बुनियादी ढांचे, तस्करी और समन्वित सीमा पार प्रबंधन... भारत-भूटान के बीच 5वीं जेसीसी बैठक में बनी कई सहमति
5वीं जेजीसी बैठक में दोनों देशों के बीच सहयोग को और बढ़ाने के लिए द्विपक्षीय मुद्दों पर कई बातों को लेकर विस्तृत चर्चा की गई.भारत और भूटान दोनों देश नए पहलुओं की खोज करने पर भी सहमत हुए है
भारत और भूटान के बीच आगामी कई महत्वपूर्ण कार्य होने वाले है. हाल में ही लेह लद्दाख में भारत और भूटान के बीच 5वीं संयुक्त सीमा शुल्क समूह यानी की जेजीसी की बैठक हुई. 5वीं जेजीसी बैठक में दोनों देशों के बीच सहयोग को और बढ़ाने के लिए द्विपक्षीय मुद्दों पर कई बातों को लेकर विस्तृत चर्चा की गई.भारत और भूटान दोनों देश नए पहलुओं की खोज करने पर भी सहमत हुए है. जिन्हें पारस्परिक लाभ के लिए अधिकतम किया जा सकता है. बैठक की सह-अध्यक्षता भारत सरकार के केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड के विशेष सचिव और सदस्य रजीत भुजबल और वित्त मंत्रालय के राजस्व और सीमा शुल्क विभाग के महानिदेशक सोनम जामत्शो की देखरेख में हुई.
5वीं जेजीसी बैठक में कई द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा हुई. जिसमें नए भूमि सीमा शुल्क स्टेशन खोलना और नए व्यापार मार्गों को अधिसूचित करना, बुनियादी ढांचे का विकास, पारगमन प्रक्रियाओं का स्वचालन और डिजिटलीकरण, तस्करी की रोकथाम, समन्वित सीमा पार प्रबंधन, आगमन पूर्व विनिमय सीमा शुल्क डेटा, सीमा शुल्क सहयोग पर द्विपक्षीय समझौता और इलेक्ट्रॉनिक कार्गो प्रणाली के तहत पारगमन कार्गो की आवाजाही पर बातचीत हुई. कई मुद्दों पर दोनों देशों ने सहमति जताई है.
दोनों देशों के कई मुद्दों पर चर्चा
भूटान ने भारत सरकार और विशेष रूप से केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड की काफी सराहना की है.जिसकी वजह कार्यशालाओं,सेमिनारों और भूटान सीमा शुल्क प्रशासन को आईआरएस कार्यक्रम सहित विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से क्षमता निर्माण, प्रशिक्षण और कौशल विकास प्रदान करने में निरंतर समर्थन करना है. इसके साथ ही भूटान ने विभिन्न द्विपक्षीय समझौतों के माध्यम से भूटान के साथ सीमा पार व्यापार और आर्थिक गतिविधियों को शुरू करने और बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार की कार्यों की भी सराहना की है.
भारत-भूटान संयुक्त सीमा शुल्क समूह की बैठकें सीमा शुल्क प्रक्रियाओं को फिर से परिभाषित करने और फिर से इंजीनियरिंग करने, सीमा शुल्क सहयोग को बढ़ावा देने और वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप सीमा पार व्यापार की सुविधा से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए सालाना इसे आयोजित की जाती है. इस प्रकार की बैठकें भूमि सीमाओं पर सुचारू सीमा शुल्क निकासी के लिए कनेक्टिविटी बढ़ाने और व्यापार बुनियादी ढांचे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. पश्चिम बंगाल (6) और असम (4) राज्यों में भारत-भुटान सीमा पर 10 भूमि सीमा शुल्क स्टेशन हैं.
भारत की शुरु से रही है नेबरहुड फर्स्ट की नीति
भारत आयात स्रोत और निर्यात गंतव्य दोनों के रूप में भूटान का शीर्ष व्यापार का बड़ा भागीदार है. 2014 के बाद से, भूटान के साथ भारत का व्यापार 2014-15 में 484 मिलियन डॉलर से तीन गुना बढ़कर 2022-23 में 1,615 मिलियन डॉलर हो गया है, जो भूटान के कुल व्यापार का लगभग 80 प्रतिशत है. भूमि सीमा शुल्क स्टेशनों के माध्यम से भूटान के साथ व्यापार महत्वपूर्ण है क्योंकि भूटान एक भूमि से घिरा हुआ देश है. भूटान के साथ कनेक्टिविटी बढ़ाना भारत की ' नेबरहुड फर्स्ट ' और ' एक्ट ईस्ट ' नीति के लिए महत्वपूर्ण है.
बैठक दोनों देश के आशावादी रुख के साथ संपन्न हुई. भारत और भूटान दोनों देश के बीच पूरकता के नए पहलुओं की खोज करने पर सहमत हुए है, जिन्हें पारस्परिक लाभ के लिए अधिकतम किया जा सकता है. युवाओं की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं का जवाब दिया जा सकता है और नई प्रौद्योगिकियों और सामाजिक नवाचारों से संबंधित तेजी से बदलावों को अपनाया जा सकता है. दोनों पक्ष आपसी समृद्धि के लिए सीमा शुल्क और व्यापार सहयोग को सुविधाजनक बनाने के लिए नए विकास पर विचार करने पर भी सहमत हुए है.
भारत और भूटान के रहे हैं अच्छे रिश्ते
भारत और भूटान के द्विपक्षीय सम्बन्ध परम्परागत रूप से बड़े मधुर शुरु से ही रहे हैं तथा इन दोनों देशों के बीच एक विशेष संबंध रहा हैं. भूटान एक पर्वतीय देश है और घाटियों में बसा हुआ है. भारत ने भूटान की काफी मदद भी किया है. कोरोना और अन्य समय में भूटान ने भी भारत की मदद किया है. भारत और भूटान के रिश्ते बहुत गहरे और सांस्कृतिक आधारित रही हैं. भारत और भूटान दोनों देश एक-दूसरे के पड़ोसी हैं और इतिहास में लम्बे समय से एक-दूसरे के साथ मजबूत संबंध भी रखते हैं. भारत और भूटान के बीच संबंधों की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका आर्थिक सहायता और रक्षा में भी होती है.
भारत ने भूटान को विभिन्न क्षेत्रों में आर्थिक सहायता प्रदान करी है, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, अनुसंधान और इंफ्रास्ट्रक्चर की विकास सहित विभिन्न क्षेत्रों में योजनाएँ भी शामिल हैं. इसके अलावा,भारत ने भूटान की रक्षा में भी सक्रिय भूमिका हमेशा से निभाई है .सांस्कृतिक दृष्टि से भी, भारत और भूटान के बीच गहरा संबंध है. दोनों देशों के बीच कई सांस्कृतिक परंपराओं और लोक गाथाओं के संबंध हैं.
भूटान का धर्म बौद्ध धर्म है,जो कि भारत के धार्मिक और दार्शनिक परंपराओं के साथ मिलता-जुलता है. इसके अलावा, भारत और भूटान के बीच लोगों की आंतरिक यातायात और व्यापारिक संबंध भी मजबूत हैं. दोनों देशों के बीच सीमा पर कई यातायात केंद्र हैं, जो दोनों देशों के लोगों के बीच व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा देते हैं. समग्र रूप से, भारत और भूटान के बीच संबंध दोनों देशों के लाभ के लिए महत्वपूर्ण हैं और इसे निरंतर मजबूत करने की आवश्यकता है.