कॉपरेटिव सेक्टर में जान फूंकने की तैयारी, जानें सहकारिता संशोधन बिल 2022 में क्या है खास?
बहु-राज्य सहकारी समिति (एमएससीएस) संशोधन विधेयक, 2022 में पुराने विधेयक के कई मिस- मैनेजमेंट में सुधार किया गया है. सहकारी सूचना अधिकारी, सहकारी लोकपाल जैसे प्रावधान जोड़े गए हैं
साल 2021 के जुलाई महीने में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को सहकारिता मंत्रालय का प्रभार सौंपा गया था. उन्हें इस सेक्टर का कार्यभार सौंपे जाने के बाद सहकारी समितियों को मजबूत बनाने और इस सेक्टर में जान फूंकने की ओर अब पहला कदम बढ़ा दिया गया है.
दरअसल केंद्र सरकार ने बीते बुधवार यानी 7 दिसंबर को विपक्षी सदस्यों के विरोध के बीच लोकसभा में ‘बहु-राज्य सहकारी सोसाइटी (संशोधन) विधेयक, 2022’ पेश किया. इस विधेयक का उद्देश्य बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम, 2002 में संशोधन करना है.
इसे लोकसभा में केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री बी एल वर्मा ने पेश किया. वहीं कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और द्रमुक सहित ज्यादातर विपक्षी दलों के सदस्य इसका विरोध कर रहे थे और इसे स्थायी समिति के पास भेजने की मांग कर रहे थे. विपक्षी दलों का आरोप है कि यह विधेयक संविधान के संघीय सिद्धांत के खिलाफ है और राज्यों के अधिकारों को अपने हाथ में लेने का केंद्र का प्रयास है.
वहीं विपक्षी सदस्यों की आपत्तियों को खारिज करते हुए सहकारिता राज्य मंत्री बी एल वर्मा ने कहा कि यह विधेयक सदन की विधायी क्षमता के दायरे में है और किसी भी तरह से राज्यों के अधिकारों पर हमला नहीं करता है. उन्होंने कहा कि राज्यों के अधिकार पर कोई हमला नहीं हुआ है तथा राज्य सोसाइटी को बहु-राज्य सोसाइटी में शामिल करने का प्रावधान से पहले है. ऐसे में आइये जानते है कि आखिर सहकारिता कानून में संशोधन बिल 2022 क्या है और यह सहकारी समितियों में कैसे सुधार ला सकता है.
क्यों लाया गया यह विधेयक
बहु-राज्य सहकारी समिति संशोधन विधेयक, 2022 को बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम, 2002 में संशोधन के लिए लाया गया है. इस विधेयक में कई नए प्रावधान जोड़े गए हैं दो देश में सहकारिता आंदोलन को मजबूत करने में मदद करेगा. इसके अलावा यह संशोधन व्यवसाय करने में आसानी, अधिक पारदर्शिता और शासन को बढ़ाने का प्रयास करेगा. ये संशोधन चुनावी प्रक्रिया में सुधार, निगरानी तंत्र को मज़बूत करने और जवाबदेही बढ़ाने के लिये लाए गए हैं.
केन्द्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने इस विधेयक के बारे में बात करते हुए कहा, 'स्वतंत्र, निष्पक्ष और समय पर चुनाव सुनिश्चित करने के लिए चुनाव प्राधिकरण का गठन किया जाएगा. महिलाओं, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटें आरक्षित की जाएगी. उन्होंने कहा कि इससे कारोबार में सुगमता बढेगी.' इसके अलावा इस संशोधन के माध्यम से अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के लोगों को समानता और समावेशी माहौल प्रदान किया जाएगा.
सहकारिता कानून में संशोधन बिल 2022 में क्या है खास?
बहु-राज्य सहकारी समिति (एमएससीएस) संशोधन विधेयक, 2022 में पहले पुराने विधेयक के कई मिस- मैनेजमेंट में सुधार किया गया है. इसके अलावा नए विधेयक में सहकारी सूचना अधिकारी, सहकारी चुनाव प्राधिकरण, सहकारी लोकपाल जैसे प्रावधान जोड़े गए हैं
चुनाव प्राधिकरण इस बात का खास ख्याल रखेगा कि चुनाव निष्पक्ष, मुक्त और समयबद्ध हों. वहीं सरकारी लोकपाल समिति सदस्यों के शिकायत निवारण प्रक्रिया प्रदान करेगा. सहकारी सूचना अधिकारी पारदर्शिता बढ़ाएगा.
क्या है बहु-राज्य सहकारी समिति एक्ट- 2002
बहु-राज्य सहकारी समिति एक्ट, साल 2002 में मौजूद समय में सहकारी समितियों को सभी जरूरी सहयोग देने, प्रोत्साहित करने, सहायता प्रदान करने और सम्पूर्ण विकास के उद्देश्य से लागू की गई थी. इस बिल का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि सहकारी समितियां एक इंडिपेंडेंट, आत्मनिर्भर और लोकतांत्रिक रूप से प्रबंधित संस्थाओं के तौर पर कार्य कर सकें.
बहु-राज्य सहकारी समिति एक्ट के माध्यम से एक से अधिक राज्यों में कार्यरत सहकारी समितियों में सुधार की पहल की गयी थी. मल्टी-स्टेट कोआपरेटिव सोसाइटीज को संचालित करने के लिए MSCS अधिनियम 2002 पारित किया गया था.
किस किस नेता ने विरोध में क्या क्या कहा
इससे पहले लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने विधेयक पेश किये जाने का विरोध करते हुए कहा, ‘‘सहकारी सोसाइटी राज्य से जुड़ा विषय है...ऐसा स्पष्ट संकेत है कि केंद्र सरकार राज्यों के अधिकार क्षेत्र में दखल देने का प्रयास कर रही है. केंद्र सरकार सहकारी संघवाद की बात करती है तो ऐसे में उसे इस विधेयक को तैयार करने से पहले राज्यों और संबंधित पक्षों से बात करनी चाहिए थे.’’
उन्होंने कहा, ‘‘इस विधेयक के साथ सहकारी संस्थाओं से जुड़ी पूरी शक्ति केंद्र के पास आ सकती हैं. इस विधेयक को पड़ताल के लिए स्थायी समिति के पास भेजा जाना चाहिए.’’
तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय ने कहा कि यह विधेयक अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक है तथा संघीय ढांचे के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि इसे स्थायी समिति के पास भेजा जाना चाहिए. द्रमुक के टी आर बालू ने कहा कि विधेयक को अध्ययन के लिए स्थायी समिति के पास भेजा जाए. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के एएम आरिफ ने भी विधेयक का विरोध किया.
विपक्षी सदस्यों की विधेयक को स्थायी समिति के पास भेजने की मांग पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि वह इस संदर्भ में सबसे चर्चा करेंगे.
12 अक्टूबर को दी गई थी मंजूरी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गत 12 अक्टूबर को बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दी थी. इस पहल का मकसद क्षेत्र में जवाबदेही बढ़ाना और चुनाव प्रक्रिया में सुधार करना है. वर्तमान समय में देश भर में 1,500 से अधिक बहु-राज्य सहकारी समितियां हैं. ये समितियां स्वयं-सहायता और पारस्परिक सहायता के सिद्धांतों के आधार पर अपने सदस्यों की आर्थिक और सामाजिक बेहतरी को बढ़ावा देती हैं.
भारत में सहकारी समितियों की स्थिति
वर्तमान में हमारे देश में लगभग 8.5 लाख सहकारी समितियां और करीब 29 करोड़ सदस्य हैं. यह समितियां पूरे देश में फैली हुई हैं और कृषि प्रसंस्करण, डेयरी, मत्स्य पालन, आवासन, बुनाई, ऋण और विपणन समेत विविध कार्यकलापों में एक्टिव हैं.