रेलवे विद्युतीकरण परिवहन का एक स्थायी और कुशल तरीका प्रदान करता है. यह पर्यावरण प्रदूषण और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को भी कम करता है. भारत की आजादी से लेकर 2014 तक केवल 21,413 किलोमीटर रेलवे मार्गों का विद्युतीकरण किया गया था. हालांकि, पिछले 9 वर्षों में, भारत में रेलवे ने तेज रफ्तार से विद्युतीकरण का कार्य किया है.
अगर हम पिछले नौ वर्षों के आंकड़ों को देखें तो उसमें रिकॉर्ड तोड़ 37,011 रूट किलोमीटर (RKMs) पटरियों का विद्युतीकरण किया गया है. इसके साथ ही अब तक कुल 58,424 आरकेएम का विद्युतीकरण किया जा चुका है, जोकि भारतीय रेलवे का 90% है.
यह एक उल्लेखनीय उपलब्धि है कि कुल रूट किलोमीटर में से लगभग 50% विद्युतीकृत सिर्फ पिछले पांच वर्षों में पूरा किया गया है. भारतीय रेलवे ने 2030 तक जीरो कार्बन उत्सर्जन के साथ-साथ दुनिया का सबसे बड़ा हरित रेलवे बनने का लक्ष्य रखा है. इस लक्ष्य की ओर अग्रसर होते हुए रेलवे ने पहले ही 14 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में रेलवे विद्युतीकरण के 100% लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है. वर्ष 2014 से पहले, रेलवे विद्युतीकरण का कार्य एक सामान्य गति से चल रहा था. हालांकि, 8 साल बाद हम विद्युतीकरण को लेकर हुए उल्लेखनीय प्रयासों के सकारात्मक परिवर्तनों को देख पा रहे हैं, यह अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है. इस समयावधि में दुनिया भर के ऊर्जा क्षेत्र ने भी इस दौरान काफी कुछ आगे बढ़ाया है, विशेष रूप से सभी हितधारकों द्वारा किए गए प्रयासों के संदर्भ में जलवायु परिवर्तन के खतरे से निपटने के लिए नीतियां बनाई गई हैं.
नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जन (Net-Zero Carbon) का संकल्प ज्यादा से अधिक ज्यादा देशों के द्वारा ली जा रही है. भारत के ऊर्जा परिदृश्य और रेलवे के मिशन 100% विद्युतीकरण के लक्ष्य में दो मुख्य सकारात्मक विकास पहलू हैं:
-अपने संपूर्ण ब्रॉड गेज नेटवर्क का मिशन मोड में विद्युतीकरण करने का निर्णय जोकि पर्यावरण के अनुकूल, हरित और स्वच्छ ऊर्जा प्रदान करने के लिए अपने लोगों के लिए परिवहन का साधन मुहैया कराना है.
-अक्षय ऊर्जा का उपयोग करने की अपनी क्षमता को उजागर करने का निर्णय, विशेष रूप से रेलवे के लिए उपलब्ध विशाल भूमि पर सौर ऊर्जा के उपयोग का लक्ष्य रखा है.
भारत तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता
भारतीय रेलवे ने विद्युतीकरण के लिए मिशन 100% की योजना बनाई है, जोकि भारतीय ऊर्जा क्षेत्र में एक गेम चेंजर साबित होगा. भारत के पास एक बहुत बड़ा अवसर भी है कि वह माल वाहक और यात्री खंड दोनों के विकास के लिए अपने नागरिकों के आकांक्षाओं को पूरा कर सके, वह भी अन्य अर्थव्यवस्थाओं की तरह उच्च-कार्बन मार्ग का पालन किए बिना ही जैसा कि अतीत में बहुत सारे देशों ने किया है. भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोग करने वाला देश है. साल 2000 के बाद से ऊर्जा की मांग और उपयोग दोगुना हो गया है. ऊर्जा खपत की 80% मांग को अभी भी कोयला, तेल और ठोस बायोमास से ही पूरा किया जा रहा है.
वर्तमान में, सौर उर्जा से भारत में बिजली की पैदावार में 4% से भी कम का योगदान है लेकिन हमे इसके 70% के पैदावार के लक्ष्य के करीब हैं. अब बहुत तेजी से परिदृश्य बदलने वाला है क्योंकि भारत ने 2030 तक 450 GW अक्षय ऊर्जा तक पहुंचने का लक्ष्य रखा है, जिसमें भारतीय रेलवे को बड़ी भूमिका निभानी है. इसलिए भारत के पास 2030 तक हासिल किए जाने वाले विशिष्ट लक्ष्य है. इसके अतिरिक्त, रेलवे के विद्युतीकरण का कच्चे तेल के आयात पर भी सीधा असर पड़ेगा और इससे विदेशी मुद्राओं की अच्छी खासी बचत होगी.
पेट्रोलियम आधारित ऊर्जा की खपत और आयात को कम करने की दिशा में रेलवे का इलेक्ट्रिफिकेशन करने पर हाल के वर्षों में बहुत अधिक जोर दिया गया है. यह ऊर्जा सुरक्षा के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लक्ष्य में एक अत्यंत महत्वपूर्ण कदम भी है और साथ ही साथ परिवहन के लिए हम एक सुगम, प्रदूषण मुक्त और पर्यावरणीय अनुकूल व्यवस्था को दुरुस्त कर सकेंगे.
विद्युतीकरण की आवश्यकता क्यों
इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन पर ट्रेनों के चलने के बाद डीजल लोकोमोटिव से खींची जाने वाली ट्रेनें काम करना बंद हो जाएंगी और जिससे प्रदूषण भी खत्म हो जाएगा. इसके साथ ही भारत की आयातित ईंधन पर निर्भरता कम हो जाएगी और ट्रेनों का संचालन आसान हो जाएगा. आत्मनिर्भर भारत में उत्पादित बिजली से भी महत्वपूर्ण विदेशी मुद्रा की बचत होगी. इसके अलावा विद्युतीकरण के कारण रेलगाड़ियों की औसत गति बढ़ जाती है और विद्युतीकृत मार्ग पर उद्योगों का विकास, कृषि आधारित व्यवसाय और ग्रामीणों और किसानों की प्रगति व खुशहाली को भी बल मिलेगा.
रेलवे के विद्युतीकरण की वर्तमान स्थिति
1947 में जब तक भारत को आजादी मिली, तब से लेकर अब तक रेलवे के रूटों के नेटवर्क का विकास 50,000 किमी से अधिक का हो गया है, लगभग 68,000 किमी का नेटवर्क है. भारत विश्व का चौथा सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क है. भारत का रेलवे नेटवर्क लंबे समय से बड़े पैमाने पर कोयले और डीजल द्वारा ईंधनों द्वारा संचालित होता था. वर्ष 2000 में रेलवे रूटों के 24% मार्ग का ही इलेक्ट्रीफिकेश था. जोकि 2017 में बढ़कर 40% हो गया और फिर 2020 के अंत तक 65% तक जा पहुंचा.
विद्युतीकरण के लिए कुल ब्रॉड गेज नेटवर्क 64,689 आरकेएम है. जिसमें से 42,600 से अधिक आरकेएम का विद्युतीकरण कार्य पहले ही पूरा हो चुका है. यानी देश में अब 66% से अधिक रेलवे लाइनें विद्युतीकृत हैं. मार्च 2022 तक भारतीय रेल के लिए प्रमुख संसाधन कमाने वाले राज्यों जैसे ओडिशा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और बिहार में रुटों का पूरी तरह से विद्युतीकरण कार्य पूरा किया जा चुका है. इसके अलावा 2014 से लेकर अब तक रेलवे ने तकरीबन 18,065 किलोमीटर नए रेल मार्ग भी विकसित किए गए हैं. कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि भारतीय रेलवे के कायाकल्प को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरगामी सोच और देश के विकास को लेकर कार्यशैली में बदलाव के कारण यह सब संभव हुआ है. इतने सालों में हमारे काम करने के तरीके में बदलाव आया है.