भारत सरकार ने देश को वस्त्र उत्पादन के क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए 5 साल पहले समर्थ योजना शुरू की थी. इस योजना के जरिए देश के नागरिकों को कपड़ा उद्योग के क्षेत्र में हुनरमंद बनाकर उन्हें रोजगार देने का सरकार का सपना अब पूरा होने लगा है. इससे बेरोजगारी ही दूर नहीं हो रही बल्कि कपड़ा कारोबार को भी रफ्तार मिलने लगी है. इतना ही नहीं ये योजना लोगों को कारोबार में भी आत्मनिर्भर बना रही है. देश को कपड़ा कारोबार में वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने की दिशा में इस योजना ने कदम बढ़ा दिए हैं. कपड़ा उद्योग से जुड़ी इस योजना ने अब तक लाखों लोगों को रोजगार मुहैया कराया है. भारत सरकार की इसी समर्थ योजना के बारे में यहां जानेंगे.
कपड़ा कारोबार को मजबूती देने की योजना
भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय ने 20 दिसंबर 2017 को समर्थ योजना की शुरुआत की थी. यह योजना 1300 करोड़ रुपये के अनुमानित बजट के साथ 3 साल (2017-20) की अवधि में 10 लाख लोगों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य के साथ शुरू की गई थी. इसमें केंद्र या राज्य सरकार, केंद्रीय या वाणिज्य मंडलों के तहत पंजीकृत कपड़ा उद्योग, संघों की भागीदारी को आमंत्रित किया गया था.
इस योजना को कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के अपनाए गए व्यापक कौशल फ्रेमवर्क के तहत बनाया गया था. योजना की निगरानी और क्रियान्वन आधार इनबिल्ट बायोमीट्रिक एटेंडेंस सिस्टम (एईबीएएस) के मजबूत डिजिटल सिस्टम के जरिए किया जाता है. इसका मकसद स्पिनिंग और वीविंग को छोड़कर वस्त्र उद्योग से जुड़े सभी क्षेत्रों में नौकरियों का सृजन करने,कारोबार को आगे बढ़ाने और लोगों को इस उद्योग के कौशल को सिखाना है.
इसके लिए कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. इनमें परिधानों को तैयार करने, कपड़ा बुनने, हस्तकला, हथकरघा से कालीन बुनने जैसे हुनर सिखाए जा रहे हैं. इसके साथ ही वस्त्र कारोबार को सशक्त बनाया जा रहा है. शुरुआत में इस योजना को 2017-18 और फिर 2019-20 के लिए लागू किया गया था.
बाद में इस योजना को 3 मार्च 2024 तक आगे बढ़ा दिया गया. इस योजना के लाभ के दायरे में 4.17 लाख लोग, 106 कपड़ा बनाने वाले, 12 उद्योग संघों, राज्य और केंद्र सरकार की 15 एजेंसियों सहित 4 क्षेत्रीय संगठनों को लाया गया है. अब तक इस योजना के तहत कुल 1,31,161 लोगों को कपड़ा उत्पादन से जुड़ी ट्रेनिंग दी जा चुकी है. इसके साथ ही 79,999 लोगों को इस योजना के जरिए रोजगार मुहैया करवाया गया है. 5 साल में इस योजना के क्रियान्वन में सरकार ने 365.44 करोड़ रुपये की रकम खर्च की है.
वित्तीय वर्ष | इस्तेमाल की गई धन राशि (रुपए करोड़ में) |
2017-18 | 100.00 |
2018-19 | 16.99 |
2019-20 | 72.06 |
2020-21 | 90.70 |
2021-22 | 85.69 |
कुल | 365.44 |
वस्त्र क्षेत्र को मिल रहे हुनरमंद लोग
समर्थ एक अखिल भारतीय योजना है. इसे वस्त्र क्षेत्र की कुशल जनशक्ति की जरूरतों को पूरा करने के मकसद से लाया गया है. वस्त्र क्षेत्र की मांग के मुताबिक इस योजना को चलाया जा रहा है. इसके तहत वस्त्र उद्योग और क्षेत्रीय संगठनों के लिए लक्ष्य तय किए गए हैं. इस योजना में साझेदारी के लिए उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान सहित सभी राज्य सरकारों से प्रस्ताव देने का अनुरोध किया गया है.
क्र.सं. | राज्य |
योजना के क्रियान्वयन में भागीदारों की संख्या राज्य एजेंसियां - अन्य क्रियान्वयन साझेदार |
प्रशिक्षण केंद्रों की संख्या | प्रशिक्षण का लाभ पाने वालों की संख्या |
1 | हिमाचल प्रदेश | 0 2 | 4 | 219 |
2 | राजस्थान | 0 8 | 30 | 4726 |
3 | उत्तर प्रदेश | 2 18 | 245 | 17985 |
लाखों लोगों ने ली कपड़ा उत्पादन की ट्रेनिंग
समर्थ योजना के तहत केंद्र सरकार ने लोगों को वस्त्र उत्पादन से जुड़ी प्रक्रिया की ट्रेनिंग दी. इससे देश के लोगों को वस्त्र उत्पादन के क्षेत्र में हुनरमंद होने का मौका मिल रहा है. केंद्र सरकार ने सफलतापूर्वक इस योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए 2021-22 में देश के 18 राज्यों के साथ एमओयू साइन किया. इन राज्यों के 4 लाख लोगों को वस्त्र उद्योग से जुड़े हुनर सिखाए जाएंगे. 5 साल पहले शुरू की गई इस योजना के तहत 15 दिसंबर 2022 तक 1 लाख से अधिक लोगों को ट्रेनिंग दी जा चुकी है.
क्र.सं | राज्य | प्रशिक्षण पाने वालों की संख्या (15 दिसंबर 2022) |
1 | अण्डमान और निकोबार | 25 |
2 | आंध्र प्रदेश | 3774 |
3 | अरुणाचल प्रदेश | 57 |
4 | असम | 3639 |
5 | बिहार | 1578 |
6 | चंडीगढ़ | 88 |
7 | छत्तीसगढ़ | 1417 |
8 | दिल्ली | 2410 |
9 | गोवा | 29 |
10 | गुजरात | 5595 |
11 | हरियाणा | 7424 |
12 | हिमाचल प्रदेश | 219 |
13 | जम्मू और कश्मीर | 1651 |
14 | झारखंड | 1258 |
15 | कर्नाटक | 25309 |
16 | केरल | 1374 |
17 | मध्य प्रदेश | 2868 |
18 | महाराष्ट्र | 5912 |
19 | मणिपुर | 1082 |
20 | मेघालय | 110 |
21 | मिजोरम | 425 |
22 | नगालैंड | 798 |
23 | ओडिशा | 3021 |
24 | पुदुचेरी | 255 |
25 | पंजाब | 636 |
26 | राजस्थान | 4726 |
27 | सिक्किम | 66 |
28 | तमिलनाडु | 28821 |
29 | तेलंगाना | 4556 |
30 | दादरा एवं नगर हवेली और दमन व दीव | 1200 |
31 | त्रिपुरा | 872 |
32 | उत्तर प्रदेश | 17985 |
33 | उत्तराखंड | 465 |
34 | पश्चिम बंगाल | 1273 |
महिलाओं पर है फोकस
कपड़ा उद्योग में काम करने वाली आबादी में महिलाओं की संख्या ज्यादा है. लगभग इस सेक्टर में 75 फीसदी महिलाएं काम करती है. इस वजह से समर्थ योजना में उन पर फोकस किया गया है. इसका फायदा महिलाएं आसानी से उठा सकती हैं. इस योजना से जुड़े प्रशिक्षण कार्यक्रमों से जुड़कर महिलाएं परिधान तैयार करने, कपड़ा बुनने, हस्तकला, हथकरघे से कालीन बुनने जैसे हुनर सीख आत्मनिर्भर बन सकती हैं. भारत की वैश्विक बाजार में वस्त्र क्षेत्र में हिस्सेदारी में भी इजाफा हो रहा है. आने वाले वक्त में वस्त्र उद्योग में 16 लाख कामगारों की जरूरत के पड़ेगी. इसे देखते हुए समर्थ योजना से प्रशिक्षण पाने वालों को इससे फायदा पहुंचेगा.
आसानी से उठा सकते हैं लाभ
समर्थ योजना के फायदा उठाने की लिए भारत का स्थायी निवासी होना जरूरी है. इस योजना के लिए आधार कार्ड, निवास प्रमाण पत्र,राशन कार्ड,पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ,मोबाइल नंबर की जरूरत होती है. इसके आवेदन के लिए समर्थ योजना की आधिकारिक वेबसाइट https://samarth-textiles.gov.in/ पर जाना होता. इसके होम कैंडिडेट रजिस्ट्रेशन के लिंक पर क्लिक करने के बाद एक फॉर्म खुलता है. इस फॉर्म में पूछी गई सभी जानकारी जैसे नाम, ईमेल आईडी, मोबाइल नंबर, एड्रेस भर कर सबमिट बटन पर क्लिक करने के बाद इस योजना के लिए आवेदन किया जा सकता है.