मेट्रो ने बदल दी है भारत के कई शहरों में यातायात की दुनिया, प्रदूषण के साथ नागरिक परिवहन की हुई कायापलट
मेट्रो ने निस्संदेह भारत के महानगरों का ही नहीं, जो टीयर-टू के नगर कहे जाते हैं, उनका भी यातायात का परिदृश्य बदल दिया है. प्रदूषण रहित, सस्ती और सार्वजनिक परिवहन की सुविधा नागरिकों को लुभा रही है
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भारत के कई राज्यों में मेट्रो ने यातायात की पूरी दुनिया और विचार की ही कायालट कर दी है. दिल्ली में जब नयी सहस्राब्दी की दस्तक के साथ ही उसके शुरुआती वर्षों में मेट्रों ट्रेन की शुरुआत 8 किमी के लंबे लाइन से शुरू हुई, तो खुद दिल्ली वालों ने भी शायद ही सोचा होगा कि यह उनकी पूरी दुनिया को ही बदल कर रख देगा. दिल्ली का मेट्रो नेटवर्क अब कुल मिलाकर लगभग 500 किलोमीटर का होने वाला है और यह वहां के नागरिकों के लिए सबसे उत्तम यातायात की सुविधा बन चुकी है. भारत में कुल 15 जगहों पर मेट्रो काम कर रही है जिन्हें अलग-अलग नाम से जाना जाता है. मेट्रो हमारे सफर को आसान और सस्ता बनाता है. भारत में सबसे अधिक मेट्रो रेल उत्तर प्रदेश के शहरों में चलायी जाती है और इसके कई शहरों में मेट्रो रेल परियोजना पर काम भी किया जा रहा है, यानी बहुत जल्द कई और शहर भी मेट्रो के मैप पर होंगे. मेट्रो चलाने से न केवल पब्लिक ट्रांसपोर्ट का खर्चा कम हुआ है, पेट्रोल और डीजल के खपत को कम करने पर भी काम किया गया है, प्रदूषण को भी कम करने का यह एक धारदार तरीका है.
देश में सबसे पहली मेट्रो परियोजना
देश में सबसे पहली मेट्रो रेल परियोजना की शुरुआत कोलकाता में की गई थी. 1971 में महानगर परिवहन परियोजना के तहत मास्टर प्लान को तैयार किया गया था और उसी के अनुसार योजना बनाई गई थी. 1971 में योजना बनने के बाद के बाद मेट्रो सुविधा देने के लिए 24 अक्टूबर 1984 को इसकी शुरुआत की गई थी. उस समय भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा कोलकाता में बने पहले मेट्रो का उद्घाटन किया गया था. कोलकाता में अभी 47 किलोमीटर पर मेट्रो ट्रेन चल रही है और 144 किलोमीटर पर काम शुरू किया जाना अभी भी बाकी है. कोलकाता के बाद दिल्ली में मेट्रो की शुरूआत की गई थी. दिल्ली में पहली मेट्रो 25 दिसंबर 2002 में शाहदरा से तीस हजारी के बीच चलाई गई थी. जब दिल्ली मेट्रो की शुरुआत की गई थी तब पांच मेट्रो लाइनें थीं और आज दिल्ली में कुल बारह लाइनें हैं और अभी सिल्वर लाइन पर कार्य किया जा रहा है. सबसे पहले रेड लाइन पर मेट्रो का परिचालन शुरू किया गया था. दिल्ली में आज के समय में 286 स्टेशनों पर मेट्रो को चलाया जा रहा है. दिल्ली का कुल मेट्रो रेलवे नेटवर्क 472 किलोमीटर है, जिसमें 348 किलोमीटर का क्षेत्र फिलहाल उपयोग में है और बाकी का बन रहा है या बनने वाला है.
बेंगलुरू से मुंबई तक मेट्रो के जलवे
दिल्ली के बाद बेंगलुरू में 20 अक्टूबर 2011 को मेट्रो का परिचालन शुरू किया गया था, जिसे नम्मा मेट्रो के नाम से जाना जाता है. मेट्रो एमजी रोड से बैयप्पनहल्ली स्टेशन के बीच चलाई गयी थी. बेंगलुरू में मेट्रो परियोजना का काम निर्माण कार्य 2006 में शुरू किया गया था. मेट्रो का काम 2010 तक पूरा किया जाना था लेकिन ऐसा नहीं हो सका, जिसकी वजह से चार बार बजट बढ़ाया गया, जिसके बाद फेज-1 के लिए कुल 14,405 करोड़ रूपए खर्च किया गया था, वहीं फेज-2 के लिए 26,405 करोड़ रुपए खर्च हुए. मुम्बई में 6 जून को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के द्वारा मेट्रो की नींव रखी रई थी. इसका निर्माण कार्य फरवरी 2008 में शुरू किया गया था. 8 जून 2014 को पहली बार मु्ंबई मे मेट्रो का परिचालन शुरू हुआ. वर्सोवा-अंधेरी-घाटकोपर के बीच 11.40 किलोमीटर तक मेट्रो रेलवे ट्रैक बनाया गया और उस पर परिचालन शुरू हुआ.
चेन्नई, भोपाल और पटना तक मेट्रो की शुरुआत
चेन्नई में मेट्रो की शुरूआत 2015 में की गई थी. भारत सरकार द्वारा चेन्नई में मेट्रो परियोजना के लिए 29 जनवरी 2009 को स्वीकृति दी गई थी. फेज-1 के निर्माण कार्य में कुल 14,000 करोड़ रूपए का खर्च आया था. चेन्नई में मेट्रो रेल सेवा के फेज-2 के लिए करीब 88,897 करोड़ रूपए का खर्च है. चेन्नई के बाद कोच्चि में मेट्रो की शुरुआत 17 जून 2017 में की गई थी, जिसके लिए कुल 5,180 करोड़ का बजट रखा गया था. कोच्चि के बाद जयपुर में 2015 में मेट्रो की शुरुआत की गई थी. जिसका निर्माण कार्य 13 नवंबर 2010 से शुरू किया गया था. जयपुर में फेज-1 का खर्च 3,149 करोड़ रखा गया था. जयपुर के बाद लखनऊ में 6 सितंबर 2017 में मेट्रो की शुरूआत की गई थी, जिसके निर्माण में कुल 6,880 करोड़ का खर्च आया था. इसका निर्माण कार्य की शुरूआत 27 सितंबर 2014 में की गई थी. लखनऊ के बाद हैदराबाद में 28 नवंबर 2017 को मेट्रो की शुरुआत की गई थी, जिसका निर्माण कार्य 2012 में शुरू किया गया था. गुजरात के अहमदाबाद में मेट्रो अहमदाबाद और गुजरात में चलती है. यहां 2 लाइन और 31 स्टेशन बनाया गया है. इसके अलावा मध्य प्रदेश के भोपाल और इंदौर, बिहार के पटना में भी मेट्रो रेल का निर्माण कार्य चल रहा है.
मेट्रो ने निस्संदेह भारत के महानगरों का ही नहीं, जो टीयर-टू के नगर कहे जाते हैं, उनका भी यातायात का परिदृश्य बदल दिया है. प्रदूषण रहित, सस्ती और सार्वजनिक परिवहन की इतनी अच्छी सुविधा भारत में नागरिकों को लुभा रही है और अधिक से अधिक शहरों में उनको एक से दूसरी जगह पहुंचाने का काम कर रही है.
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