किसी के दिमाग में छिपे हुए राज भी अब जान सकता है AI, हो जाइए सावधान
क्या मशीनें हमारे दिमाग में चल रही बातों को उजागर कर सकती हैं? यह बिलकुल संभव है और आधुनिक वैज्ञानिकों ने ऐसी तकनीक खोज ली है जो लोगों के दिमाग में चल रही बातों को पढ़ पाएगी, समझ पाएगी.
हम अमूमन यह सुनते रहते हैं कि 'फलां व्यक्ति किसी का भी दिमाग पढ़ सकता है. यहां तक कि सपने में क्या देखा ये भी बता सकता है'. इस तरह के दावे करने वाले तमाम लोगों के बारे में आपने कभी ना कभी सुना ही होगा. हमारे दिमाग में सैंकड़ो विचार चलते रहते हैं, कई गुप्त बातें होती हैं, जिन्हे हम छुपा लेते हैं. कई बातें हमारे दिमाग में राज बन कर दफन हो जाती हैं. हमने किस्से कहानियों में अंतर्यामी शब्द का प्रयोग कई बार पढ़ा या सुना है, इनका उपयोग ऐसे इंसानों या भगवानों के लिए किया जाता था, जो सामने वाले के मन में चल रही बातों को समझ जाते थे.
आज के युग का अंतर्यामी
क्या आज के आधुनिक युग में ऐसा कुछ होना संभव है? क्या मशीनें हमारे दिमाग में चल रही बातों को उजागर कर सकती हैं? यह बिलकुल संभव है और आधुनिक वैज्ञानिकों ने ऐसी तकनीक खोज ली है जो लोगों के दिमाग में चल रही बातों को पढ़ पाएगी, समझ पाएगी. सोचिए ऐसी तकनीक से आप कितना कुछ हासिल कर सकते हैं. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित इस तकनीक को हाल ही में टेस्ट किया गया है और इसे और बेहतर बनाने पर जोर शोर से काम चल रहा है. यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से एक नयी तकनीक इजाद की है, जो इंसानों के दिमाग को पढ़ सकती है. यूनिवर्सिटी के शोधकर्मियों ने एक AI मॉडल बनाया है, जो ना सिर्फ इंसान के मन में चल रहे विचारों को समझ सकता है, बल्कि उनके द्वारा लिए जाने वाले संभावित निर्णयों का पूर्वानुमान कर सकता है. इस AI सिस्टम को Semantic Decoder कहा जाता है.
दिमाग को पढ़ने वाली तकनीक!
यह तकनीक किसी भी इंसान के दिमाग में चल रहे विचारों और एक्टिविटी को समझता है, उनके पैटर्न्स को जांचता है और उसे टेक्स्ट स्ट्रीम में बदला देता है, यानी इसकी मदद से किसी शख्स के विचारों को पढ़ा जा सकता है. इस रिसर्च को जेरी टेंग और अलेक्स हुथ ने बनाया है. यह तकनीक उनके द्वारा किये गए शोध का परिणाम है, जो आंशिक रूप से ट्रांसफॉर्मर मॉडल पर बेस्ड है, जिसका उपयोग चैट GPT और Google Bard में भी किया गया है. ऐसा माना जा रहा है कि इस तकनीक की सहायता से शारीरिक और मानसिक अक्षम लोग, पैरालिसिस जैसे रोगो से ग्रसित लोग, और टेक्नोलॉजी डिसेबिलिटी से प्रभावित लोगों की सहायता की जा सकेगी. इस तकनीक का सबसे अच्छा फायदा यह है कि इसमें किसी व्यक्ति के शरीर में कोई उपकरण लगाने की आवश्यकता नहीं होगी. इसमें एक FMRI स्कैनर का उपयोग किया जाता है, और व्यक्ति को कोई कहानी या गाना सुनाया जाता है, और यह सुनते हुए उनके दिमाग में जो भी हलचल होती है, उसे यह स्कैनर पढ़ लेता है.
यह तकनीक अचंभित करती है
यह अचंभित कर देने वाली तकनीक है और ऐसा कुछ भी न्यूरोसाइंस या मेडिकल साइंस के इतिहास में कभी नहीं हुआ है. शोधकर्मियों ने अपने दावे की पुष्टि करने के लिए तीन लोगों को MRI मशीन में भेजा और उन्हें विभिन्न कहानियां सुनाईं गयीं, बाद में इस AI सिस्टम ने उनके मन में चल रहे विचारों को टेक्स्ट फॉर्मेट में लिख डाला. हालाँकि यहाँ यह बताना महत्वपूर्ण है कि अभी यह तकनीक उतनी उन्नत नहीं है कि दिमाग में चल रही बातों को हूबहू बता सके, लेकिन अभी इस पर कार्य चल रहा है, इनके लर्निंग मॉडल को और बेहतर बनाया जा रहा है, जिससे यह आशा बलवती हो गयी है कि आने वाले वर्षों में यह किसी भी इंसान के मन में चल रहे विचारों को एकदम सटीक और सहज तरीके से बता पायेगा. इस तकनीक के कई क्षेत्रों जैसे मेडिकल, न्यूरो साइंस, अपराध शोध, मनोविज्ञान, और यहाँ तक कि एंटरटेनमेंट में भी उपयोग हो सकेंगे.
हालांकि, किसी भी तकनीक के दो पहलू होते हैं. उसी तरह इस क्रांतिकारी तकनीक के भी दुरुपयोग की आशंका को देखते हुए इस पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं. ये वही बात है कि विज्ञान हमेशा से ही दोधारी तलवार है. परमाणु ऊर्जा से हम बम बनाएं या बिजली, ये तो मनुष्य के ऊपर है. इस चौंका देने वाली तकनीक के भी ऊपर सवाल उठने लगे हैं. इसके आलोचकों का कहना है कि इससे प्राइवेसी को लेकर खतरा उठ खड़ा होगा, क्योंकि इसका उपयोग कर हम किसी भी इंसान के अंतर्मन में घुस जाएंगे, जो कहीं ना कहीं उसकी प्राइवेसी का उल्लंघन ही होगा. बहरहाल, यह शुरुआती दौर है और अभी बहुत कदम चलना बाकी है.