खतरनाक मिसाइलें और परमाणु हथियार खरीद कर खुद को काफी मजबूत किया हैं. भारत अपने यहां भी मेक इन इंडिया के मदद से रक्षा जरूरतों के कई उपकरण और हथियार भी खुद बना रहा है. अपाचे हेलिकाॅप्टर से लेकर कई मिसाइल इसका एक प्रमाण है.