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न्यूजीलैंड-भारत के बीच बढ़ती नजदीकियां हैं हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नए समीकरणों की मजबूती का आगाज

न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री ने कहा- भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र का एक अहम हिस्सा है और भारत को बिना साथ लिए वह इस इंडो-पैसिफिक के इलाके में, क्षेत्र में शांति और समृद्धि नहीं आ सकती है. 

न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन की ये पांच दिवसीय यात्रा काफी अहम है. भारत के वृहत् हिस्से को देखते हुए कि भारत बड़ा मुल्क है और न्यूजीलैंड एक छोटा सा देश है और ऐसे में प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन भारत आए हैं और वह बहुत सारे विषयों पर भारत से बातचीत करना चाहते हैं. संबंधों को नई दिशा में बढ़ाना चाहते हैं. इसी वजह से वह 5 दिन के दौरे पर आए हैं और ये अब तक का न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री का सबसे बड़ा दौरा है.

वो इसलिए क्योंकि इतना बड़ा डेलिगेशन जो न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री अपने साथ भारत लेकर आए हैं, इससे पहले न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री के साथ इतने बड़े डेलिगेशन ने कहीं पर भी दौरा नहीं किया है. वे भारत को एक महत्व दे रहे हैं और भारत के साथ संबंधों को नए युग में लेकर जाना चाहते हैं.

भारत-न्यूजीलैंड संबंधों का नया युग

इसी वजह से उनके डेलिगेशन में कई सारे मंत्री हैं और विभिन्न विषयों पर वह बातचीत करना चाहते हैं. यहां तक कि जो प्रवासी भारतीय न्यूजीलैंड में रह रहे हैं और उनके रिप्रेजेंटेटिव, उनके मंत्री भी इस डेलिगेशन का हिस्सा हैं. न्यूजीलैंड में जो इंडियन डायस्पोरा है, उसको भी वह एक एसेट के रूप में लेकर भारत आए हैं.  उसके माध्यम से भारत के साथ अच्छे संबंध बना लेना चाहते हैं. न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री ने दौरे से पहले कई प्रमुख बातें भारत को लेकर भी बोलीं. उन्होंने कहा कि भारत एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था है, जिसके साथ उन लोगों को चलना चाहिए और इसी वजह से पिछले कई सालों से न्यूजीलैंड के साथ भारत की बातचीत फ्री ट्रेड एग्रीमेंट को लेकर, कॉम्प्रिहेन्सिव इकॉनोमिक पार्टनरशिप को लेकर चल रही है.

क्रिस्टोफर लक्सन ने कहा कि इस दौरे पर वे लोग पूरी कोशिश करेंगे कि एफटीए (फ्री ट्रेड एग्रीमेंट) और समग्र आर्थिक साझेदारी (कॉम्प्रिहेन्सिव इकॉनोमिक पार्टनरशिप) को अंतिम अंजाम तक पहुंचा दें और ये डील हो जाए. इसके साथ ही वो ये भी चाहते हैं कि भारत के साथ द्विपक्षीय सामरिक संबंधों को भी मजबूत किया जा सके. उन्होंने ये भी बोला है कि भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र का एक अहम हिस्सा है और भारत को बिना साथ लिए वह इस इंडो-पैसिफिक के इलाके में, क्षेत्र में शांति और समृद्धि नहीं आ सकती. 

भारत की बढ़ती वैश्विक हनक

जिस तरह से चीन को काउंटर करने के लिए अमेरिका की री-बैलेंसिंग एशिया स्ट्रेटजी है और उन्होंने भी भारत को भरपूर महत्व दिया. उसी के माध्यम से क्वॉड की शुरुआत हुई, जिसमें ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका हैं, और ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड भी पड़ोसी मुल्क हैं. ऐसे में न्यूजीलैंड की नजदीकी भी समझ आती है.  इंडो पेसिफिक को ध्यान में रखते हुए अमेरिका ने ऑकस की व्यवस्था की है.

ऑकस (AUKUS) माने ऑस्ट्रेलिया, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका हैं. इंडो पेसिफिक में चीन के बढ़ते हुए कदम को अमेरिकी लगाम लगाना चाहता है. इसी वजह से वह यूनाइटेड किंगडम को भी लेकर आया है और इसके साथ-साथ कुछ और मुल्क इंडो पेसिफिक में सक्रिय हुए हैं. इसमें इंडिया की भूमिका बिल्कुल केंद्रीय है. न्यूजीलैंड भी यूनाइटेड किंगडम का उप-निवेश रहा है और अभी भी वह कहीं ना कहीं यूके के वर्चस्व को मानता है. 

अगर ऑस्ट्रेलिया क्वॉड का पार्ट है, ऑकस का पार्ट है और न्यूजीलैंड उसका पड़ोसी है तो न्यूजीलैंड को भी साथ में लिया जाना चाहिए. क्योंकि न्यूजीलैंड साउथ वेस्ट पेसिफिक का एक महत्वपूर्ण देश है और साउथ वेस्ट पेसिफिक में जो छोटे-छोटे आईलैंड कंट्रीज हैं चाहे वह फिजी, किरिबाती, न्यूजीलैंड, न्यू गिनी उनका जो पेसिफिक आईलैंड फोरम है, उसमें सेंट्रल भूमिका न्यूजीलैंड निभाता है.

न्यूजीलैंड को नजर रखते हुए ही ये सारे छोटे-छोटे आईलैंड नेशन न्यूजीलैंड को अपना नेता मानते हैं. उसके माध्यम से पेसिफिक आईलैंड फोरम में क्रियाकलाप करते हैं. वहां पर भी चीन का इन्वेस्टमेंट बहुत ज्यादा बढ़ गया है. छोटे-छोटे देश धीरे-धीरे चीन की गिरफ्त में आते जा रहें हैं. इसको लेकर न्यूजीलैंड भी बहुत ज्यादा चिंतित है. इसी वजह से न्यूजीलैंड चाहता है भारत के साथ एक कॉम्प्रिहेंसिव इकोनामिक पार्टनरशिप भी की जाए, ताकि भारत का इन्वेस्टमेंट न्यूजीलैंड में ही नहीं बल्कि दूसरे पैसिफिक आईलैंड के देशों में भी बढ़ाया जा सके. इसी के माध्यम से इन सारे हितों को साधते हुए न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री भारत आए हैं.

भारत को भी पता है कि अगर अपनी  पैठ पैसिफिक फोरम में बनानी है या छोटे-छोटे देशों के साथ जहां पर भी ठीक-ठाक संख्या में प्रवासी भारतीय रहते हैं, ऐसे में न्यूजीलैंड के साथ संबंधों को आगे लेकर जाना काफी सहायक होगा. 

 संबंधों में मजबूती का नया दौर

भारत के अंदरूनी हालात क्षणिक हैं और वो भी मीडिया में आउट ऑफ प्रपोर्शन चीजों को जरूरत से ज्यादा हवा दी गई है, अन्यथा आम जनमानस या धरातल पर ऐसी चीजें लगभग नदारद हैं. भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और जल्दी ही आने वाले 2 से 3 साल में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हो जाएंगे.  इसी वजह से विश्व के सारे मुल्क भारत के साथ अच्छा संबंध बनाना चाहते हैं. भारत एक बड़ी जनसंख्या वाला देश है तो वो इन सारे मुल्कों को जिसमें न्यूजीलैंड भी शामिल है, एक बड़े बाजार के रूप में नजर आता है. 

न्यूजीलैंड के डेरी उत्पाद बहुत ज्यादा अच्छे और किफायती भी हैं और वह चाहता है कि भारत की बड़ी मार्केट को अपना बना पाए. सिर्फ न्यूजीलैंड ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लोग भारत की तरफ उम्मीद की नजर से देख रहे हैं. भारत को एक बड़े बाजार के रूप में भी देख रहे हैं और इसी वजह से भारत के साथ अच्छे संबंध बनाना चाहते हैं.

भारत भी सजग और सावधानी से सारे मुल्कों के साथ हम कॉम्प्रिहेन्सिव इकॉनोमिक पार्टनरशिप को साइन कर रहे हैं. टैरिफ को लेकर रेसिप्रोकल डील में जा रहे हैं, ताकि भारत को भी नुकसान ना हो और जो दूसरे देश भारत के साथ आर्थिक समझौता करना चाहते हैं उनको भी बेजा फायदा ना मिले. इसी वजह से अमेरिका के साथ भी हम अच्छा-खासा व्यापारिक रिश्ता बना रहे हैं. अभी यूरोपीय यूनियन के साथ भी हमलोगों ने कॉम्प्रिहेन्सिव इकॉनोमिक पार्टनरशिप पर चर्चा की और न्यूजीलैंड के साथ भी हम लोग ऐसा कर रहे हैं. 

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