अपने नागरिकों की बेहतरी के लिए हर सरकार की तरफ से उसके कार्यकाल में समय-समय पर कल्याणकारी योजनाएं चलाई जाता रही हैं. इसका लोगों को फायदा भी मिलता रहा है. इन योजनाओं को चलाने के पीछे सरकार का असल मकसद रहता है कि सभी लोगों को उसका फायदा मिल पाए. वे वर्ग जो खासकर आर्थिक रुप से कमजोर हो, उन्हें ध्यान में रखकर केन्द्र सरकार अपनी अधिकतर योजनाओं की रुपरेखा बनाती है. ये योजना उन छात्रों के लिए उच्च शिक्षा को अधिक सुलभ बनाने के उद्देश्य से 3% ब्याज सब्सिडी के साथ 10 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन देती है.
मोदी सरकार की तरफ से कई योजनाओं की शुरुआत की गई, जिनमें- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, फ्री सिलाई मशीन योजना, उज्ज्वला योजना, प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना, सुकन्या सृद्धि योजना प्रधानमंत्री आवास योजना प्रमुख हैं. आज हम जिस योजना की बात करने जा रहे हैं वो है- पीएम विद्यालक्ष्मी योजना.
मोदी कैबिनेट की तरफ से साल 2024 में प्रधानमंत्री विद्यालक्ष्मी स्कीम को मंजूरी दी गई थी ताकि उच्च शिक्षा में वित्तीय सहायता को मंजूरी दी जा सके. ऑल इंडिया सर्वे ऑफ हायर एजुकेशन 2022 की रिपोर्ट के आधार पर ऐसा कहा गया है कि ऐसे करीब 860 संस्थानों में तकरीबन हर वर्ष 22 लाख स्टूडेंट्स अपना एडमिशन लेते हैं. ऐसे में ये सभी स्टूडेंट्स इस लोन को पा सकते हैं.
भारत में इस वक्त 20 आईआईएम हैं और इनकी फीस भी करीब 16 से 25 लाख के बीच है. जबकि, अगर आईआईटी फीस की बात करें तो ये भी लाखों में है. इस स्थिति में आईआईएम के स्टूडेंट्स को ज्यादा लोन की जरूरत पड़ सकती है, जबकि यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले छात्रों को कम लोन की आवश्यकता होती है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर पीएम विद्यालक्ष्मी योजना का लाभ किसे मिल सकता है?
दरअसल, पीएम विद्यालक्ष्मी योजना में शिक्षा ऋण पर कोई अपर लिमिट तय नहीं की गई है. लेकिन, एजुकेशन लोन पर ब्याज में छूट की जहां तक बात है तो इसके लिए 10 लाख रुपये की अपर लिमिट तय हुई है. भारत के 860 हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स को उनकी एनआईआरएफ रैंकिंग के आधार पर सेलेक्ट किया गया है.
एक्सपर्ट का ये कहना है कि लोन का कैलकुलेशन कैसे तय होता है, ये एजुकेशन लोन की अपर लिमिट कोर्ट की फीस, लैपटॉप पर होनेवाला खर्च, हॉस्टल फीस, खाने-पाने पर आने वाले खर्च समेत अन्य चीजों से तय होती है. इसके अलावा, इंस्टीट्यूट्स में हॉस्टल फीस भी अलग से ली जाती है.
एक सवाल ये भी उठ रहा है कि एजुकेशन लोन से किस तरह पीएम विद्यालक्ष्मी योजना अलग है?
ये स्कीम ही उन स्टूडेंट्स को ध्यान में रखकर बनाई गई है, जिस उच्च शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता की जरूरत होती है. भारत सरकार की ये वो योजना है, इंडियन स्टूडेंट्स को न सिर्फ घरेलू स्तर पर बल्कि विदेशों में भी उच्च सिक्षा के लिए आवश्यक वित्तीय सहायता देना है. इस लोन में इंस्टीट्यूट्स की ट्यूशन फीस, रहने की व्यवस्था, किताबें, यात्रा और अन्य खर्चे शामिल है. एक निश्चित अवधि में हायर एजुकेशन के लिए गए लोन को लौटाना होता है, जिसमें ब्याज जुड़ा होता है.
दूसरी सबसे बड़ी बात ये है कि एजुकेशन लोन में बैंक या फिर वित्तीय संस्थानों की तरफ से ब्याज दर तय होती है. लेकिन, जब बात पीएम विद्यालक्ष्मी योजना की हो तो स्टूडेंट्स को विशेष रियायती ब्याज दरें मिल सकती है, क्योंकि सरकार की ओर से फाइनेंश किया जाता है और इसमें न सिर्फ स्कॉलरशिप दी जाती है, बल्कि लोन पर रियायत होती है. वहीं एजुकेशन लोन में सिर्फ लोना की सुविधा रहती है और बाद में उसका भुगतान करना होता है लेकिन उसमें स्कॉलरशिप की कोई सुविधा नहीं होती है.
दरअसल, एजुकेशन लोन को लेकर सबसे बड़ी समस्या पहले ये आती थी कि इसे देने में बैंकों की रुचि पहले काफी कम थी. 2017 से लेकर 2021 तक एजुकेशन लोन बैंक की तरफ से दिए जाने में काफी गिरावट आयी थी. दिक्कत ये भी आती थी कि विदेश में पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स को वीजा प्रोसेस से पहले एजुकेशन फीस या रहने के पैसे पहले देने पड़ते थे. हालांकि, इस दरम्यान बैंक की तरफ से वीजा मांगा जाता था और भुगतान के लिए भी मना कर दिया जाता था.
एक दूसरी बड़ी बात ये भी है कि साढ़े सात लाख तक के लोन पर सरकार 75% तक की क्रेडिट गारंटी देती है. इसका मतलब ये भी हुआ कि बैंक छात्रों से इस रकम के लिए कोई सिक्योरिटी या फिर कोलैटरल नहीं मांगता है.